Thursday, 27 November 2008

कौथिग में दिखे भूले बिसरे गांव

२७.११.८ देहरादून : राज्य को अस्तित्व में आए भले ही आठ साल का अर्सा बीत चुका हो, लेकिन पहाड़ के हालात नहीं बदले। वहां आज भी हालात वही हैं, जिनसे निजात पाने को पहाड़वासियों ने ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी। जल-जंगल-जमीन से जुड़ी परिस्थितियां तब भी पहाड़ की चिंता थीं और आज भी हैं। वह तब और अब, इन्हीं परेशानियों से जूझ रही है, लड़ रही है हालात के खिलाफ। ऐसे में पहाड़ से जुड़ा कोई आयोजन हो और उसमें यह पीड़ा न झलके, कैसे हो सकता है? बुधवार को कौथिग-08 के तहत हुई आंचलिक वेशभूषा में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला। कौथिग स्थल रेंजर्स ग्राउंड में आयोजित आंचलिक वेशभूषा प्रतियोगिता में अधिकांशत: पहाड़ के सुदूर अंचल से आई महिलाओं ने शिरकत की। पारंपरिक परिधानों में सजीं जेवरों से लकदक यह प्रतिभागी ग्राम्य जीवन की विस्मृत झांकी पेश कर रही थीं। लेकिन, इससे सबसे हटकर भी इस आयोजन में कुछ खास था और वह था, पहाड़ की पीड़ा बयां करती प्रस्तुतियां।
गढ़ कौथिग की वेशभूषा प्रतियोगिता में पारंपरिक पर्वतीय वेशभूषा में महिलाएं। जागरण कुछ यूं सजा कौथिग

Friday, 7 November 2008

लंदन में दिखेगी उत्तराखंड की खूबसूरती

इस बार लंदन के व‌र्ल्ड ट्रेड मार्ट में उत्तराखंड की खूबसूरती की देखी जा सकेगी। मार्ट में एक पंडाल प्रदेश का भी लगाया जा रहा है। पर्यटन मंत्री प्रकाश पंत कहते हैं कि यह सब सूबे को इंडिया टूरिज्म का ध्वजवाहक बनाने को किया जा रहा है। लंदन में 10 से 13 नवंबर तक व‌र्ल्ड ट्रेड मार्ट का आयोजन किया जा रहा है। इसमें उत्तराखंड भी हिस्सेदारी करने वाला है। पर्यटन मंत्री प्रकाश पंत के नेतृत्व में एक टीम वहां जा रही है। श्री पंत ने बताया कि मार्ट में दुनियाभर से लोग आते हैं। इस मार्ट में उत्तराखंड का भी एक पंडाल लगाया जा रहा है। इसमें औली समेत सूबे के अन्य स्कीइंग डेस्टीनेशन, एडवेंचर टूरिज्म जैसे रिवर राफ्टिंग, पैरा ग्लाइडिंग, कयाकिंग और कैनोइंग के साथ ही माउंटेन बाइकिंग स्थलों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जानी है। श्री पंत ने बताया कि असली मकसद विदेशी सैलानियों को उत्तराखंड की तरफ आकर्षित करना है। मार्ट में औली में होने वाले विटंर सैफ गेम्स को भी केंद्र में रखा जाना है। कोशिश हो रही है कि दुनिया भर को बताया जा सके कि उत्तराखंड में नैसर्गिक सौंदर्य की भरमार है। कुदरत ने इस राज्य को दोनों हाथों से खूबसूरती से सजाया है। काबीना मंत्री ने बताया कि स्कीइंग के लिए औली तो पहले से जाना पहचाना नाम है। अब पिथौरागढ़ में मुनस्यारी के समीप खोलिया टाप और उत्तरकाशी में दियारा बुग्याल को भी स्कीइंग जोन के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा देहरादून में कृत्रिम बर्फ से आइस रिंक हाल का निर्माण अंतिम चरण में है। इसमें इंडोर स्कीइंग की सुविधा किसी भी मौसम में उपलब्ध हो सकेगी।

Saturday, 1 November 2008

पंचेश्वर डेवलपमेंट अथारिटी का ढांचा मंजूर

पंचेश्वर डेवलपमेंट अथारिटी का ढांचा मंजूर पंचेश्वर डेवलपमेंट अथारिटी को केंद्र की हरी झंडी मिलने से इसे अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो गया है। उत्तराखंड ने बारह प्रतिशत फ्री पावर की मांग के साथ ही परियोजना की 25 प्रतिशत बिजली पर भी अपना पहला हक जताया है। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव टीके नायर की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में अथारिटी गठन को अंतिम रूप दिया गया। बैठक में परियोजना की लागत पर भी चर्चा हुई। परियोजना की लागत को सिंचाई तथा ऊर्जा में विभाजित किया जाना है। अब तक मोटे तौर पर 25 प्रतिशत लागत सिंचाई पर और 75 प्रतिशत ऊर्जा पर डालने की बात की जा रही थी। नेपाल इससे सहमत नहीं है। नेपाल सिंचाई पर 40 प्रतिशत और ऊर्जा पर 60 प्रतिशत व्यय भार डालने का पक्षधर है। परियोजना की कुल लागत भारत तथा नेपाल को आधा-आधा वहन करना है पर सिंचाई पर आने वाली संपूर्ण लागत भारत वहन करनी होगी, क्योंकि परियोजना से संपूर्ण सिंचाई का लाभ भारत को ही मिलना है। लागत संबंधी इस मामले में दोनों देश अंतिम रूप से फैसला करेंगे। दिल्ली बैठक में भारत की तरफ से अथारिटी को अंतिम रूप देने पर चर्चा की गई। इस बैठक में उत्तराखंड को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिला। सूबे के ऊर्जा सचिव शत्रुघ्न सिंह ने परियोजना की कुल क्षमता का 12 प्रतिशत फ्री पावर का मामला बैठक में उठाया। 6000 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना में से यदि 12 प्रतिशत फ्री पावर मिलेगी तो 720 मेगावाट मुफ्त बिजली पर उत्तराखंड का हक होगा। उत्तराखंड यह भी चाहता है कि परियोजना की 25 प्रतिशत बिजली पर पहला हक उत्तराखंड का हो। यानि 25 प्रतिशत बिजली केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग की निर्धारित दरों पर मिले। ऊर्जा सचिव ने बैठक में ये दोनों बिंदु रखे। सूबे का पक्ष रखते हुए श्री सिंह ने कहा कि परियोजना में उत्तराखंड को ही सबसे अधिक विस्थापन की मार झेलनी है। ऐसे में राज्य को उसके हक से महरूम नहीं रखा जा सकता है।

