Wednesday, 27 April 2011
यहां हर घर में पैदा होता है एक अफसर
बागेश्वर। कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।
ये लाइनें खंतोली गांव के उन युवाआं पर सटीक बैठती हैं जिन्होंने किसी भी स्कूल से सात किमी दूर रहते हुए भारत की सरकारी सेवाओं में सबसे ऊंचा मुकाम पाया। गांव छोड़कर सड़कों की तरफ भाग रहे लोगों को आईना दिखाया कि सुविधाओं से प्रतिभा नहीं प्रतिभाएं सुविधाओं को जन्म देती हैं।
तमाम सुविधाओं के अभाव में इस गांव के छह लोग केंद्रीय प्रशासनिक सेवा के उच्च पदों तक पहुंचे तो यह किसी आश्चर्य से कम नहीं। सात सौ लोगों के इस गांव में लगभग हर घर से एक अधिकारी निकला है। कुमाऊं में बिजली की रोशनी पहुंचाने वाले पहले इंजीनियर रामचंद्र पंत के गांव में आज भी प्रतिभाओं की कमी नहीं।
कांडा-विजयपुर मार्ग से तीन किमी दूर खंतोली गांव में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव उसी तरह है जैसे पहाड़ के और गांवों में है। इन अभावों के बावजूद यह गांव कुछ अलग है। इस गांव में इतनी प्रतिभाएं हैं की अंगुली में नहीं गिनी जा सकतीं। देश का शायद ही कोई सेवा क्षेत्र हो जिसका कोई बड़ा पद खंतोली के हिस्से न आया हो। खंतोली से निकली प्रतिभाओं की बात करें तो इसमें एक आईएएस, एक आईएएस एलाइड, दो आईएफएस और एक आईईएस है। सफलता की कहानी यहीं खत्म नहीं होती पांच पीसीएस भी हैं और तीन वैज्ञानिक भी। इसमें दो वैज्ञानिक देश के परमाणु केंद्रों में काम कर रहे हैं। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए इस गांव ने एक ब्रिगेडियर, तीन विंग कमांडर और एक कमांडेंट भी दिया है। चिकित्सा और इंजीनियरिंग में भी गांव के युवाओं का बड़ा योगदान है। गांव के पांच युवा डाक्टर और 30 इंजीनियर हैं।
कुमाऊं में बिजली पहुंचाने का काम भी इसी गांव के इंजीनियर रामचंद्र पंत के निर्देशन में हुआ। शिक्षा और संगीत के क्षेत्र में भी खंतोली के नाम बड़ी उपलब्धि है। गांव के आठ लोग महाविद्यालयों में प्रोफेसर हैं तो संगीतज्ञ चंद्रशेखर पंत के नाम पर नैनीताल में संगीत विद्यालय चल रहा है। देश की आजादी में देवी दत्त पंत, नारायण दत्त पंत, हरि दत्त पंत, कीर्ति बल्लभ पंत, पूर्णानंद पंत, चंद्र शेखर पंत, पुरुषोत्तम का नाम भुलाया नहीं जा सकता। सेवानिवृत्त शिक्षक दयाधर पंत बताते हैं कि गांव की सफलता का सबसे बड़ा कारण है लोगों का गांव से जुड़े रहना।
वह कहते हैं गांव में अधिकारियों की कोई कमी नहीं लेकिन हर अधिकारी आज भी गांव से जुड़ा है। समय-समय पर गांव आकर यही अधिकारी गांव में शिक्षा ले रहे युवाओं को आज भी ऊर्जा और आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं।
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