विकास धूलिया, देहरादून
अब जबकि राज्य विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता जारी होने में महज चंद दिन शेष है,
सरकार के समक्ष एक मुश्किल चुनौती आ खड़ी हुई है। चुनौती भी मामूली नहीं, आचार संहिता लागू होने से पहले पहल, यानि अगले पंद्रह-बीस दिनों के भीतर लगभग चार हजार करोड़ रुपये खर्च करने की चुनौती। अब सरकार ऐसा करने के लिए कौन सा रास्ता अख्तियार करती है, देखना दिलचस्प होगा। हालांकि अब शासन और सरकार इस मामले में सक्रिय हो गए हैं और गुरुवार से इस पर मंथन के लिए बैठकों का दौर शुरू हो रहा है।
यह एक आम सा दृश्य होता है कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में सूबे की वार्षिक योजना का आकार बढ़ाने को लेकर शासन से लेकर सरकार तक खासी जद्दोजहद चलती है जबकि आखिर, यानि मार्च में बजट खर्च करने को लेकर। इस बार सरकार के लिए मार्च फाइनल जैसी नौबत चार महीने पहले ही आ गई क्योंकि आगामी फरवरी में राज्य में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। इस लिहाज से दिसंबर के दूसरे पखवाड़े तक राज्य में चुनावी आचार संहिता लागू होना तय है। आचार संहिता लागू होने के बाद तमाम बंदिशों के साथ ही विकास कार्यो पर धन खर्च करने के मामले में भी सरकार के हाथ बंध जाएंगे।
अब जबकि आचार संहिता लागू होने ही वाली है, शासन को चिंता सताने लगी है कि किस तरह वार्षिक योजना की हजारों करोड़ की धनराशि खर्च की जाए। इसका रास्ता निकालने की कवायद के तहत मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने बुधवार को अपर मुख्य सचिव, सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों व अपर सचिवों को एक पत्र लिखा। पत्र के मुताबिक अक्टूबर 2011 तक वार्षिक योजना के व्यय की प्रगति की समीक्षा करने पर मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने असंतोष
अब जबकि राज्य विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता जारी होने में महज चंद दिन शेष है,
सरकार के समक्ष एक मुश्किल चुनौती आ खड़ी हुई है। चुनौती भी मामूली नहीं, आचार संहिता लागू होने से पहले पहल, यानि अगले पंद्रह-बीस दिनों के भीतर लगभग चार हजार करोड़ रुपये खर्च करने की चुनौती। अब सरकार ऐसा करने के लिए कौन सा रास्ता अख्तियार करती है, देखना दिलचस्प होगा। हालांकि अब शासन और सरकार इस मामले में सक्रिय हो गए हैं और गुरुवार से इस पर मंथन के लिए बैठकों का दौर शुरू हो रहा है।
यह एक आम सा दृश्य होता है कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में सूबे की वार्षिक योजना का आकार बढ़ाने को लेकर शासन से लेकर सरकार तक खासी जद्दोजहद चलती है जबकि आखिर, यानि मार्च में बजट खर्च करने को लेकर। इस बार सरकार के लिए मार्च फाइनल जैसी नौबत चार महीने पहले ही आ गई क्योंकि आगामी फरवरी में राज्य में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। इस लिहाज से दिसंबर के दूसरे पखवाड़े तक राज्य में चुनावी आचार संहिता लागू होना तय है। आचार संहिता लागू होने के बाद तमाम बंदिशों के साथ ही विकास कार्यो पर धन खर्च करने के मामले में भी सरकार के हाथ बंध जाएंगे।
अब जबकि आचार संहिता लागू होने ही वाली है, शासन को चिंता सताने लगी है कि किस तरह वार्षिक योजना की हजारों करोड़ की धनराशि खर्च की जाए। इसका रास्ता निकालने की कवायद के तहत मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने बुधवार को अपर मुख्य सचिव, सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों व अपर सचिवों को एक पत्र लिखा। पत्र के मुताबिक अक्टूबर 2011 तक वार्षिक योजना के व्यय की प्रगति की समीक्षा करने पर मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने असंतोष
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