घराट बनेंगे बहुआयामी

घराट बनेंगे बहुआयामी पहाड़ के घराट यानी गेंहूं पीसने वाली पारंपरिक पनचक्की से अब बिजली भी पैदा होगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि उत्तराखंड सहित देश के सभी पर्वतीय प्रदेशों में लगे करीब दो लाख घराटों से 20 लाख किलो वाट तक पनबिजली बनाई जा सकती है। इतना ही नहीं, ये घराट अब प्राचीन गंवई ज्ञान भर नहीं रह गए हैं, बल्कि इनसे रुई धुनने और धान कूटने तकनीक का भी विकास हो चुका है। घराटों के लिए विकसित नई तकनीक से टरबाइन चलाकर एक से 10 किलो वाट तक बिजली रोजाना बनाई जा सकती है। हर रोज तीन से 20 किलो तक गेंहू पीसने के साथ ही एक से पांच कुंतल तक धान कूटा जा सकता है और एक दिन में दो कुंतल रुई की धुनाई हो सकती है। खास बात यह भी है कि नई प्रौद्योगिकी में अब दो-तीन फीट गहरे-चौड़े पानी के बहते स्त्रोत से भी बिजली बनाना संभव है। ऐसे मंें घराट अब पहाड़ी क्षेत्र ही नहीं, मैदान मेंनहरों के किनारों पर भी कारगर हो सकते हैं। यही वजह है कि घराट की नई क्षमतापर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की निगाह है। अंतरराष्ट्रीय घराट सम्मेलन कराने व उत्तराखंड को घराट हब बनाने पर दिल्ली में मंथन चल रहा है। सीमांत पहाड़ी क्षेत्रों में सैकड़ों सालों से घराट चल रहे हैं। घराट से बिजली बनाने का देश में पहला संयंत्र उत्तराखंड (मसूरी) में करीब सवा सौ साल पहले स्थापित हुआ था पर बात आगे नहीं बढ़ सकी। अब पनबिजली की नई विकसित माइक्रो तकनीक का उपयोग होने जा रहा है। पद्मश्री डा. अनिल जोशी की संस्था हिमालयन इंवायरमेंटल स्टडी एंड कंजर्वेशन आर्गेनाइजेशन घराट तकनीक हस्तांतरण की दिशा में काम रही है। डा. जोशी ने बताया कि दिल्ली में घराट तकनीक पर प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दो दर्जन देशों के भाग लेने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि स्विटजरलैंड, चीन व न्यूजीलैंड आदि में घराट का स्वरूप भारत जैसा है। समझा जाता है कि पूरी दुनिया में इस तकनीक का विस्तार किसी एक ही केंद्र से तीसरी सदी में हुआ।

पहाड़ में भी पैदा होगा लारा

चांडलर, फ्रेक्विट, लारा, फरनोर। ये अखरोट की विश्र्व स्तरीय नवीनतम किस्में हैं। जो अब न केवल उत्तराखंड में किसानों के चेहरों पर रौनक लाएंगी, बल्कि सूबे की आर्थिकी में अहम् रोल भी निभाएंगी। अखरोट की इन किस्मों की खास बात यह है कि इनसे तीसरे साल ही उत्पादन मिलने लगता है और फल भी गुच्छों में लगते हैं। एक पेड़ से कई गुना तक उत्पादन लिया जा सकता है। अखरोट उत्पादन के मामले में जम्मू-कश्मीर का कोई सानी नहीं है और वहां से हर साल ही दो सौ करोड़ का अखरोट एक्सपोर्ट होता है। इसकी जम्मू-कश्मीर की आर्थिकी में अहम् भूमिका है। इसे देखते हुए उत्तराखंड में भी जम्मू-कश्मीर की भांति अखरोट उत्पादन को बढ़ावा देने की कवायद प्रारंभ की गई है। हालांकि, सूबे में अखरोट उत्पादन ठीक-ठाक होता है, मगर अभी तक इंडस्ट्री का आकार नहीं ले पाया है। इसे देखते हुए उद्यान महकमा सूबे में विश्र्व की नवीनतम अखरोट प्रजातियों की पौध तैयार कर इसे लगाने हेतु किसानों को प्रेरित कर रहा है। विभाग का मानना है कि नवीन किस्मों से आने वाले तीन-चार सालों में अखरोट का उत्पादन खासा बढ़ जाएगा। सूबे के उद्यान निदेशक डा.डीआर गौतम बताते हैं कि नवीनतम किस्मों में शामिल चांडलर, फ्रेक्विट, लारा, फरनोर के लिए उत्तराखंड का वातावरण पूरी तरह अनुकूल है। ये किस्में तीन साल में फल देने लगती हैं और फल भी गुच्छों में लगते हैं। डा.गौतम के अनुसार उत्तराखंड के लिए ये किस्में बेहद लाभकारी हैं। पहाड़ में अधिकांश भूमि बंजर पड़ी है। ऐसे में अखरोट के पेड़ों का रोपण वहां के लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा। अखरोट की नवीनतम किस्में ऐसी हैं, जिन्हें चार से दस हजार फुट तक सूखे पहाड़ से लेकर नदी-नालों के किनारे तक लगाया जा सकता है। यही नहीं, इनमें कीड़ा लगने की समस्या भी नाममात्र की है।

जज्बे के बूते झेलूंगी हर चुनौती

देहरादून: हरकतों में चुलबुलापन, बातचीत में बिंदास, फिलहाल स्टार जैसे नखरे नहीं। हां, अदा जरूर आ गई है। हर सवाल का बेबाकी से जवाब। चाहे वह मामला हाकी का हो या कोई और। खुद हाकी न खेल पाने का मलाल, लेकिन हर चुनौती से निपटने को तैयार। बात चक दे इंडिया फिल्म से देशभर में पहचान बनाने वाली चित्रांशी रावत की हो रही है। घर से दूर चकाचौंध भरी जिंदगी में घर की याद भी सालती है। हाकी का विकास न हो पाने के लिए वे सरकार और फेडरेशन को आड़े हाथ लेती हैं। उनकी इच्छा किसी गढ़वाली अलबम में अपने ऊपर लिखे गाने में डांस करने की है।

केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद

रुद्रप्रयाग, : वैदिक मंत्रोच्चारण व पूजा अर्चना के बीच 3१ अक्टूबर गृुरुवार को भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। हजारों भक्तों के जयकारों के साथ बाबा की उत्सव डोली पंचकेदार की गद्दीस्थल ओंकारेश्र्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हुई। अब छह महीने तक ओंकारेश्र्वर मंदिर में ही भोले बाबा की पूजा अर्चना होगी। प्रात: ठीक आठ बजे वेदपाठी व पुरोहितों ने वैदिक मंत्र व विधि-विधान के साथ केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए।

