खंडूड़ी कैबिनेट की शनिवार को सचिवालय में चार घंटे से ज्यादा चली बैठक में 26 बिंदुओं में 24 पर फैसला लिया। विधानसभा के 31 अक्टूबर से प्रस्तावित सत्र के मद्देनजर कैबिनेट के फैसलों की ब्रीफिंग नहीं हुई। सूत्रों के मुताबिक सूबे में दस वर्ष से अस्थायी व्यवस्था पर कार्यरत करीब 24 हजार कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति देने के बारे में सब कमेटी की सिफारिशों पर अमल की सहमति बनी। वर्ष 1996 से वर्ष 2006 तक अस्थायी व्यवस्था पर कार्यरत दैनिक वेतनभोगी, संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाएगा। बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों और कोचों को केंद्र की तर्ज पर देवभूमि उत्तराखंड खेल रत्न पुरस्कार मिलेगा। इन पुरस्कारों के लिए सूबे में प्रचलित खेलों की सूची तैयार की जाएगी। कैबिनेट ने उत्तराखंड जलविद्युत निगम लिमिटेड और गैस अथारिटी ऑफ इंडिया के संयुक्त उपक्रम के गठन और इसके जरिए काशीपुर और हरिद्वार में एक-एक गैस पावर प्लांट लगाने को हरी झंडी दिखाई। दून में सुद्दोवाला स्थित महिला पालीटेक्निक को अपग्रेड कर सूबे के पहले महिला इंजीनियरिंग कालेज में तब्दील कर दिया। पिथौरागढ़ में एक इंजीनियरिंग कालेज को स्वीकृति दी गई। दूरस्थ क्षेत्र में खुलने वाला यह कालेज तकनीकी विश्र्वविद्यालय का दूसरा संघटक कालेज होगा। इससे पहले एक कालेज टिहरी में स्थापित किया जा चुका है।
आइटीआई प्रशिक्षण मित्रों को राहत देते हुए उनका मानदेय प्रतिमाह पांच हजार से बढ़ाकर 9300 रुपये किया गया है। इससे तकरीबन सौ से ज्यादा प्रशिक्षण मित्रों को फायदा होगा। पीटीए शिक्षकों का मानदेय 5 हजार से बढ़ाकर सात हजार कर दिया है। लंबे अरसे बाद आरटीई रूल्स को मंजूरी मिल गई। उत्तराखंड नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून, 2011 पर मुहर लगने के बाद अब सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र से मिलने वाली राशि का 65 फीसदी अंश और 50 करोड़ से ज्यादा धन मिलने में दिक्कत नहीं होगी। इस नियमावली के चलते अब आरटीई कानूनों को ठोस आधार भी मिल गया है। पत्राचार बीटीसी प्रशिक्षितों को करीब चार साल के संघर्ष के बाद आखिरकार सरकारी प्राइमरी स्कूलों में नियुक्ति का रास्ता खुल गया। तकरीबन 868 प्रशिक्षितों को एक साल के लिए संविदा नियुक्ति दी जाएगी। ऐसे हर शिक्षक को प्रतिमाह 7500 रुपये मानदेय मिलेगा।
सूबे में 50 से 300 राशन कार्डधारक सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेताओं को अब प्रतिमाह न्यूनतम तीन हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। दरअसल दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में कार्डधारक कम होने से राशन विक्रेताओं को बेहद कम कमीशन मिल पा रहा है। अब यह समस्या हल हो गई है। निजी विश्वविद्यालय की नीति में संशोधित की गई है। अब मैदानी क्षेत्र में 15 एकड़ के बजाए 10 एकड़ और पर्वतीय क्षेत्रों में दस एकड़ के बजाए साढ़े सात एकड़ भूमि की दरकार होगी। विवि की स्थापना करने की इच्छुक सोसायटी का टर्नओवर 30 करोड़ के बजाए 20 करोड़ होना चाहिए।
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