Sunday 31 July 2011

द्रोण न मिले तो कर गए एकलव्य पलायन

रामनगर:
पहाड़ों से शिक्षित युवाओं के पलायन की समस्या बेहद गंभीर है। बात जब दुर्गम क्षेत्रों के विद्यालयों में गुरुजनों के अभाव में छात्रों के पलायन की हो तो स्थिति और भी दुर्भाग्यपूर्ण हो जाती है।

छात्र व उनके अभिभावक राह तक रहे हैं, पर द्रोण हैं कि पहाड़ी सफर तय कर स्कूलों में मेहनत से ही कतरा रहे हैं। अंतरजनपदीय सीमा पर नए शिक्षा सत्र में कुछ ऐसे ही हालात बन पड़े हैं।
यहां जिक्र हो रहा है क्षेत्र से सटे सल्ट (अल्मोड़ा) स्थित जीआईसी भौनखाल का है। बीते वर्ष यहां तमाम शिक्षकों ने मनमाफिक स्थानों पर तबादले करा लिए। नतीजतन विज्ञान वर्ग के साथ ही अर्थ व नागरिक शास्त्र तथा गणित विषय के शिक्षकों का टोटा हो गया। इससे पढ़ाई चौपट हो गई है। पहले विद्यालय में जहां 22 शिक्षक थे। इस सत्र में छह गुरुजनों के सहारे जैसे-तैसे गाड़ी खींची जा रही है। हालांकि इस बाबत विभागीय अफसरों से लेकर शिक्षा मंत्री तक गुरुजनों की तैनाती को गुहार लगाई जा चुकी है पर सुनवाई नहीं हो रही। इधर शिक्षा व शिक्षकों की कमी से परेशान हाईस्कूल पास छात्रों ने 11वीं में जीआईसी भौनखाल में दाखिले के बजाय पलायन को ज्यादा तवज्जो दी है। ग्रामीणों के अनुसार 11 छात्रों ने तो बाकायदा बाहरी विद्यालयों में प्रवेश भी ले लिया है। बहरहाल, गुरुओं के अभाव में छात्रों के बाहरी जिलों में पलायन गंभीर मसला है।

1 comment:

  1. यह समस्या कब हल होगी पता नहीं, इसी कारणवश घर छोड़ कर शिक्षा ग्रहण करने दूर दराज आना पड़ता है।

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