योगेंद्र प्रसाद को भारतीय शिरोमणी पुरस्कार

उत्तराखंड जलविद्युत निगम के चेयरमैन योगेंद्र प्रसाद को भारतीय शिरोमणी पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। साथ ही जलविद्युत निगम को गोल्ड मेडल से नवाजा जाएगा। यह पुरस्कार अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए इंस्टीटयूट ऑफ इकॉनोमिक्स स्टडीज की ओर से दिया जा रहा है। श्री प्रसाद को 17 नवंबर को दिल्ली में वर्तमान आर्थिक परिदृश्य विषय पर होने वाले एक सेमिनार में पुरस्कार से नवाजा जाएगा।

Monday, 27 October 2008

सभी भाईयों को दीपावली की शुभकामाना

राकेश जुयाल

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Saturday, 25 October 2008

24oct-परेड ग्राउंड में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देले लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी व अन्य कलाकार।

Friday, 24 October 2008

परिसम्पत्ति को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे: कंडारी

परिसम्पत्ति को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे: कंडारी सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री मातबर सिंह कण्डारी ने कहा है कि उत्तराखण्ड की दस अरब की परिसम्पत्ति अभी भी उत्तर प्रदेश के पास है। इस परिसम्पत्ति को वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया है। उत्तराखण्ड को जल्दी ही यह परिसम्पत्ति नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। सिंचाई मंत्री ने गुरुवार को एक पत्रकारवार्ता में पूर्ववर्ती सरकार पर परसम्पत्ति को लेकर कोई पहल न करने का आरोप लगाया। कंडारी ने कहा कि राज्य की 40 नहरें, तीन जलाशय, दो बैराज और 2842 भवन आज भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में हैं। सिंचाई मंत्री ने कहा कि नई टिहरी के ठेली, फड़ वालों को व्यवस्थित ढंग से दुकान दी जाएगी। दस नवम्बर तक पुनर्वास संबंधी सभी कार्याें निस्तारण के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

असंतोष को थामने की कवायद

लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड के असंतोष को थामने में जुटा भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व शुक्रवार को प्रदेश के असंतुष्ट नेताओं के साथ ही मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी से भी चर्चा करेगा। सूत्रों के अनुसार पार्टी असंतुष्टों को इस बार समझाने का साथ कड़ी चेतावनी भी दे सकती है। यह भी साफ है नेतृत्व बिहार की तर्ज पर मतदान के जरिए यहां के असंतोष को हल नहीं करेगा, लेकिन मुख्यमंत्री को जरूर फौजी तेवरों के बजाए राजनीतिक तौर-तरीकों को अपनाने की ताकीद की जाएगी। मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत का झंडा थामने वाले 17 विधायकों के बाद कुछ और विधायकों में असंतोष को देखते हुए पार्टी आलाकमान इस मामले को जल्द हल करने के मूड में हैं। शुक्रवार को प्रदेश के अंसतुष्ट नेताओं के दिल्ली आने की संभावना है। असंतुष्ट खेमे के नेता पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को भी दिल्ली बुलाया गया है। मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी भी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसी दिन दिल्ली आने वाले हैं। इस तरह आलाकमान एक बार फिर से दोनों पक्षों को सुनकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर सकता है। हालांकि यह साफ है कि लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी प्रदेश में किसी तरह के बड़े बदलाव के मूड में नहीं है। सूत्रों के अनुसार असंतुष्टों के पार्टी की मर्यादा से बाहर जाने की स्थिति में उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। चूंकि पार्टी के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य लोकसभा चुनाव हैं और वह उसमें किसी तरह की बाधा स्वीकार करने के मूड में कतई नहीं है। दरअसल, उत्तराखंड में पार्टी विधायकों का असंतोष खंडूरी के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही शुरू हो गया था। पार्टी के एक प्रमुख केंद्रीय नेता का मानना है कि समस्या की जड़ में सरकार का कामकाज नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री का स्वभाव है। चूंकि वे वर्षो तक फौजी परवेश में रहे, इसलिए राजनीतिक तौर तरीकों को उतना बेहतर नहीं जानते हैं। इसके लिए पहले भी मुख्यमंत्री को अपने व्यवहार में बदलाव लाने को कहा गया है।

२४अक्टूबर-आज उत्तराखँड के केदारनाथ में बच्चन परिवार

हल्द्वानी के नुपुर नृत्य कला केन्द्र के कलाकारों ने मुख्य मंच पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसमें कुमाऊं की प्रसिद्ध हिल जात्रा व हुड़किया बौल की आकर्षक प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया।

आज मचेगी नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों की धूम

२४ oct-परेड मैदान में चल रहे सरस मेले में शुक्रवार को विख्यात गढ़वाली लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी राजधानीवासियों को लोकरंग में रंगने वाले हैं।

विरासत में हुआ तीन धाराओं का संगम

24 october देहरादून विरासत-2008 के तहत गुरुवार की शाम नृत्य के शास्त्रीय संगम त्रिधारा के नाम रही। देश के प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित शास्त्रीय नृत्यांगनाओं शोभना नारायण, किरण सहगल व भारती शिवा ने कत्थक, ओडिसी व मोहिनीअट्टम की ऐसी नयनाभिराम छटा बिखेरी कि दर्शक वाह-वाह कर बैठे। इसके अलावा झारखंड के मुखौटा व मध्यप्रदेश के बधाई नृत्य ने भी मनोहारी छटा बिखेरी। गुरुवार को ओंकारेश्र्वर धाम में देश की तीन सुप्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगनाओं के नृत्य से आलोकित रहा। कत्थक में सौंदर्य, भाव प्रवीणता व नवाचारों का समावेश दिखा, वहीं ओडिसी में सूक्ष्मता व विशिष्टता का सम्मिश्रण देखने को मिला। मोहिनी अट्टम की साहसिक विशिष्टता का भी अपना अलग ही अंदाज था। शास्त्रीय नृत्य का शुभारंभ शिवपूजा से हुआ, जिसमें तीनों नृत्यांगनाओं की विविधताभरी नृत्य शैलियों का समावेश मन-मस्तिष्क के तारों को झंकृत कर देने वाला था।

Thursday, 23 October 2008

इंदिरा गांधी राष्टीय कला केन्द्र ,नई दिल्ली के तत्वधान में कौथिक गढवाल उत्सव २०-२५ अक्टूबर २००८ को

