Wednesday, 5 January 2011
वापस चाहिए आजादी के परवाने को दी जमीन
पेशावर कांड के नायक स्व.वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को थमाए बेदखली के नोटिस
लीज की भूमि को दिया अतिक्रमणकारी करार
नजीबाबाद,- गढ़वाल की शान व पेशावर कांड के महानायक 'वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी कुर्बानी का ऐसा हश्र होगा। यूपी सरकार ने आजादी के आंदोलन में कुर्बानी को देखते ही जो जमीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को लीज पर दी आज उसी सरकार के नुमाइंदों ने उनके परिवार को बेदखल करने का फरमान थमा दिया है।
वन विभाग ने स्व.गढ़वाली को परिजनों को लीज की भूमि पर 'अतिक्रमणकारी करार दे दिया, जो भूमि स्वयं गढ़वाली को उनकी वीरता पर उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन राज्यपाल की संस्तुति पर लीज पर दी गई थी।
23 अप्रैल 1930 को पेशावर में सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खां के नेतृत्व में आजादी के लिए सड़कों पर उतरे निहत्थे पठानों के प्रदर्शन पर फिरंगी सेना के कैप्टन रिकेट ने गढ़वाली जवानों पर फायरिंग का आदेश दिया। इसे वीर चंद्र सिंह ने ठुकराकर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था। पठानों पर गोली चलाने से इंकार करते हुए अपने साथियों को 'गढ़वाली सीज फायर का हुक्म दिया, उससे ब्रितानिया साम्राज्य की चूलें हिल गईं। सेना में बगावत करने के जुर्म में वीरचंद्र सिंह गढ़वाली व उनके 61 साथियों को कठोर कारावास की सजा के साथ ही गढ़वाली की गांव दूधातोली पौड़ी में भूमि व मकान को कुर्क कर दिया गया।
आजादी के आंदोलन में गढ़वाली कई बार जेल गए। इतना ही नहीं, टिहरी राजशाही के खिलाफ हुई जनक्रांति के साथ ही मजदूर-किसान आंदोलनों का भी उन्होंने नेतृत्व किया व जेल की सजा भुगती। आजादी के आंदोलन में गढ़वाली की अहम भूमिका को देखते हुए 1974 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने भाबर क्षेत्र के ग्राम हल्दूखाता नजीबाबाद क्षेत्र में पडऩे वाली करीब दस एकड़ भूमि 90 वर्ष की लीज पर श्री गढ़वाली को दे दी। शर्त यह है प्रत्येक 30 वर्ष में भूमि लीज को रिन्यूवल करना होगा। एक अक्टूबर 1979 को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली इस दुनिया को अलविदा कह गए।
इसके बाद स्व.गढ़वाली के पुत्र आनंद सिंह व खुशाल सिंह उक्त भूमि लीज हस्तांतरण अपने नाम कराने के लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग के अफसरों की चौखटें नापते रहे। स्व.गढ़वाली के दोनों पुत्र भी दुनिया को अलविदा कर गए पर विभाग भूमि हस्तांतरण करने को आज भी राजी नहीं।
भूमि हस्तांतरण नहीं हुआ तो वर्ष 2005 में लीज भी रिन्यूवल नहीं हो पाई। आज स्थिति यह है कि जिस व्यक्ति ने देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अंग्रेजों से सीधा मोर्चा लिया, वन अधिकारियों ने उसी 'वीर के परिजनों के लिए 'अतिक्रमणकारी जैसे शब्द का प्रयोग करते हुए वन प्रभाग नजीबाबाद ने उन्हें लीज पर दी गई भूमि से 'बेदखली का नोटिस जारी कर दिया है। 15 दिन के भीतर जमीन खाली न करने पर पुलिस बल का प्रयोग कर खाली करने की चेतावनी दी गयी है। जिससे उनके परिजन काफी परेशान है।
बेदखली के निर्देश उच्चाधिकारियों की ओर से दिए गए हैं। इसके बाद ही बिजनौर वन प्रभाग ने स्व.गढ़वाली के परिजनों को भूमि से हटने को कहा है।
-रमेश चंद्र, डीएफओ, नजीबाबाद वनप्रभाग बिजनौर
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nice post..
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