Sunday 30 January 2011

फूलों के देश में दमकी देवभूमि की आभा

देवभूमि के फूलों ने देश में ही चमक नहीं बिखेरी, यूरोप का दिल भी जीता है। फूलों के देश हॉलैंड ने उत्तराखंड के ग्लैडियोलस को सिर आंखों पर बैठाया है। सरकारी स्तर पर पहली मर्तबा हुए प्रयासों से फूल न सिर्फ हॉलैंड पहुंचे, बल्कि वहां से हर हफ्ते पांच हजार कट फ्लावर की डिमांड भी उत्तराखंड को मिली है। फूलों की पहली खेप इसी हफ्ते भेजी भी जा चुकी है। उम्मीद जगी है कि हॉलैंड से अब समूचे यूरोप में उत्तराखंडी फूल अपनी आभा बिखेरेंगे और इन्हें मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान। साथ ही किसानों के लिए भी इसे एक नई उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। कारनेशन, जरबेरा, ग्लैडियोलस जैसे कट फ्लावर के मामले में उत्तराखंड ने देशभर में खास जगह बनाई है। बेहतर क्वालिटी का ही नतीजा है कि देश में होने वाले राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फ्लोरा एक्सपो में यहां के फूल खूब चमक बिखेरते आ रहे हैं। इनमें भी सूबे के चार जिले देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहगर व नैनीताल का बड़ा योगदान है। सबसे अधिक पुष्पोत्पादक इन्हीं जिलों में हैं। फूलों की बढ़ती चमक को देखते हुए उद्यान महकमे ने पहली मर्तबा इन्हें कृषि निर्यात इकाई के जरिए विदेश की सैर कराने की ठानी और इसमें कामयाबी भी मिली है। यह सफलता भी कहीं और नहीं, बल्कि फूलों के देश कहे जाने वाले हॉलैंड में मिली है। अपर सचिव उद्यान जीएस पांडे के मुताबिक एग्री एक्सपोर्ट जोन के जरिए उत्तराखंड से ग्लैडियोलस के सैंपल हॉलैंड भेजे गए। क्वालिटी के मानक पर तो ये खरे उतरे, मगर पैकिंग में कुछ कमियां रह गईं। बाजार की मांग के अनुरूप कमियां दूर की गई और फिर सैंपल हॉलैंड भेजे गए, जहां लोगों ने इन्हें सिर आंखों पर बिठा लिया। इसी का नतीजा रहा कि अब वहां से हर हफ्ते पांच हजार कट फ्लावर की डिमांड मिली है। पहली खेप इसी हफ्ते हॉलैंड भेज भी दी गई। श्री पांडे के अनुसार हॉलैंड में मिली इस कामयाबी को देखते हुए अब फूलों की खेती को और आगे बढ़ाया जाएगा। इससे किसानों के लिए भी नए द्वार खुले हंै। उन्होंने कहा कि हॉलैंड की डिमांड पूरी करने में सूबा सक्षम है और आने वाले दिनों यहां के फूल समूचे यूरोप में फैलेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।

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