खत्म हुआ समयबद्ध वेतनमान का प्रावधान

खत्म हुआ समयबद्ध वेतनमान का प्रावधान छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार वेतन बैंड का विस्तार काफी अधिक है। किसी भी वेतनमान के शीर्ष पर पहुंचने के बाद अगला वेतन बैंड स्वत: अनुमन्य है। किसी भी कार्मिक के मामले में अधिकतम वेतन वृद्धि में अवरोध की स्थिति नहीं आएगी। इसलिए समयबद्ध वेतनमान का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। 31 अगस्त-08 तक स्वीकृत हो चुके समयबद्ध वेतनमान के प्रकरणों में अनुमन्य वेतनमान सापेक्ष वेतन बैंड के तहत शामिल किए जाएंगे। इस संबंध में प्रमुख सचिव (वित) आलोक कुमार जैन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राज्य कर्मियों को एक जनवरी-06 से पुनरीक्षित वेतनमान की स्वीकृति दी गई है। संशोधित वेतन ढांचे में वार्षिक वृद्धि की दर वेतन बैंड में तय वेतन और इसके सापेक्ष लागू ग्रेड-पे के योग की तीन फीसदी होगी।

देहरादून में खुलेगा भारतीय मानक ब्यूरो का कार्यालय

२३अक्टूबर -देहरादून सूबे के उद्यमियों को उत्पाद के मानकीकरण के लिए अब गाजियाबाद व लखनऊ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। भारतीय मानक ब्यूरो जल्द ही देहरादून में एक कार्यालय स्थापित करेगा।

मैती आंदोलन

मैती आंदोलन की शुरुआत 1995 में उत्तराखंड के ग्वालदम क्षेत्र से हुई। विवाह के समय वर-वधू द्वारा पौधे रोपित किए जाते समय वर द्वारा गांव के मैती संगठन को कुछ दक्षिणा देता है. यह पैसा मैती संगठन की बालिकाएं जमाकर गांव की दूसरी गरीब बहनों की शिक्षा पर खर्च करती हैं. इस तरह मैती कोई समिति न होकर सामाजिक समरसता का आधार है. मैती आंदोलन भावनाओं से जुड़ा हुआ सके संस्थापक कल्याण सिंह रावत के मुताबिक इसकी प्रेरणा नेपाल में चल रहे नेपाल मैती आंदोलन से मिली. उनका कहना है कि अब यह आंदोलन कैलिफोर्निया, अमेरिका, थाइलैंड और इंग्लैंड में भी पहुंच चुकी है. श्री रावत बताते हैं कि सरकार लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करके पौधरोपण करा रही है, लेकिन पौधे पनप नहीं पा रहे हैं. इसका एक मात्र कारण है कि पौधे लगाने वाले प्रोफेशनल लोग हैं. उनका पौधे के साथ कोई भावनात्मक लगाव नहीं होता. इसी से लगाने के बाद पौधा बचे या सूखे, इससे उनका कोई मतलब नहीं होता. उनके मुताबिक इसीलिए हम हर मौके पर पौधे लगाने की बात कहते हैं ताकि भावनाओं को स्थायित्व प्रदान किया जा सके. एक लड़की के लिए अपने मायके से बढ़कर सुख कहीं नहीं होता. मायके से जुड़ी हर चीज से उसका खास लगाव होता है. मैती आंदोलन से जुड़ी लड़कियां अपनी शादी के समय अपने पति के साथ एक पौधा लगाती हैं. उस पौधे को अपनी पुत्री की निशानी मानकर माता-पिता इसकी देखभाल करते हैं. मैती आंदोलन के जनक 19 अक्टूबर 1953 को चमोली के बैनोली गांव में जन्मे कल्याण सिंह रावत के नेतृत्व में इस आंदोलन के तहत अब तक लाखों पेड़ लगाए जा चुके हैं. ऐसे समय में जब कि तमाम एनजीओ पौधरोपण के नाम पर तमाम फर्जी संगठनों का गठन कर धरातल से दूर हो गए हैं वहीं कल्याण सिंह रावत कुछ ऐसे शख्सियतों में शुमार हैं जो binaa सरकारी सहायता के अपने स्वयं के संसाधनों से मैती जैसा ग्लोबल इन्वायरनमेंट मूवमेंट चला रहे हैं. मैती आंदोलन के तहत हर गांव में एक मैती संगठन का निर्माण किया गया है. श्री रावत बताते हैं कि जब तक किसी आंदोलन से लोगों का भावनात्मक लगाव नहीं होगा, मंशा चाहे जितनी नेक हो, सफल नहीं हो सकता. मैती एक भावनात्मक आंदोलन है. जो उत्तराखंड के कई गांवों के अलावा मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र जैसे देश के 18 राज्यों में चलाया जा रहा है. मैती आंदोलन के तहत कई पर्यावरण मेलों, लोकमाटी वृक्ष अभिषेक, देवभूमि क्षमा यात्रा सहित सौ से भी अधिक प्रोग्राम आयोजित किए जा चुके हैं. मैती जैसे पर्यावरणीय आंदोलन के लिए कई सम्मान और अवा‌र्ड्स से नवाजे गए कल्याण सिंह रावत कहते हैं कि आज जिन लोगों को पर्यावरण का प तक नहीं पता वे लोग बड़े-बड़े अंग्रेजी नामों से एनजीओ खोलकर पर्यावरणविद् बन बैठे हैं. मैती केवल भावनात्मक पर्यावरण आंदोलन नहीं है बल्कि यह गांवों की सांस्कृतिक विरासत को बचाने की मुहिम भी है. . हमारा लक्ष्य सिर्फ पर्यावरण को बचाना है. इसके जरिए हम लोगों को एक-दूसरे की हेल्प करने के लिए भी अवेयर कर रहे हैं. हमें खुशी है कि इसमें लोगों का सहयोग मिल रहा है, यह पॉल्यूशन फ्री एन्वॉयरनमेंट के लिए अवेयर लोगों की पहल भी है.

Wednesday, 22 October 2008

क्या सकून हैं क्या पहाडं हैं

अल्मोड़ा में सादगी और सहज व्यवहार से कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह इस दौर के तमाम राजनेताओं से एकदम हटकर हैं। साथ ही एहसास कराया कि वह अपने पिता राजीव गांधी के नक्शेकदम पर हैं। राहुल ने सोमवार को सर्किट हाउस में रात्रि विश्राम किया। उनकी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी भी यहां ठहर चुके हैं। इससे पहले वह रात्रि 10:35 बजे बिना सुरक्षा तामझाम के सर्किट हाउस से पैदल निकल पड़े। एसपीजी की अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था को छोड़ उन्हें आम आदमी की तरह बाजार में घूमता देखकर लोग हतप्रभ रह गए। देर रात तक प्रतिष्ठान खोलने वाले दुकानदारों और अन्य लोगों के लिए कांग्रेस के युवराज को कड़ाके की सर्दी में बाजार में घूमते देखना किसी आश्चर्य से कम नहीं था। जिन दुकानदारों से राहुल ने भेंट की, वे अभिभूत थे

