Friday, 3 February 2012

एनीमेटेड सस्पेंशन की नौबत !

पूर्वानुमान: अगर मतदाता ने दिया त्रिशंकु जनादेश तो शुरुआत में निलंबित रह सकती है विधानसभा
(विकास धूलिया)-देहरादून-चुनाव पूर्व तरह-तरह के आंकलन और मतदान निबट जाने के बाद भी स्थिति साफ न होने के कारण राज्य की तीसरी विधानसभा की तस्वीर को लेकर
कोई भी भरोसे के साथ कुछ कहने को तैयार नहीं। हालांकि भाजपा और कांग्रेस स्वाभाविक रूप से सत्ता तक पहंुचने का दावा कर रहे हैं लेकिन इन दावों में भी खास दम नजर नहीं आ रहा है। राज्य में इस चुनाव में नतीजों को लेकर जिस तरह का अनिश्चय बना है, उससे राजनीतिक गणित के माहिर भी हैरान हैं। इस सबके बीच अब एक संभावना यह भी उभरने लगी है कि अगर मतदाता ने त्रिशंकु विधानसभा का जनादेश दिया तो..। ऐसे में सरकार गठन में लगने वाले वक्त को देखते हुए तीसरी निर्वाचित विधानसभा की शुरुआत में एनीमेटेड सस्पेंशन की नौबत आ सकती है। एनीमेटेड सस्पेंशन का मतलब है चुनाव बाद किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने और इस कारण सरकार के गठन में होने वाले विलंब के दौरान नव निर्वाचित विधानसभा को कुछ वक्त तक के लिए निलंबित कर दिया जाना। त्रिशंकु विधानसभा की नौबत आने पर राज्यपाल को यह अधिकार होता है कि विधानसभा के गठन के बाद राजनैतिक दलों को सरकार बनाने के लिए कुछ वक्त देकर विधानसभा को उस अवधि के लिए निलंबित कर दे। उत्तराखंड के विशेष संदर्भ में, यहां बाध्यता है कि नई विधानसभा का गठन 12 मार्च तक किसी भी स्थिति में हो जाना चाहिए। अब राज्य में मतगणना ही छह मार्च को है, यानि छह मार्च की शाम तक ही साफ हो पाएगा कि किस दल को कितनी सीटें मिली हैं। अगर भाजपा या कांग्रेस, या अन्य किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिल जाता है तो नई सरकार के गठन में कोई दिक्कत ही नहीं लेकिन अगर सभी दल बहुमत के 36 के आंकड़े से पर्याप्त दूर रहते हैं तो तब गठबंधन या विधायकों का समर्थन जुटाने में खासा वक्त भी लग सकता है। इस स्थिति में 12 मार्च तक सरकार का गठन शायद मुमकिन नहीं हो पाए और तब आ सकती है विधानसभा को एनीमेटेड सस्पेंशन में डालने की नौबत। उत्तराखंड विधानसभा के सेवानिवृत्त प्रमुख सचिव महेश चंद्र के मुताबिक विधानसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में अगर सरकार गठन में देरी होती है तो राज्यपाल इन्हें सरकार बनाने लायक बहुमत जुटाने के लिए वक्त दे सकते हैं। इस अवधि में विधानसभा को निलंबित रखा जाता है, जिसे एनीमेटेड सस्पेंशन कहा जा सकता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी यह हो चुका है। इस दौरान सभी शक्तियां राजभवन में निहित रहती हैं।

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