Friday, 3 February 2012

उत्तराखंड का भी पावर ब्रोकर है पोंटी!

(दीपक फरस्वाण)देहरादून जाने-माने शराब व्यवसायी पोंटी चड्ढा की उत्तराखंड में खासी धमक है। शराब और खनन का कारोबार हो या फिर सियासत का जोड़तोड़, चड्ढा का नाम बीते एक दशक में हमेशा चर्चा में रहा।

प्रदेश में राज करने वाली पार्टी कोई भी हो, चड्ढा के लिंक हर पार्टी में मजबूत रहे हैं।कई बड़े नेताओं के साथ उसके करीबी रिश्ते हैं। प्रदेश में सरकार बनाने-बिगाड़ने के खेल में चड्ढा का नाम हमेशा उछला है।यही नहीं, सरकारी नीतियों में भी चड्ढा ग्रुप का खासा दखल रहा है।कहते हैं कि गुरुप्रीत सिंह चड्ढा उर्फ पोंटी आज जो भी है, उसे बनाने में उत्तराखंड का काफी बड़ा हाथ रहा है।उत्तराखंड के लोगों के लिए तो यह कोई अनजाना नहीं है, गांव-गांव तक चड्ढा की बड़े शराब कारोबारी के रूप में पहचान है। हकीकत यह है कि उत्तराखंड ने ही चड्ढा की रीढ़ मजबूत की। 90 के दशक में चड्ढा ने हल्द्वानी की गौला नदी में खनन का कारोबार शुरू किया था। उपखनिजों के चुगान में मोटा मुनाफा होने पर उसने उत्तराखंड के देहरादून और हरिद्वार जिले में भी खनन कारोबार का विस्तार किया।1997 में राज्य के मैदानी क्षेत्र के अधिकांश नदी तटों पर उसने अपने ग्रुप का कब्जा जमा लिया। साथ ही शराब के कारोबार में भी उसका सिक्का चलने लगा। नब्बे का दशक समाप्त होते-होते पूरे राज्य में वह शराब और खनन करोबार का किंग बन बैठा। रुतबा ऐसा कि उत्तराखंड में उसने इन कारोबारों में किसी दूसरे व्यवसायी को पनपने ही नहीं दिया। फैलते व्यवसाय की वजह से उसका राजनेताओं से भी संपर्क होने लगा। इसी बीच, नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ तो यहां की नीतियों में बदलाव आया। खनन का काम गढ़वाल व कुमाऊं मंडल विकास निगम और वन विकास निगम के पास चला गया, जबकि शराब के ठेकों का आवंटन लाटरियों के जरिये आम आदमियों को होने लगा। नई सरकारी नीतियों से चड्ढा उत्तराखंड में हाशिये पर चला गया, लेकिन शराब और खनन के कारोबार से उसका अप्रत्यक्ष जुड़ाव आज भी है। पर्दे के पीछे चल रहा खेल उसे आज भी मोटा मुनाफा पहुंचा रहा है। लिहाजा, चड्ढा की राज्य में सियासी दखल आज भी बरकरार है। मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी का ताज छिनने और फिर दुबारा उनकी ताजपोशी तक घटे हर राजनीतिक घटनाक्रम में चड्ढा का नाम भी चर्चाओं में रहा है। हालांकि, राज्य में भारी भरकम रुतबा होने के बावजूद चड्ढा के ठिकाने पर इनकम टैक्स की छापेमारी के बाद उससे जुड़े यहां के लोग हलकान हैं।
. नब्बे के दशक में शराब और खनन व्यवसाय में रही बादशाहत . सूबे की सियासत में कायम है खासा दखल . राजनीतिक उठापटक में हर बार चर्चाओं में नाम
साभार-दैनिक जनवाणी

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