सख्त हुई भाजपा

२२ अक्टूबर -अब बगावती तेवरों से सख्ती के साथ निपटने का मन बना लिया है। इस क्रम में विधायक हरभजन सिंह चीमा को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। प्रदेश महामंत्री अजय भट्ट ने कहा कि पुष्ट साक्ष्य मिलने पर सख्त कार्रवाई तय है। कुछ भाजपाई विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावती तेवर अपना रखे हैं। अभी तक भाजपा संगठन इन्हें समझाने-बुझाने की रणनीति पर काम कर रहा था। अब लगता है कि बार-बार फजीहत झेल रहे संगठन ने इनके खिलाफ सख्त रुख अपनाने का मन बना लिया है। इसी क्रम में आज भाजपा के टिकट पर काशीपुर सीट से जीते विधायक हरभजन सिंह चीमा को एक नोटिस जारी किया गया है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री अजय भट्ट ने बताया कि विधायक श्री चीमा ने 17 विधायकों के इस्तीफे के बारे में न्यूज चैनल को भ्रामक सूचना दी और संगठन विरोधी टिप्पणी की। इससे संगठन और सरकार, दोनों की छवि पर असर पड़ा। पार्टी संविधान के अनुसार न्यूज चैनल या फिर समाचार पत्रों में इस प्रकार की बात करना गंभीर अनुशासनहीनता का मामला है। श्री भट्ट ने कहा कि श्री चीमा भाजपा विधानमंडल दल के सदस्य हैं। प्रदेश अध्यक्ष बची सिंह रावत ने विधायक के इस काम को खासी गंभीरता से लिया है। अध्यक्ष के निर्देश पर श्री चीमा को नोटिस जारी करके एक सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है, ताकि इस मामले में आगे की कार्रवाई से पहले उनका पक्ष भी सुना जा सके। श्री भट्ट ने बताया कि पुष्ट साक्ष्य मिलने पर विधायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है।

Tuesday, 21 October 2008

उत्तराखँड पहुचे राहुल गांधी

2१ october - पहले सियासी दौरे पर हल्द्वानी पहुंचे कांग्रेस युवराज राहुल गांधी का पूरा समय विद्यार्थियों के बीच बीता। छात्र-छात्राओं से सीधे संवाद में उनके सामने संगठन और समाज दो बिंदु प्रमुख रहे। बोले-देश के लिए मजबूत कंधे तैयार करने निकला हूं। विद्यार्थियों का सीधा सरोकार रोजगार से ही नहीं होना चाहिए, देश की जिम्मेदारी भी बहुत बड़ी है। इसे भी तो नई पीड़ी को ही संभालना है।खटीमा और रामनगर के बाद हल्द्वानी में वह 23 मिनट रुके। रात्रि विश्राम उन्होंने अल्मोड़ा में किया। निर्धारित समय से सवा घंटे देर से पहुंचे राहुल गांधी का हैलीकॉप्टर आम्रपाली इंस्टीट्यूट परिसर के हैलीपेड पर उतरा। श्री गांधी परिसर में काफी समय से इंतजार कर रहे तमाम छात्र-छात्राओं के बीच सीधे पहुंचे और साथ मिलाते हुए इंस्टीट्यूट के मीटिंग हाल में पहुंच गए। वहां मौजूद करीब डेढ़ सौ विद्यार्थियों से उन्होंने सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि देश हित सर्वोपरि है।

नैनीताल शरदोत्सव में गढ़वाली लोकनृत्य प्रस्तुत करते कलाकार।

धना, धना, धनुली धन तेरो परान.

नैनीताल शरदोत्सव में लोक गायक हीरा सिंह राणा ने कई दिलकश प्रस्तुतियां दी। दिल्ली के हाइलेंडर ग्रुप के बैनर तले श्री राणा ने गीतों के माध्यम से पहाड़ में खत्म होते सामाजिक, राजनीतिक मूल्यों पर चिंता जताई। 67 वर्षीय श्री राणा ने पहला गीत आजकल हैरे ज्वांन, मेरी न्यौली पराण., धना, धना, धनुली धन तेरो परान., मैं तेरी नराई लागी दीपा कोई निशानी. आदि लोक गीत गाकर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। युवा से लेकर बुजुर्ग तक उनके गीतों में झूम उठे। इसी दल के विशन हरियाला ने पुष्पा लुकी रै. गीत प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। इंदू हरबोला ने मोहना-मोहना. गीत प्रस्तुत किया। इसी दल द्वारा मोहन तेरी मुरली बाजी, ग्वाल बाल का संग., बारह बरस की तपस्या द्वारिका जाए संग. गीत की प्रस्तुति दी। सुर भारती हल्द्वानी के कलाकारों ने बागेश्र्वर की विमला छोरी., संगम सांस्कृतिक कला मंच देहरादून द्वारा गढ़वाली व जौनसारी संस्कृति पर आधारित आकर्षक प्रस्तुतियां दी।

उत्तराखंड के 17 बागी विधायकों ने दिए इस्तीफे

उत्तराखंड के 17 बागी विधायकों ने दिए इस्तीफे 2१ अक्टूबर - उत्तराखंड में मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के खिलाफ बगावत का झंडा उठाए विधायकों ने अब सामूहिक इस्तीफे का दांव खेल कर भाजपा आलाकमान पर दबाव बढ़ा दिया सूत्रों के अनुसार पार्टी के 17 विधायकों ने अपने इस्तीफे राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेज दिए हैं। असंतुष्ट खेमे के प्रदेश के एक मंत्री ने कुछ विधायकों के साथ सोमवार शाम दिल्ली आकर राजनाथ सिंह को यह इस्तीफे सौंपे हैं। असंतुष्ट धड़े के नेता भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा इसमें नहीं है, बताया जाता है कि वे एक-दो दिन में अपना इस्तीफा सीधे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप सकते हैं। उत्तराखंड में बगावत का नया दौर उस समय सामने आया है, जब पार्टी नेतृत्व पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटा हुआ है। सूत्रों के अनुसार सोमवार शाम प्रदेश सरकार के एक मंत्री व कुछ विधायकों ने राजनाथ सिंह से मुलाकात कर उन्हें चार मंत्रियों समेत 17 विधायकों के इस्तीफे सौंप दिए। इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में प्रकाश पंत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, केदार सिंह फोनिया व बीना महराना शामिल हैं। इन विधायकों व मंत्रियों ने दो दिन पहले अपने इस्तीफे फैक्स कर भेजे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व द्वारा खास तवज्जो न देने के बाद उन्होंने अपने इस्तीफों की प्रतियां ही दिल्ली -२१ oct -अक्टूबर -जागरण

