Tuesday, 28 September 2010
इस दैवीय आपदा से हम उत्तराखंड को बहुत जल्द उभार देगें- 'निशंक'
ये राजनिति करने का समय नहीं,मिलकर चलने का समय है- 'निशंक'
पिछले दिनों उत्तराखंड में आयी बारिश की तबाही ने उत्तराखंड को हिलाकर रख दिया है। यही नहीं राज्य में बारिश और बादल फटने की अलग-अलग घटनाओं में इस साल करीब 150 लोग मारे जा चुके हैं। पिछले कुछ दिनों में ही 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राजधानी देहरादून में बारिश ने पिछले 44 सालों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। बादल जिस तरह से इस देव भूमि पर कहर बनकर बरसे,उन्होंने पहाड़ के आसुओं को रोके नहीं रूकने दिया। यहां कोई मार्ग-खेत-खलिहान और मकान ऐसा नहीं बचा जिसने इस बार आई इस प्राकृतिक आपदा की त्रासदी को ना झेला हो। बिजली,पानी,संचार,संपर्क,खाद्यान्न,दवाओं का अभाव इस बाढ़ की चपेट में आए। राज्य के ज्यादातर हिस्सों में लोग मुख्यालय से कट गए तो चारों ओर तबाही का मंजर ही मंजर नज़र आया।
उत्तराखंड में आयी इस प्राकृतिक विपदा से घिरे लोग कई बार टापू पर खडे होकर मदद की गुहार लगाते रहे। ऐसे कुदरती दुर्दिन में राज्य सरकार जहां पूरी संजीदगी के साथ इस आपदा का मुकाबला करती दिखायी दी। वहीं कांग्रेस का हात आम आदमी के साथ नारा देने वाली कांग्रेस ऐसे भीषणतम् समय में भी राजनिति करती हुई दिखायी दी। जहां उत्तराखंड के युवा और कर्मठ मुख्यमंत्री खुद जान जोखिम में डालकर दूर-दराज आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचकर,विषम परिस्थियों में भी राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी करने में लगे है।
उत्तराखंड को केंद्र से मिली थोड़ी सी राहत को कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री हरीश रावत इस आपदा से ग्रस्त लोगों के घाव भरने की जगह,उनको मदद पहुंचाने जगह,पत्रकारों की बड़ी मंडली को अपने साथ घुमा-घुमाकर इस दैवीय आपदा को तराजू में तौल रहे है। यही नहीं उत्तराखंड में विपक्ष के नेता भी रावत के शुर में शुर मिलाकर कह रहे हैं कि केंद्र ने राज्य को इस आपदा से निपटने के लिए भारी धन उपलब्ध कराया है। जबकि सच्चायी सब के सामने है। आज उत्तराखंड को जिस तरह से इस प्राकृतिक आपदा से घेरा है। उसे विश्व के मानचित्र पर साफ-साफ देखा जा सकता है। लेकिन विपक्ष को इस सब की जगह खुद के लिए राजनैतिक रोटियां सैकने का ज्यादा उचित समय लग रहा है। लेकिन इसके बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री इन तमाम नेताओं से निवेदन कर रहे हैं कि कृपया,ये राजनिति करने का समय नहीं,मिलकर चलने का समय है।
वर्षों बाद उत्तराखंड में आयी इस दैवीय आपदा ने पहाड़ों को जिस तरह से नुकसान पहुंचाया है। इसे देखते हुए डॉ.निशंक ने केंद्र से 21 हजार करोड़ रूपये की सहायता और राज्य को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करने का अनुरोध भी किया है। साथ ही राहत कार्यों में सहयोग हेतु सैन्य बलों को भेजने की बात भी कही। मुख्यमंत्री ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी राज्य के हालातों से अवगत कराया है। भारी वर्षा,बाढ़ एवं भू-स्खलन के कारण राज्य में उत्पन्न हुई विकट स्थिति से नई दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी,लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने राज्य के हालात को मजबूती से प्रधानमंत्री के समक्ष रखा। मुख्यमंत्री डॉ.निशंक के इन प्रयासों के परिणाम भी निश्चित तौर पर सामने आएं और केंद्र द्वारा तत्काल प्रभाव से 100 एन.डी.आर.एफ. के जवान उत्तराखंड के लिए रवाना किए गए और भूस्खलन एवं आपदा में मृत लोगों के परिजनों के लिए एक-एक लाख रूपये तथा घायलों को 50-50 हजार रूपये की सहायता प्रधानमंत्री द्वारा स्वीकृत की गयी। जबकि राज्य सरकार द्वारा भी मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रूपये मुआवजे के रूप में स्वीकृत किए गए। इस बारे में हमने जब अल्मोडा,उत्तरकाशी और यमुनोत्री-गंगोत्री राजमार्ग में फंसे लोगों से बात की तो,इन लोगों का कहना था कि,'उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री खुद अपनी जान की परवा किए बगैर,विषम परिस्थियों में भी हमारे गांव आएं,हमसे मिले और हमें दि जाने वाली तमाम सुविधाओं के बारे में जानकारी भी ली,साथ ही उन्होंने सभी उचअधिकारियों को निर्देश दिए की जल्द से जल्द राहत सामग्री उन लोगों तक पहुंचनी चाहिए। जिन लोगों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है'।
मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से हैं कि उन्होंने 18 सितंबर 10 को प्रदेश में दैवीय आपदा से हुए भारी नुकसान को देखते हुए तत्काल जिलाधिकारियों और शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश जारी किए। 19 सितंबर 10 को मुख्यमंत्री सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों से इस आपदा पर एक अहम बैठक कर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों के साथ चर्चा की और उन्हें निर्देश दिया कि वे बचाव एवं रहात कार्यों में तेजी लाए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि आपदा राहत के लिए धन की कमी को आड़े नहीं आने दिया जायेगा। साथ ही मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को आवश्यकता पड़ने पर हैलीकाप्टर के माध्यम से बचाव व राहत कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिए है। मुख्यमंत्री खुद इस अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं,और पल-पल की जानकारी ले रहे है।
और तेज हुआ दैवीय आपदा से निपटने का 'मिशन राहत'
सोमवार को मौसम थोड़ा साफ होते ही उत्तराखंड में आयी दैवीय आपदा से निपटने के लिए मिशन राहत और तेज हो गया है। मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरिया निशंक ने हैलीकाप्टर औप पैदल चलकर आपदाग्रस्त क्षेत्रों का भ्रमण किया और अफसरों को राहत कार्य में तत्परता बरतने के निर्देश भी दिए। उन्होंने तमाम अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकार की पहली प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित बचाना और उन्हें फौरी राहत मुहैया कराना है। इस बारे में जब हमने आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र से सूचना प्राप्त की तो,हमें प्राप्त सूचना के आधार पर, मुख्यमंत्री की अगवाही में उच्च हिमालयी क्षेत्र में फंसे पर्यटकों की खोज का कार्य राज्य सरकार द्वारा भारतीय थल सेना के दो चीता हैलीकॉप्टरों के मदद से जारी है। गंगोत्री-कालिन्दीखाल मार्ग पर फंसे पर्यटक दल की खोज के लिए 25 सिंतबर 10 से भारतीय थल सेना के चीता हैलीकॉप्टरों को लगाया गया है। जिनके द्वारा उस क्षेत्र का लगातार सर्वेक्षण किया जा रहा है। जहां यह पर्यटक हो सकते हैं,लेकिन पिछले दिनों ऊपरी हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते इन क्षेत्रों में इन पर्यटकों के होने के कोई चिन्ह नहीं पाये गए है। दूसरी तरफ पिथौरागढ़ जनपद के गुंजी में फंसे लोगों को हैलीकाप्टर की मदद से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। गुंजी में फंसे मीडिया के पांच लोगों को धारचुला तथा तीन घायलो को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल लाया गया है। जहां पर इन का उपचार किया जा रहा है। इसके साथ ही मरतोली में फंसे एक महाराज को मुंस्यारी लाया गया है।
इसी के साथ मुख्यमंत्री द्वारा उत्तराखंड के कई दूसरे आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया गया है। अल्मोड़ा जनपद में आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के 5593 लोगों को ठहराने के लिए 204 राहत कैंप स्थापित किए गए है। इसके अंतर्गत तहसील अल्मोड़ा में 57,रानीखेत में 60,द्वाराहाट में 03,जैंती में 60,सोमेश्वर में 02,भनौली में 17 एवं सल्ट में 05 राहत कैंप स्थापित किए गये है। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने का काम तेजी से किया जा रहा है। सभी राहत शिविरों में आवश्यक खाद्य सामग्री पहुंचा दी गया है और संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी के माध्यम से उसका वितरण भी सुनिश्चित् कर दिया गया है। जनपद में रसोई गैस की आपूर्ति का प्राथमिकता के आधार पर कराए जाने के साथ ही पेट्रोल,डीजल का स्टॉक प्रर्याप्त मात्रा में रख दिया गया हैं,ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो। क्षतिग्रस्त सड़कों के सुधारीकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। आपदा के कारण जो भी मार्ग क्षतिग्रस्त हुए हैं,उन्हें ठीक करने का काम युद्धस्तर पर जारी है। इसी के साथ उत्तराखंड को जोड़ने वाले मार्ग एवं सभी अवरुद्ध हुए मार्गों को खोलने के लिए भी युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है।
