राज्य स्थापना दिवस के मौके पर 9 नवंबर को उत्तराखंड से बाहर निवास कर रहे राज्यवासियों को राज्य सरकार की ओर से तोहफा मिलेगा। लोगों को अब अहम प्रमाणपत्र बनाने को अपने गृह जनपद आने की जरूरत नहीं होगी।
इसके लिए राजधानी दिल्ली स्थित मुख्य स्थानिक आयुक्त कार्यालय उत्तराखंड में आवेदन करना होगा। प्रमाणपत्र सरकार द्वारा तय की गई अवधि में यहीं से प्राप्त किया जा सकेगा। हालांकि प्रमाणपत्र संबंधित जिले में ही तैयार होगा जिला प्रशासन की ओर से ही जारी किया जाएगा।
वर्तमान में काफी संख्या में सूबे के लोग देश में विभिन्न स्थानों पर निवास कर रहे हैं। जब उन्हें अपने जिले से जारी किए जाने वाले प्रमाणपत्रों की जरूरत होती है तो इसके लिए गृह जनपद आना पड़ता है। अक्सर यह देखा गया है कि जिलों में सरकारी मशीनरी की लचर व्यवस्था से कई दिनों तक संबंधित कार्यालय के चक्कर काटने के बावजूद प्रमाणपत्र नहीं बन पाता। ऐसे में बिना वजह के समय के साथ उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। अब सरकार ने ऐसे लोगों को राहत दिलाने की तैयारी की है। योजना के तहत प्रमाणपत्रों को बनाने की व्यवस्था ऑनलाइन किया जा रहा है। जरूरतमंद को दिल्ली स्थित मुख्य स्थानिक आयुक्त कार्यालय में आवेदन करना होगा। प्रमाणपत्र के लिए आवेदनकर्ता के जरूरी दस्तावेज वहां से कंप्यूटर के जरिए लोड कर जिलों में भेजे जाएंगे। वहां सरकार द्वारा तय की गई अवधि में इसे बनाया जाएगा। जिला प्रशासन इसे आयुक्त कार्यालय भेजेगा। वहीं से इसे प्राप्त किया जा सकेगा। योजना को लेकर एनआइसी उत्तराखंड ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। राज्य स्थापना दिवस की ग्यारहवीं वर्षगांठ के मौके पर आगामी 9 नवंबर से यह व्यवस्था दिल्ली में शुरू की जा रही है। भविष्य में देश के दूसरे अन्य शहरों से शुरू करने का प्रस्ताव है।
ये प्रमाण पत्र बनेंगे
निवास प्रमाणपत्र,
चरित्र,
हैसियत, जाति,
आय,
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित
व पर्वतीय क्षेत्र प्रमाण पत्र।
काम की जानकारी से भरा हुआ ब्लॉग है
ReplyDeleteमजेदार लेख है। पढ़ के बहुत अच्छा लगा। इसे भी देखें देवभूमि उत्तराखंड
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