Monday, 20 October 2008

१८ अक्टूबर से नेनीताल में आयोजित शरदोत्सव

पर्यटन मंत्री श्री पंत सरोवर नगरी नैनीताल में आयोजित शरदोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए श्री पंत ने कहा कि राज्य की संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार अब तक प्रदेश में 142 मेलों का आयोजन कर चुकी है। इन मेलों में स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन देने के हरसंभव उपाय किए गए। श्री पंत ने कहा कि पर्यटन इस राज्य का मुख्य उद्योग है। इसलिए पर्यटकों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार बेहद गंभीर है। इस दिशा में समय-समय पर सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण के साथ-साथ पर्यटकों के मनोरंजन के ठोस प्रयास इस तरह आगे भी जारी रहेंगे। इस अवसर पर मंडलायुक्त एस राजु ने सरोवर नगरी में आयोजित होने वाले शरदोत्सव को देहरादून में आयोजित होने वाले विरासत कार्यक्रम की भांति भव्य स्वरूप प्रदान किए जाने पर जोर दिया। पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पर्यटन मंत्री के सम्मान में अभिनंदन पत्र पढ़ा। आयोजन समिति ने पर्यटन मंत्री को स्मृति चिह्न व शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

निर्मल ग्राम पुरस्कार-२००८ उत्तराखंड के नैनीताल जिले से लीलावती

170ct-राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने हरियाणा में के हिसार में निर्मल ग्राम पुरस्कार-2008 वितरण समारोह में बोल रही थीं। समारोह में नौ राच्यों के 3209 निर्मल गांवों को अवार्ड दिया गया। पाटिल ने जिन प्रतिनिधियों को सम्मानित किया, उनमें गुजरात के खेड़ा जिले से मंजुला बेन मकवाना, हरियाणा के भिवानी जिले से पूनम देवी, हिमाचल के किन्नौर जिले से कमला देवी, उत्तर प्रदेश से मीरजापुर जिले से अखिलेश कुमार और उत्तराखंड के नैनीताल जिले से लीलावती शामिल हैं।

Saturday, 18 October 2008

तमन्ना यही कि सिर पर सजे ताज

क्या आप नहीं चाहेंगे कि इस बार इंडियन ऑइडल-2008 का ताज उत्तराखंड की बेटी के सिर पर सजे। यदि हां, तो इसके लिए आपको अधिक से अधिक वोटिंग करनी पड़ेगी और यह सिलसिला शुरू होगा 17 अक्टूबर को रात्रि साढ़े नौ बजे से। ओएनजीसी (दिल्ली) में कार्यरत जौनसार बाबर के ग्राम रानी निवासी इंद्र सिंह नेगी की पुत्री प्रियंका इंडियन ऑइडल के टॉप 28 में चयनित होने वाली उत्तराखंड की एकमात्र प्रतिभागी है।
Samanaya Dekhi Ek akeli si Tibari Apna Bachpan Yaad aya Yaad aya, ki ashi hi ek Tibari mein, Tha khabhi khoob tha Bhaat khaya, Ab yadein Tasviron mein sanjone ki hai kosish.... Mahesh bahtt

Friday, 17 October 2008

विरासत-२००८ बेडू पाको बारामासा

देहरादून 12 oct- खुले आकाश में खिलखिलाता चांद, चीड़ के बड़े-बड़े दरख्त और उनके आंचल में अलौकिक आभा बिखेरता प्रभु का ओंकारेश्र्वर धाम। चारों ओर बिखरीं विद्युत रश्मियां परीलोक का-सा आभास दे रही हैं। अचानक ढोल-दमाऊं व मशकबीन की स्वर लहरियां कानों में पड़ती हैं, जो धीरे-धीरे नजदीक आ रही हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है हम दूर पहाड़ों की कंदराओं में पहुंच गए हैं। इसी आध्यात्मिक अनुभूति के बीच आगाज होता है विरासत-2008 का। रंगमंच पर जय नंदा कला केंद्र अल्मोड़ा के कलाकारों की टोली पहुंच गई है। लोकगायक चंदन सिंह वोरा की अगुवाई में यह टोली लोकधुनें बिखेरती हुई कुमाऊं का नयनाभिराम छोलिया नृत्य प्रस्तुत करती है। टोली की ना बासा घुघुती चैता की, नराई लगीं च मंै मैता की, बेडू पाको बारामासा जैसे गीत-नृत्यों की प्रस्तुति देखते ही बनती थी। लोकगायिका बसंती बिष्ट नंदा देवी जागर व महाभारत की लोकगाथा के कुछ अंशों की प्रस्तुति भौतिकता से आध्यात्मिकता और आनंद से परमानंद की ओर ले जाने वाली है। स्वामी आदित्यानंद के सानिध्य में संस्थान के दो छात्र-छात्राएं रुद्राष्टाध्यायी पाठ करते हैं। प्रथम दिवस की अंतिम प्रस्तुति हिंदुस्तान की जानी-मानी गायिका कविता कृष्णामूर्ति, उनके पति डा.एल.सुब्रमण्यम और उनके पुत्र-पुत्री की रही। आगाज कविता कृष्णामूर्ति ने ओम नम: शिवाय, तीन शब्दों में सृष्टि सारी समाय से की। उन्होंने ठुमरी व मुजरा का समावेश लिए गीत तुम्हारी अदाओं पे मैं मारी-मारी पेश किया। डा.एल.सुब्रमण्यम व उनके पुत्र लक्ष्मी नारायण सुब्रमण्यम ने जब वायलिन की तान छेड़ी तो पूरा अंबेडकर स्टेडियम झंकृत हो उठा।

