Saturday, 1 November 2008
पंचेश्वर डेवलपमेंट अथारिटी का ढांचा मंजूर
पंचेश्वर डेवलपमेंट अथारिटी का ढांचा मंजूर
पंचेश्वर डेवलपमेंट अथारिटी को केंद्र की हरी झंडी मिलने से इसे अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो गया है। उत्तराखंड ने बारह प्रतिशत फ्री पावर की मांग के साथ ही परियोजना की 25 प्रतिशत बिजली पर भी अपना पहला हक जताया है। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव टीके नायर की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में अथारिटी गठन को अंतिम रूप दिया गया। बैठक में परियोजना की लागत पर भी चर्चा हुई। परियोजना की लागत को सिंचाई तथा ऊर्जा में विभाजित किया जाना है। अब तक मोटे तौर पर 25 प्रतिशत लागत सिंचाई पर और 75 प्रतिशत ऊर्जा पर डालने की बात की जा रही थी। नेपाल इससे सहमत नहीं है। नेपाल सिंचाई पर 40 प्रतिशत और ऊर्जा पर 60 प्रतिशत व्यय भार डालने का पक्षधर है। परियोजना की कुल लागत भारत तथा नेपाल को आधा-आधा वहन करना है पर सिंचाई पर आने वाली संपूर्ण लागत भारत वहन करनी होगी, क्योंकि परियोजना से संपूर्ण सिंचाई का लाभ भारत को ही मिलना है। लागत संबंधी इस मामले में दोनों देश अंतिम रूप से फैसला करेंगे। दिल्ली बैठक में भारत की तरफ से अथारिटी को अंतिम रूप देने पर चर्चा की गई। इस बैठक में उत्तराखंड को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिला। सूबे के ऊर्जा सचिव शत्रुघ्न सिंह ने परियोजना की कुल क्षमता का 12 प्रतिशत फ्री पावर का मामला बैठक में उठाया। 6000 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना में से यदि 12 प्रतिशत फ्री पावर मिलेगी तो 720 मेगावाट मुफ्त बिजली पर उत्तराखंड का हक होगा। उत्तराखंड यह भी चाहता है कि परियोजना की 25 प्रतिशत बिजली पर पहला हक उत्तराखंड का हो। यानि 25 प्रतिशत बिजली केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग की निर्धारित दरों पर मिले। ऊर्जा सचिव ने बैठक में ये दोनों बिंदु रखे। सूबे का पक्ष रखते हुए श्री सिंह ने कहा कि परियोजना में उत्तराखंड को ही सबसे अधिक विस्थापन की मार झेलनी है। ऐसे में राज्य को उसके हक से महरूम नहीं रखा जा सकता है।
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