Thursday, 18 February 2010

-'खूनी' नाम की छांव तले मासूमों का गांव

केंद्र को प्रस्ताव भेजा, गांव का नाम बदलने का अनुरोध -लोगों के लिए अभिशाप साबित हो रहा अपने ही गांव का नाम -गांव का नया नाम 'पनियालीछीना' करने का आग्रह 'झिक् ह्वेगी आब नाति यां रूंन' (बस बहुत हो गया अब नहीं रहना यहां).. 'ह्वेगी अब और न सुणी जानू' (बस अब और नहीं सुना जाता)। अल्मोड़ा के 'खूनी' गांव में रहने वाले खिन्न गोविंद के मुंह से अब ऐसी बाते सुनने को नहीं मिलेगी। दरअसल लंबे अरसे से गांव वालों के लिए 'अभिशाप' बने गांव का नाम बदलने की फरियाद कर रहे लोगों की राज्य सरकार ने सुन ली है अब बारी केंद्र की है। सरकार ने गृह मंत्रालय को इस आशय का एक प्रस्ताव भेज गांव का नाम बदलने का अनुरोध किया है। जागेश्वर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर जैंती तहसील के लमगड़ा ब्लाक के इस गांव का नाम खूनी कैसे पड़ा, पूर्व प्रधान नयन सिंह बताते हैं करीब तीन सौ साल पूर्व चंपावत जिले के 'खूना' गांव के करीब दो दर्जन राजपूत परिवारों (वोरा)ने यहां डेरा डाला और सर्व सहमति से अपने नये आसरे का नाम खूनी रखा। चूंकि लोग बड़े ही सीधे-सादे स्वभाव के थे इसलिए किसी ने सोचा भी नहीं था कि भविष्य में गांव का नाम उनके लिए अभिशाप भी बन सकता है। बकौल नयन सिंह, जैसे-जैसे लोग शिक्षित होकर रोजगार की तलाश में बाहर गये उन्हें गांव का नाम अखरने लगा। दोस्तों और रिश्तेदारों के मुंह से गांव के नाम पर मजाक उड़ाने से वे और भी परेशान हो उठते, नौबत यहां तक आ पहुंची कि गांव के नाम की काली छाया शादी ब्याह पर भी पड़ने लगी, रिश्तेदारी में दिक्कतें आने लगी। देखते ही देखते अरसा बीत गया। पर पिछले कुछ सालों से गांव का नाम बदलने की मांग जोर पकड़ने लगी और करीब ढाई सौ आबादी वाली ग्राम पंचायत ने जिला प्रशासन को अपनी व्यथा सुनाई, तब प्रशासन ने लोगों की भावनाओं की कद्र करते हुए शासन को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। इस पर शासन स्तर से कार्यवाही शुरू हुई। सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेज गांव का नाम 'पनियालीछीना' करने का आग्रह किया है। गांव का नया नाम ग्राम पंचायत और जिला प्रशासन की ओर से सुझाया गया है। स्थानीय विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल के मुताबिक खूनी नाम से लोग उकता चुके हैं, नाम बदले जाने पर वे राहत की सांस लेंगे। बकौल विधायक मंत्रालय की ओर से शीघ्र हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। :एक और गांव का नाम बदलेगा सरकार ने इसी आशय का एक और प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेज अल्मोड़ा के सल्ट तहसील के 'मल्ली महरौली' गांव का नाम 'स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गांव' रखने का आग्रह किया है। प्रस्ताव के मुताबिक आजादी की लड़ाई में वर्ष 1942 में गांव वालों ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया था और उन्हें अंग्रेजी हुकूमत का शिकार होना पड़ा था। इस दौरान यहां के दो लोग शहीद हुए कई लोगों को जेल भी जाना पड़ा था।

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