शरदोत्सव-2008 -लौटाएंगे पहाड़ों की रानी की खूबसूरती

13 OCT- मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी ने कहा कि पहाड़ों की रानी मसूरी की खूबसूरती को लौटाने को सरकार पूरी तरह गंभीर उन्होंने कहा कि पर्यटकों को लुभाने के लिए और अधिक सुविधाएं दिए जाने का प्रयास किया जाएगा। देहरादून से मसूरी तक केबल कार का संचालन शीघ्र कराया जाएगा। नगर की पार्किंग व अन्य समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाएगा। रविवार को गांधी चौक पर नगरपालिका परिषद के तत्वावधान में आयोजित शरदोत्सव-2008 का बतौर मुख्य उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि मसूरी से उनके पुरखों का पुराना संबंध रहा है। वे नगर की समस्याओं से भलीभांति परिचित हैं। श्री खंडूड़ी ने कहा कि मसूरी की सुंदरता को लौटाने के लिए सरकार गंभीर प्रयास करेगी। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सुख-सुविधाओं में इजाफा किया जाएगा और पार्किंग समेत मूलभूत सुविधाओं के लिए भी प्रयास किए जाएंगे। क्षेत्र के विधायक जोत सिंह गुनसोला व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए नगर की मूलभूत समस्याओं की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि लंबीधार में यूपीएसएमडीसी की खाली भूमि पर प्रदूषण रहित उद्योग लगाए जाएं, जिससे यहां के बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। इसके अलावा उन्होने ऑडिटोरियम, भिलाड़ू में प्रस्तावित खेल मैदान का निर्माण व एमपीजी कालेज में रोजगारपरक कोर्स खुलवाने की भी मांग की। इससे पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने मुख्यमंत्री खंडूड़ी को अभिनंदन पत्र सौंपा। इस अवसर पर विधायक खजान दास, गणेश जोशी, सभासद जयकुमार गुप्ता, संतोष आर्य, रमेश भंडारी, सुशील कुमार अग्रवाल, वीरेंद्र सिंह रावत, सुभाषिनी बत्र्वाल, केदार सिंह चौहान, कांता बिष्ट, राजेश्वरी रावत, नंदलाल, जसवीर कौर, सनातन धर्म सभा के महामंत्री राकेश कुमार, भाजपा नगर अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह राणा, प्रेस क्लब अध्यक्ष जयप्रकाश उत्तराखंडी समेत नगर के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री का फूलमालाओं से स्वागत किया।