इसी के साथ मुख्यमंत्री भी पूरे प्रदेश की स्थिति को जानने के लिए खुद दौरा भी कर रहे है। जिससे प्रदेश की जनता काफी राहत महसूस कर रही है कि उनकी समस्याओं को जानने के लिए मुख्यमंत्री स्वयं पैदल चलकर उनके पास आ रहे है। निश्चित तौर पर डॉ.निशंक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से व्यक्तिगत तौर से मिलकर उन्हें ढांढस बंधा रहे कि इस दुःख की घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी है। जिससे लोगों में आशा जगी,साथ ही जिला प्रशासन भी हरकत में और प्रभावितों को तत्काल सहायता पहुंचाने में ओर तेजी लायी जा रही है। डॉ.निशंक ने शासन स्तर पर भी मुख्य सचिव को आपदा कार्यो की निगरानी के लिए कमान सौंपी है। मुख्य सचिव प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों से भली-भांती परिचित है। उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्देश पर देर शाम तक शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की और राहत एवं बचाव की समीक्षा की
इस दैवीय आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में लगातार मुख्यमंत्री जा रहे है। पिछले दिनों प्रभावित क्षेत्रों में बीमार लोगों को हैलीकॉप्टर से देहरादून लाने की व्यवस्था और उत्तरकाशी जनपद के नैटवार से 22 वर्षीय आशाराम,पुरोला से 65 वर्षीय लालचंद तथा पुरोला के ही ग्राम कण्डियाल से गंभीर रूप से बीमार 4 वर्षीय बच्चे धर्मेंद्र को हेलीकॉप्टर से देहरादून पहुंचाना मुख्यमंत्री का एक सराहनीय प्रयास रहा है। जहां दून अस्पताल में इन सभी का ईलाज चल रहा है। डॉ.निशंक प्रत्येक जनपद और गांव-गांव जाकर खुद देख रहे है कि इस दैवीय आपदा में घायल हुए लोगों और पशुओं को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही हैं कि नहीं। इस बारे में जब हमने निशंक जी से जानना चाह की अभी उत्तराखंड के हालत कैसे है तो उन्होंने बताया कि, धीरे-धीरे जीवन खुद को संवारने की कोशिश कर रहा है। हम केवल उसे एक राह से जोड़ रहे है। क्योंकि उत्तराखंड पर इतनी भयभीत कर देने वाली दैवीय आपदा पहली बार आयी हैं,लेकिन हम अपना सब कुछ झोंक कर इस आपदा से निपटने का प्रयास कर रहे है। हमें उम्मीद हैं कि हम इस स्वर्ग में फिर से फूल खिला देगें। जहां तक इस आपदा में घायलों की बात हैं तो उनके उपचार में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी और उनका पूरा ध्यान रखा जायेगा। मैं आपको अवगत करना चाहूंगा की बड़कोट में राहत सामग्री लेकर गए हैलीकॉप्टर से 13 लोगों को देहरादून लाया गया हैं,जिनमें सात फ्रांसीसी पर्यटक है। इसके साथ ही कई अन्य लोगों में एक गर्भवती महिला और एक बीमार बच्चे को यहां लाया गया है। पुरोला से सात लोगो को और चिन्यालीसौढ़ से 22 लोगों को हैलीकॉप्टर से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। इसी के साथ चिन्यालीसौढ़ में चार अतिरिक्त नौकाएं भी लगा दी गयी और प्रारम्भिक चरण में लगभग सौ से ज्यादा लोगों सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया गया है। कुमाऊं में बहुत से स्थानों पर सड़क मार्ग खुल जाने से कई ट्रकों से राहत सामग्री अल्मोडा़,बागेश्वर और पिथौरागढ़ के निकटतम स्थानों तक पहुंचायी दी गयी है। तीन ट्रक गैस सिलेण्डर भी कुमाऊं के विभिन्न क्षेत्रों के लिए भेज दिए गए है। जहां तक मानसरोवर यात्रा की बात हैं तो इसके 16वें समूह के 31 पुरूष एवं छः महिला समेत कुल 37 यात्रियों को गुंजी से धारचूला पहुंचाया गया। गुंजी में फंसे कैलाश मानसरोवर यात्रा के 37 यात्रियों को वायु सेना के एमआई-17 हैलीकॉप्टर से तीन चक्रों में सुरक्षित धारचूला तक लाया गया हैं और फिर टनकपुर पहुंचाया गया। जब हमने मुख्यमंत्री से इस आपदा के समय कांग्रेस के बयानों के बारे में जानना चाहा तो,डॉ.निशंक ने साफ किया की यह वक्त इस विपादा से निपटने का हैं,हमें इस पर ध्यान देना है। ये राजनिति करने का समय नहीं हैं बल्कि मिलकर चलने का प्रदेश की जनता के दुःखों को दूर करने का उन्हें राहत पहुंचाने का समय है'।
निश्चित तौर पर यह मिलकर काम करने का समय है। मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक जिस प्रकार से दैवीय आपदा से प्रभावित क्षेत्रों का हवाई एवं स्थलीय निरीक्षण कर रहे है। वह अपने आप में सराहनीय है। मुख्यमंत्री के एक दिन में कई जनपदों का दौर करना और राहत कार्यों का निरीक्षण करने से आम लोगों में सरकार के प्रति और अधिक विश्वास बढ़ा है। साथ ही मुख्यमंत्री की कार्यशैली की सभी सभी सराहना कर रहे है,और उनकी इस कर्मठता और अपने राज्य के प्रति,राज्य की जनता के प्रति खुद के संर्पण को देखते हुए अब कई सामाजिक और स्वयंसेवी संगठन में अपनी ओर से हर संभव मदद के लिए आगे आ रहे है।
- जगमोहन 'आज़ाद'
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