Thursday, 20 May 2010
- देवभूमि : नीर-क्षीर की जगह बह रही मदिरा
- बढ़ रही शराब की खपत, उजड़ रहे घर, बिखर रहे परिवार
- गत वर्ष 400 लाख लीटर शराब की खपत
Pahar1-: देवभूमि उत्तराखंड में नीर-क्षीर की जगत अब मदिरा की नदियां बहने लगी हैं। बढ़ रही खपत के अनुपात में आबकारी राजस्व भले ही कई गुना हो गया हो, लेकिन घर उजड़ रहे हैं और परिवार बिखर रहे हैं। पिछले साल सूबे में चार सौ लाख लीटर शराब और 110 लाख बोतल बीयर की खपत हुई। पहाड़ में जहां महिलाएं इस कारोबार में आगे आने लगी हैं वहीं बड़े नगरों में अब हाई क्लास महिलाएं भी इसका सेवन करने लगी हैं।
पहाड़ में एक दौर था जब शराब नहीं रोजगार दो के नारे गूंजते थे। अल्मोड़ा के बसभीड़ा से सत्तर के दशक का यह आंदोलन गांव-गांव चला। पर बदले वक्त में अब पर्वतीय समाज में शराब की स्वीकार्यता आम हो गयी है। शादी उत्सव जैसे कार्यक्रमों के अलावा देवकार्यों और मातमपुर्सी में भी आसुरी प्रवृति बढ़ गई है। सूबे में भले ही आयकर के बाद आबकारी से सबसे ज्यादा राजस्व मिलता हो, लेकिन बर्बाद हो रही युवा पीढ़ी की चिंता न तो नुमाइंदों को है न ही पहाड़ के कथित झंडा बरदारों को। वर्ष 2006 में नैनीताल शरदोत्सव में आये गायक अन्नू कपूर ने सूर्य अस्त पहाड़ी मस्त कहा तो इसका खूब विरोध हुआ, लेकिन हकीकत का आइना देखने के बाद भी आज विरोध करने वाले स्वीकारते है कि स्थिति दिनोंदिन बिगड़ रही है। अब तो भोर में ही कई शराबी नजर आ जाते हैं। फलस्वरूप शराब ने हजारों परिवार बेघर कर दिये हैं। कई परिवारों में हर रोज कलह अशांति का कारण शराब बन रही है।
आबकारी महकमे के आंकड़े देखे तो राजधानी दून पहले और धर्मनगरी हरिद्वार दूसरे स्थान पर है। भले ही इस बार महाकुंभ में करोड़ों लोगों ने यहां गोते लगाकर पुण्य कमाया हो। पर्यटक नगरी नैनीताल में भी शराब की रेलमपेल है। पूरे जिले में वर्ष 2008-09 में 65 लाख लीटर शराब और 15 लीटर बियर से गला तर किया गया है। महानगरों की तरह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, हल्द्वानी, रुद्रपुर, नैनीताल, हरिद्वार में तो महिलाओं में भी आसुरी प्रवृति पनपने लगी है। कई स्थानों पर साधु वेशधारी भी कच्ची-पक्की गटक जा रहे हैं। युवा पीढ़ी के अलावा शार्टकट तरीके से नव धनाढ्य बन रहे लोगों में भी शराब का प्रचलन बढ़ा है।
बहरहाल देवभूमि में जड़े जमा रही आसुरी प्रवृति ने यहां के सामाजिक और पारिवारिक ताने-बाने में सेंध लगा दी है। राजस्व के नाम पर जहां भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है, वहीं कई परिवर बिखर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार बिजली, पानी, राशन से ज्यादा इस बात की चिंता करती है कि शराब का ठेका किसी कीमत पर बंद नहीं होना चाहिए।
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आबकारी विभाग का आंकड़ा (वर्ष 2008-09)
जनपद देशी शराब विदेशी शराब बियर
चम्पावत 8.16 4.66 2.22
पिथौरागढ़ 5.58 9.98 5.87
बागेश्वर 6.21 6.08 2.01
अल्मोड़ा 20.98 34.94 5.43
यूएसनगर 16.49 9.79 16.23
नैनीताल 39.58 25.24 14.62
चमोली - 8.07 4.22
पौड़ी - 23.59 8.07
रुद्रप्रयाग - 4.02 0.30
उत्तरकाशी - 8.30 1.98
टिहरी - 16.61 6.38
हरिद्वार 52.97 12.97 13.57
देहरादून 60.80 34.04 27.02
कुल- 210.77 189.29 107.92
नोट- शराब लाख रुपये में तथा बियर लाख बोतल में है।
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Sharab ke khilaf jan andolan ki sakht jarurat hai... aapki chinta vajib hai... Devbhumi mein es tarah ke atank se barbaad hote gharon ko dekhkar sach mein behat dukh aur afsos hota hai. Afsos esliye kyonki padhe-likhe kahalane wale adhiktar log es vyasay se judhe hueye hain...
ReplyDeleteAap nirantar es disha mein saarthak prayas karenge aisi asha hai.... mere blog par aapka swagat hai... .
Saarthak lekh ke liye dhanyavaad