Friday, 10 October 2008

ऐसे हुआ उत्तराखण्ड का गठन

है अगर बिश्वास तो मंजिल मिलेगी, शर्त ये बिन रुके चलना पडेगा । १९३८ से पहले गोरखो के आक्रमण व उनके द्वारा किये अत्याचरो से अन्ग्रेजी शाशन द्वारा मुक्ति देने व बाद मे अन्ग्रेजो द्वारा भी किये गये शोषण से आहत हो कर उत्तराखण्ड के बुद्धिजीवियो मे इस क्षेत्र के लिये एक प्रथक राजनैतिक व प्रशासनिक इकाई गठित करने पर गम्भीरता से सहमति घर बना रही थी. समय-समय पर वे इसकी माग भी प्रशासन से करते रहे.१९३८ = ५-६ मई, को कान्ग्रेस के क्षीनगर गढ्वाल सम्मेलन मे क्षेत्र के पिछडेपन को दूर करने के लिये एक प्रथक प्रशासनिक व्यवस्था की भी माग की गई. इस सम्मेलन मे माननीय प्रताप सिह नेगी, जवहरलाल नेहरू व विजयलक्षमी पन्डित भी उपस्थित थे.१९४६: हल्द्वानी सम्मेलन मे कुर्मान्चल केशरी माननीय बद्रीदत्त पान्डेय, पुर्णचन्द्र तिवारी, व गढ्वाल केशरी अनसूया प्रसाद बहुगुणा द्वारा पर्वतीय क्षेत्र के लिये प्रथक प्रशासनिक इकाई गठित करने की माग की किन्तु इसे उत्तराखण्ड के निवासी एवम तात्कालिक सन्युक्त प्रान्त के मुख्यमन्त्री गोविन्द बल्लभ पन्त ने अस्वीकार कर दिया. १९५२: देश की प्रमुख राजनैतिक दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम महासचिव, पी.सी. जोशी ने भारत सरकार से प्रथक उत्तराखण्ड राज्य गठन करने का एक ग्यापन भारत सरकार को सोपा. पेशावर काण्ड के नायक व प्रसिध्द स्वतन्त्रता सेनानी चन्द्र सिह गढ्वाली ने भी प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु के समक्ष प्रथक पर्वतीय राज्य की माग क एक ग्यापन दिया. १९५५: २२ मई नई दिल्ली मे पर्वतीय जनविकास समिति की आम सभा सम्पन्न. उत्तराखण्ड क्षेत्र को प्रस्तावित हिमाचल प्रदेश में मिला कर ब्रहद हिमाचल प्रदेश बनाने की मांग.१९५६: प्रथक हिमाचल प्रदेश बनाने की मांग राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा ठुकराने के बाबजूद ग्रहमन्त्री गोविन्द बल्लभ पन्त ने अपने बिशेषाधिकारों का प्रयोग करते हुये हिमाचल प्रदेश की मांग को सिद्धांत रूप में स्वीकार किया. किन्तु उत्तराखण्ड के बारे में कुछ नहीं किया. १९६६: अगस्त माह में उत्तरप्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र के लोगों ने प्रधानमन्त्री को ग्यापन भेज कर प्रथक उत्तरखण्ड राज्य की मांग की.१९६७: (१० - ११ जून) : जगमोहन सिंह नेगी एवम चन्द्र भानू गुप्त की अगुवाई में रामनगर कांग्रेस सम्मेलन में पर्वतीय क्षेत्र के विकास के लिये प्रथक प्रशासनिक आयोग का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा. २४-२५ जून, प्रथक पर्वतीय राज्य प्राप्ति के लिये आठ पर्वतीय जिलों की एक ’पर्वतीय राज्य परिषद का गठन नैनीताल में किया गया जिसमें दयाक्र्ष्ण पान्डेय अध्यक्ष एवम ऋशिबल्लभ सुन्दरियाल, गोविन्द सिहं मेहरा आदि शामिल थे. १४-१५ अक्टूबर: दिल्ली में उत्तराखण्ड विकास संगोष्टी का उदघाटन तत्कालिन केन्द्रिय मन्त्री अशोक मेहता द्वारा दिया गया जिसमें सांसद एवम टिहरी नरेश मान्वेन्द्र शाह ने क्षेत्र के पिछडेपन को दूर करने के लिये केन्द्र शासित प्रदेश की मांग की.१९६८: लोकसभा में सांसद एवम टिहरी नरेश मान्वेन्द्र शाह के प्रस्ताव के आधार पर योजना आयोग ने पर्वतीय नियोजन प्रकोष्ठ खोला. १९७०: (१२ मई) तात्कालिक प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी ने पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं का निदान प्राथमिकता से करने की घोषणा की.१९७१: मा० मान्वेन्द्र शाह, नरेन्द्र सिंह बिष्ट, इन्द्रमणि बडोनी और लक्क्षमण सिंह जी ने अलग राज्य के लिये कई जगह आन्दोलन किये.१९७२: क्ष्री रिषिबल्लभ सुन्दरियाल एवम पूरण सिंह डंगवाल सहित २१ लोगों ने अलग राज्य की मांग को लेकर बोट क्लब पर गिरफ़्तारी दी.१९७३: पर्वतीय राज्य परिषद का नाम उत्तरखण्ड राज्य परिषद किया गया. सांसद प्रताप सिंह बिष्ट अध्यक्ष, मोहन उप्रेती, नारायण सुंदरियाल सदस्य बने.१९७८: चमोली से बिधायक प्रताप सिंह की अगुवाई में बदरीनाथ से दिल्ली बोट क्लब तक पदयात्रा और संसद का घेराव का प्रयास. दिसम्बर में राष्त्रपति को ग्यापन देते समय १९ महिलाओं सहित ७१ लोगों को तिहाड भेजा गया जिन्हें १२ दिसम्बर को रिहा किया गया. १९७९: सांसद त्रेपन सिंह नेगी के नेत्रत्व में उत्तराखण्ड राज्य परिषद का गठन. ३१ जनवरी को भारी वर्षा एवम कडाके की ठंड के बाबजूद दिल्ली में १५ हजार से भी अधिक लोगों ने प्रथक राज्य के लिये मार्च किया.१९७९: (२४-२५ जुलाई) मंसूरी में पत्रकार द्वारिका प्रसाद उनियाल के नेत्रत्व में पर्वतीय जन विकास सम्मेलन का आयोजन. इसी में उत्तराखण्ड क्रांति दल की स्थापना. सर्व क्ष्री नित्यानन्द भट्ट, डी.डी. पंत, जगदीश कापडी, के. एन. उनियाल, ललित किशोर पांडे, बीर सिंह ठाकुर, हुकम सिंह पंवार, इन्द्रमणि बडोनी और देवेन्द्र सनवाल ने भाग लिया. सम्मेलन में यह राय बनी कि जब तक उत्तराखण्ड के लोग राजनीतिक संगठन के रूप एकजुट नहीं हो जाते, तब तक उत्तराखण्ड राज्य नहीं बन सकता अर्थात उनका शोषण जारी रहेगा. इसकी परिणिति उत्तराखण्ड क्रांति दल की स्थापना में हुई. १९८०: उत्तराखण्ड क्रांति दल ने घोषणा की कि उत्तराखण्ड भारतीय संघ क एक शोषण बिहीन, वर्ग बिहीन और धर्म निर्पेक्ष राज्य होगा.१९८२: प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने मई में बद्रीनाथ मे उत्तराखण्ड क्रांति दल के प्रतिनिधि मंडल के साथ ४५ मिनट तक बातचीत की. १९८३: २० जून को राजधानी दिल्ली में चौधरी चरण सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की मांग राष्त्रहित में नही है. १९८४: भा.क.पा. की सहयोगी छात्र संगठन, आल इन्डिया स्टूडेंट्स फ़ैडरेशन ने सितम्बर, अक्टूबर में पर्वतीय राज्य के मांग को लेकर गढवाल क्षेत्र मे ९०० कि.मी. लम्बी साईकिल यात्रा की. २३ अप्रैल को नैनीताल में उक्रान्द ने प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नैनीताल आगमन पर प्रथक राज्य के समर्थन में प्रदर्शन किया. १९८७: अटल बिहारी बाजपायी, भा.ज.पा. अध्यक्ष ने, उत्तराखण्ड राज्य मांग को प्रथकवादी नाम दिया. ९ अगस्त को बोट क्लब पर अखिल भारतीय प्रवासी उक्रांद द्वारा साम्केतिक भूख हडताल और प्रधान्मन्त्री को ग्यापन दिया. इसी दिन आल इन्डिया मुस्लिम यूथ कांन्वेन्सन ने उत्तराखण्ड आन्दोलन को समर्थन दिया. २३ नबम्बर को युवा नेता धीरेन्द्र प्रताप भदोला ने लोकसभा मे दर्शक दीर्घा में उत्तरखण्ड राज्य निर्माण के समर्थन में नारेबाजी की. १९८८: २३ फ़रवरी : राज्य आन्दोलन के दूसरे चरण में उक्रांद द्वारा असहयोग आन्दोलन एवम गिरफ़्तारियां दी. २१ जून: अल्मोडा में ’नये भारत में नया उत्तराखण्ड’ नारे के साथ ’उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी’ का गठन. २३ अक्टूबर: जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, नई दिल्ली में हिमालयन कार रैली का उत्तराखण्ड समर्थकों द्वारा बिरोध. पूलिस द्वारा लाठी चार्ज. १७ नबम्बर: पिथौरागड मे नारायण आक्ष्रम से देहारादून तक पैदल यात्रा.१९८९: मु.मं. मुलायम सिह यादव द्वारा उत्तराखण्ड को उ.प्र. का ताज बता कर अलग राज्य बनाने से साफ़ इन्कार. १९९०: १० अप्रैल: बोट क्लब पर उत्तरांचल प्रदेश संघर्ष समिति के तत्वाधान में भा.ज.पा. ने रैली आयोजित की.१९९१: ११ मार्च: मुलायम सिंह यादव ने उत्तराखण्ड राज्य मांग को पुन: खारिज किया. १९९१: ३० अगस्त: कांग्रेस नेताओं ने "ब्रहद उत्तराखण्ड" राज्य बनाने की मांग की.१९९१: उ.प्र. भा.ज.पा. सरकार द्वारा प्रथक राज्य संबंधी प्रस्ताव संस्तुति के साथ केन्द्र सरकार के पास भेजा. भा.ज.पा. ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी प्रथक राज्य का वायदा किया

Wednesday, 1 October 2008

पहाड़ी की खूबसूरती को अपने कैमरे मैं कैद किया मेरठ के मनोज कुमार झा

ऊचे-ऊचे झरने हैं

उत्तराखँड की इन पहाड़ी की खूबसूरती को देखकर सैलानी के मन में यह गीत आता होगा -हुस्न पहाड़ो का ओ साहिबा हुस्न पहाड़ो का ऊचे-ऊचे झरने हैं

Wednesday, 24 September 2008

वहाँ घरों में ताले नहींहोतेक्योंकि

किवाड़ों में कुण्डे नहीं होतेवहाँ खटखटाना शब्द भी नहीं होताक्योंकि

लोग अपने पहुँचने से भी पहलेबतियाने लगते हैं देहरी में बैठकरवहाँ चोरियाँ नहीं होतींक्योंकि

वहाँ तिजोरियाँ नहीं होतींकभी-कभी रात मेंकिवाड़ों पर अवरोध डाल दिये जाते हैंक्योंकि वहाँ बाघ होते हैंमगर अब वहाँ कुण्डे और ताले बिकने लगे हैं क्योंकि अब वहाँ शहरी दिखने लगे हैं

Sunday, 21 September 2008

मेरठ में उत्तराखंड मंच ने १७ सितंबर को भव्य सांस्कृतिक कायॆकम का आयोजन किया