Friday, 17 September 2010
देश-विदेश के लोग उत्तराखंड की संस्कृति से परिचित होंगे।
दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स में देश-विदेश के लोग उत्तराखंड की संस्कृति से परिचित होंगे।
भागीरथी कला संगम समिति के कलाकार पहाड़ की सांस्कृतिक विरासत को मंच पर पेश करेंगे। समिति के कलाकार दो अक्टूबर को दिल्ली पहुंच रहे हैं।
आगामी तीन अक्टूबर को कामनवेल्थ गेम्स की दिल्ली के नेहरू स्टेडियम में रंगारंग शुरुआत होगी। 13 अक्तूबर तक रविंद्र भवन में विभिन्न प्रदेशों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। संस्कृति मंत्रालय ने संगीत नाटक अकादमी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है।
उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व भागीरथी कला संगम समिति से जुड़े कलाकार करेंगे। इसके लिए समिति को संगीत नाटक अकादमी का निमंत्रण प्राप्त हो गया है। इस मौके पर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को शानदार तरीके से प्रस्तुत करने के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।
समिति के अध्यक्ष नत्थी लाल नौटियाल ने कहा कि समिति की 16 सदस्यीय कलाकारों की टीम दो अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी। इससे पहले भी समिति से जुड़े कलाकार कई जगह प्रस्तुति दे चुके है। उन्होंने कहा कि कलाकार घस्यारी नृत्य और गान प्रस्तुत करेंगे। यह नृत्य संयोग और वियोग श्रृंगार से ओतप्रोत हैं।
सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में इन लोकगीतों को प्रमुखता से गाया जाता है। इसके माध्यम से यहां की सांस्कृतिक विरासत को शानदार तरीके से उकेरा जाएगा। उन्होंने बताया कि अंतराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत शानदार हो इसके लिए कलाकार रात-दिन तैयारियों में जुटे हैं। इसके अलावा सीमांत पिथौरागढ़ जिले की पारंपरिक लोक संस्कृति के प्रमुख उत्सव 'हिलजात्रा' का मंचन भी राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान किया जाएगा।
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