Thursday, 10 November 2011

स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री ने दिए तोहफे

देहरादून- राज्य स्थापना की 11वीं वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री मेजर जनरल (सेनि) भुवन चंद्र खंडूड़ी ने आम लोगों, किसानों, भूतपूर्व सैनिकों और छात्राओं के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं।
इनमें खास तौर पर राज्य सरकार ने तीन लाख तक की सालाना आमदनी वालों के लिए बैंक ऋण की ब्याज धनराशि में पांच फीसद राशि खुद वहन करने की घोषणा की है। ऋण लेने वालों को पांच वर्ष तक सरकार की इस योजना का लाभ मिल सकेगा। इसके अलावा काश्तकारों की सुविधा के लिए आठ करोड़ की लागत से 50 ग्रामीण हाटों की स्थापना की जाएगी। इससे काश्तकार अपने उत्पादों को स्थानीय हाटों में बेच सकेंगे।
महत्वपूर्ण घोषणाएं
-प्रदेश के स्थायी निवासियों, जिनकी सालाना आय तीन लाख रुपये से अधिक नहीं है, उनके बच्चों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, विधि, व्यावसायिक व उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बैंक द्वारा लिए गए ब्याज दर में पांच वर्ष के लिए पांच फीसद ब्याज सरकार वहन करेगी। 10 लाख तक के ऋण पर यह योजना लागू होगी।
- सभी छात्राओं को विद्यालय एवं महाविद्यालय के परिचय पत्र के आधार पर प्रदेश में परिवहन निगम की बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा।
-आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, एनडीए, आईएमए, मेडिकल तथा सरकार द्वारा तय किए गए व्यावसायिक एवं तकनीकी संस्थानों के लिए चयनित छात्र-छात्राएं, जो प्रदेश के स्थायी निवासी हैं, प्रत्येक को मिलेगा 50 हजार इनाम।
-भूतपूर्व सैनिकों के आश्रित छात्र-छात्राओं को इंजीनियरिंग तथा मेडिकल की पढ़ाई के लिए 12 हजार से बढ़ाकर 24 हजार तथा पीएचडी के लिए 10 हजार के स्थान पर 20 हजार सालाना छात्रवृत्ति। 32 हजार भोजन माताओं के मानदेय 1000 से बढ़ाकर 1500 रुपये मासिक। चिकित्सा विभाग में आशा कार्यकर्ताओं को मिलेगा पांच हजार सालाना प्रोत्साहन रािश। इसी महीने लागू होगी नवम्बर 2011 में ही नई खनन नीति।

1 comment:

  1. I have heard people talking of strong “political will” to eradicate corruption. I have my own views on it.  “Political will” should not simply suggest the “will of politician”. Politics in its broadest sense denotes the way a society is organized.  Hence to me, “Political will” represents the intent and aspirations of various stratas of society.  In different strata of society, there are leaders, people from civil society groups, professional groups and mass media who could play a proactive role in espousing the cause of containing corruption.  In this context, the role of   Shri Anna Hazare and like-minded people in demanding Jan Lokpal independent from government is worth mentioning. Prior to Annaji’s movement there was a widespread feeling that corruption cannot be challenged, much less cured.

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