Saturday, 5 December 2009

-गुरुकुल कांगड़ी: दिखेंगे अनूठे हिमालयी पत्थर

पुरातत्व विभाग ने सहेजा हिमालय क्षेत्र के पत्थरों को -सौ अलग-अलग तरह के पत्थर होंगे गैलरी में -23 दिसंबर से देशी-विदेशी दर्शक देख पाएंगे पत्थर हरिद्वार,: हिमालयी क्षेत्र में पग-पग पर जड़ी-बूटियों के साथ ही बेशकीमती पत्थर भी बिखरे पड़े हैं। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का पुरातत्व विभाग ऐसे ही अनूठे पत्थरों को सहेजने का कार्य कर रहा है। विभाग के म्यूजियम में ऐसे सौ से अधिक पत्थर रखे हैं, जो विभिन्न आकृतियों के हैं। साथ ही वर्षों पुराने हैं। 23 दिसंबर से दर्शकों के लिए म्यूजियम खोला जाएगा। कांगड़ी गांव में गुरुकुल कांगड़ी विवि की 1902 में स्थापना के बाद से ही यहां का पुरातत्व विभाग धरोहरों को सहेजने का कार्य कर रहा है। यहां कई विश्व धरोहरों के साथ ही अब उच्च व मध्य हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले बेशकीमती पत्थर आगंतुक देशी-विदेशी पर्यटक देख पाएंगे। विभाग ने सौ से अधिक ऐसे अनूठे पत्थरों को सहेजा है, जो केवल हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं। साथ ही उनका अपना पुरातात्विक महत्व है। ऐसे पत्थरों को सर्वे आफ इंडिया देहरादून भेजकर उनके स्थान और वैज्ञानिक नाम रखे गए। इसमें कई मणिनुमा पत्थर से लेकर मार्बल पत्थर शामिल हैं। इनमें से कई पत्थरों को पूर्व में गुरुकुल में पढऩे वाले छात्रों द्वारा एकत्रित किया गया। इन पत्थरों का प्रयोग भूगोल के छात्रों को भू-आकृति विज्ञान का ज्ञान देने के लिए भी किया जाता रहा है। पुरातत्व विभाग म्यूजियम प्रभारी प्रभात कुमार ने बताया कि 23 दिसंबर से इन पत्थरों को म्यूजियम की गैलरी में रखा जाएगा। साथ ही इन दिनों म्यूजियम को नया लुक दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त म्यूजियम में हिमालय क्षेत्र के कई अनूठे शिल्प भी आगंतुक देख पाएंगे। उप प्रभारी दीपक घोष ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार 12 महीनों में होने वाले त्योहारों-पर्व से संबंधित पेंटिंग यहां लगाई गई है। जैसे श्रावण मास में झाूले की महत्ता, कार्तिक माह में कहानी सुनाने व इसी प्रकार शेष महीनों में परंपरा अनुसार होने वाले कार्यों को पेंटिंग पर उकेरा गया है। बहरहाल, पुरातत्व विभाग की गैलरी में दर्शक अब अनूठे पत्थर देखकर हिमालयी क्षेत्र में होने का अहसास करने के साथ वहां पग-पग पर बिखरे रहस्यों को समझा पाएंगे।

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