Monday, 12 October 2009

-...तो पहाड़ पर भी दौड़ेगी रेल!

-ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन बिछाने को हुआ था सर्वे -वैज्ञानिकों का दावा चीन की सीमा तक पहुंचने में कारगर साबित होगा -वैज्ञानिकों के साथ जल्द होगी रेलवे बोर्ड की बैठक रुड़की आईआईटी वैज्ञानिकों की कोशिशें रंग लाई तो उत्तराखंड के पहाड़ों पर रेल दौड़ सकेगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग (चमोली) तक सौ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाई जा सकती है। सामरिक दृष्टि से भी यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके माध्यम से उत्तराखंड से लगती चीन सीमा पर आसानी से पहुंचा जा सकेगा। इस रेलवे लाइन के लिए आईआईटी वैज्ञानिकों ने एक सर्वे किया था। इस सर्वे को लेकर रेलवे बोर्ड आईआईटी वैज्ञानिकों के साथ जल्द एक बैठक करने जा रहा है। आईआईटी वैज्ञानिकों के 1998 में किए गए सर्वे की रिपोर्ट 'रीकोनाइसेंस सर्वे आफ न्यू रेलवे लाइन फ्राम ऋषिकेश टू कर्णप्रयाग' के अनुसार उत्तराखंड के पहाड़ों पर सौ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकती है। इस परियोजना पर करीब 2500 करोड़ का खर्च आएगा। सर्वे के तहत ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक कुल आठ स्टेशन निर्धारित किए गये हैं। इसमें मुनि की रेती, शिवपुरी, मंजिल गांव, गुरसाली, रुद्रप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर व गौचर शामिल हैं। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की रेलवे लाइन की दूरी 129 किमी निर्धारित है। इसमें टनल की लंबाई 43 किमी रखी गई है। इसके साथ ही इस रूट पर छह बड़े पुल सहित कुल 126 पुल बनाए जाने प्रस्तावित हैं। सबसे बड़े पुल की लंबाई 831 मीटर होगी। कर्णप्रयाग से चीन सीमा की दूरी केवल सौ किमी है। चीन से भारत के रिश्तों को देखते हुए भविष्य में यह योजना सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। यह रेलवे लाइन पठानकोट से जोगिन्दर नगर के बीच नैरोगेज रेलवे लाइन की तरह पूरे उत्तराखंड के एक बड़े भूभाग को जोडऩे में सहायक होगी। आईआईटी के सिविल विभाग के वैज्ञानिक डा. कमल जैन ने बताया कि पहाड़ पर रेल संचालित करने की संभावनाओं को लेकर 1998 में एक सर्वे रिपोर्ट तैयार की थी। इस पर अभी भी स्थलीय अध्ययन जारी है। सर्वे में कर्णप्रयाग तक रेल लाइन का ऐसा अलाइनमेंट किया है, जहां से चीन सीमा तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए रेलवे लाइन से लगते तमाम क्षेत्रों से संपर्क सड़कें भी निकाली जा सकती हैं। डा. जैन ने बताया कि सर्वे के बारे में केंद्रीय रेलवे बोर्ड से कई बार बातचीत हो चुकी है। पूर्व में भारी भरकम खर्च के चलते इस परियोजना को मंजूरी नहीं मिल पाई थी। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस संबंध में एक बार फिर उनकी रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक होनी है। बेहतर सल्यूशन लेते तो नहीं रुकती योजना रुड़की: आईआईटी ने देश की सबसे महत्वपूर्ण व महंगी जम्मू-श्रीनगर रेल लाइन के लिए भी अलाइनमेंट किया है। 290 किमी लंबी यह योजना दुनिया के सबसे ऊंचे पुल न बन पाने से पिछले वर्ष रोक दी गई थी। वैज्ञानिक डा. कमल जैन ने उस समय इस योजना में चिनाव नदी के ऊपर बनने वाले 359 मीटर ऊंचे पुल की योजना को सीस्मोलॉजी के लिहाज से असंगत बताया था। इसके विकल्प के रूप में ऊधमपुर जाने को सलाल डैम के पास महज 80 मीटर ऊंचाई वाले पुल से रेल लाइन का सुझााव दिया था। इसमें पुल की लंबाई भी 950 से घटकर 500 मीटर रह गई। इसके लिए 200 करोड़ के निर्धारित बजट के स्थान पर मात्र 25 करोड़ का खर्चा होता। उन्होंने बताया कि योजना के समय बेस्ट सल्यूशन नहीं लिया। इससे यह योजना नान रिटर्निंग फेस में आ गई है। श्रीनगर तक बेहतर रेलवे लाइन के अलाइनमेंट पर काम किया जा रहा है और इसका अध्ययन कार्य जल्द पूरा हो जाएगा।

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