Monday, 12 October 2009
-योग के अंकुर स्फुटित करती है ऋषिकेश की माटी
पाठ्यक्रम में शामिल होने के बाद योग स्वरोजगार से जुड़ा
सात समुंदर पार से साधकों को खींच लाता है योग
ऋषिकेश, आज के भौतिकवादी युग में विश्वभर के लोग शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योग को अपना रहे हैं, वहीं लोगों की बढ़ती रुचि को देखते हुए योग स्वरोजगार के रूप में उभर कर सामने आया है।
योग की विभिन्न विधाओं में पारंगत विश्व ख्याति प्राप्त शख्सियत के रूप में स्वामी शिवानंद, महर्षि महेश योगी, डा. स्वामी राम, शिवानंद आश्रम के ब्रह्मलीन स्वामी चिदानंद सरस्वती का नाम इसी क्षेत्र से जुड़ा है। उत्तराखंड राज्य गठन से पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय योग सप्ताह मनाने का निर्णय लिया तो इसके लिए ऋषिकेश क्षेत्र को ही चुना। डेढ़ दशक से यहीं योग सप्ताह मनाया जाता है। पिछले कई वर्षों से स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग सप्ताह में देश-विदेश से सैकड़ों साधक जुटते हैं और भारतीय संस्कृति के मूल में स्थित योग को जानकर इसका प्रचार-प्रसार कई देशों में करते हैं। यह बात भी सत्य है कि विदेश से जितने भी पर्यटक यहां आते हैं, उनमें से नब्बे फीसदी योग को जानने के लिए आते हैं। पर्यटक बनकर आने वाला विदेशी यहां से साधक बनकर जाता है। योग गुरु स्वामी रामदेव ने वर्तमान दौर में योग को नई पहचान ही नहीं दी, बल्कि इसे घर-घर तक पहुंचाया। आज भी ऋषिकेश, स्वर्गाश्रम, लक्ष्मण झाूला, तपोवन, स्वामीराम साधक ग्राम आदि क्षेत्रों में विदेशी पर्यटक योग सीखने आ रहे हैं। हकीकत यह है कि यहां स्थित आश्रम हों या अन्य धार्मिक संस्थाएं, बिना योग केंद्र के अधूरी हैं। अब तो सरकारी स्तर पर भी योग को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा चुका है। गढ़वाल विश्वविद्यालय ने छह वर्ष पूर्व महाविद्यालयों में योग विषय पर डिप्लोमा व डिग्री कोर्स प्रारंभ किया था। इस विषय में पारंगत छात्र आज देश के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार पा रहे हैं। श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय के योग विज्ञान विभाग में संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा योग पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। जयराम आश्रम योग साधना आरोग्य एवं शोध संस्थान में विदेशी साधकों के लिए विशेष योग शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। भारतीय ऋषि-मुनियों की आध्यात्मिक खोज और वर्षों के तप व अनुसंधान के परिणाम स्वरूप दुनिया के सामने आया योग आज युवाओं के लिए रोजगार के सुनहरे अवसर लेकर आया है। उक्त संस्थान छात्रों को शानदार प्लेसमेंट भी उपलब्ध करा रहे हैं। जयराम आश्रम योग साधना आरोग्य एवं शोध संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी नारायण जोशी का कहना है कि योग निरोग जीवन का मूल मंत्र है। योग विषय पाठ्यक्रम में शामिल होने के बाद व्यावहारिक तौर पर इसमें पारंगत होना भी जरूरी है। बाजारवाद के इस दौर में योग व्यवसाय के रूप में अपनाया जा रहा है। ऐसे में योग का आधा-अधूरा ज्ञान सीखने वालों के लिए यह घातक सिद्ध हो सकता है।
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