Friday, 24 October 2008
असंतोष को थामने की कवायद
लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड के असंतोष को थामने में जुटा भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व शुक्रवार को प्रदेश के असंतुष्ट नेताओं के साथ ही मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी से भी चर्चा करेगा। सूत्रों के अनुसार पार्टी असंतुष्टों को इस बार समझाने का साथ कड़ी चेतावनी भी दे सकती है। यह भी साफ है नेतृत्व बिहार की तर्ज पर मतदान के जरिए यहां के असंतोष को हल नहीं करेगा, लेकिन मुख्यमंत्री को जरूर फौजी तेवरों के बजाए राजनीतिक तौर-तरीकों को अपनाने की ताकीद की जाएगी। मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत का झंडा थामने वाले 17 विधायकों के बाद कुछ और विधायकों में असंतोष को देखते हुए पार्टी आलाकमान इस मामले को जल्द हल करने के मूड में हैं। शुक्रवार को प्रदेश के अंसतुष्ट नेताओं के दिल्ली आने की संभावना है। असंतुष्ट खेमे के नेता पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को भी दिल्ली बुलाया गया है। मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी भी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसी दिन दिल्ली आने वाले हैं। इस तरह आलाकमान एक बार फिर से दोनों पक्षों को सुनकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर सकता है। हालांकि यह साफ है कि लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी प्रदेश में किसी तरह के बड़े बदलाव के मूड में नहीं है। सूत्रों के अनुसार असंतुष्टों के पार्टी की मर्यादा से बाहर जाने की स्थिति में उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। चूंकि पार्टी के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य लोकसभा चुनाव हैं और वह उसमें किसी तरह की बाधा स्वीकार करने के मूड में कतई नहीं है। दरअसल, उत्तराखंड में पार्टी विधायकों का असंतोष खंडूरी के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही शुरू हो गया था। पार्टी के एक प्रमुख केंद्रीय नेता का मानना है कि समस्या की जड़ में सरकार का कामकाज नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री का स्वभाव है। चूंकि वे वर्षो तक फौजी परवेश में रहे, इसलिए राजनीतिक तौर तरीकों को उतना बेहतर नहीं जानते हैं। इसके लिए पहले भी मुख्यमंत्री को अपने व्यवहार में बदलाव लाने को कहा गया है।
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