Thursday, 10 June 2010

-धूल फांक रहे गढ़वाल कमिश्नरी के जनक

-बच्चा पार्क में 1987 में स्थापित की थी बैरिस्टर मुकंदी लाल की प्रतिमा -वर्ष 2006 से शुरू हुए पार्क के दुर्दिन , कोटद्वार (गढ़वाल) गढ़वाल कमिश्नरी के जनक व बहुमुखी प्रतिभा के धनी बैरिस्टर मुकंदी लाल की प्रतिमा चंद लोगों की राजनीति के चलते राजमार्ग के किनारे धूल फांक रही है। वर्ष 1987 में जिस प्रतिमा को युवाओं व बच्चों में इस महान शख्स के प्रति जिज्ञासा पैदा करने को स्थापित किया गया था, आज उसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। सत्तर के दशक में कोटद्वार पहुंचे संत स्वामी राम के समक्ष स्थानीय नगर पालिका परिषद ने बच्चों के लिए नगर में एक पार्क स्थापित करने का बात रखी। स्वामी राम ने पार्क के लिए तीन लाख की धनराशि पालिका को उपलब्ध करवा दी, जिसके बाद पालिका ने यहां बदरीनाथ मार्ग पर डाकघर के समीप करीब एक बीघा भूमि पर 'बच्चा पार्कÓ की स्थापना कर वहां झूले व सी-सॉ लगा दिए। इसी पार्क के एक कोने में व्यायामशाला भी थी। शाम होते ही पार्क का नजारा दर्शनीय होता था। एक ओर युवा अपने शरीर को बलिष्ठ बनाते नजर आते, तो दूसरी ओर छोटे-छोटे बच्चे झूलों में झूलते दिखाई देते। पार्क में बच्चों की लगातार बढ़ती आवाजाही को देखते हुए पालिका ने पार्क में बहुमुखी प्रतिभा के धनी बैरिस्टर मुकंदी लाल की प्रतिमा स्थापित की थी। 14 अक्टूबर वर्ष 1987 को उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन वन मंत्री बलदेव सिंह आर्य ने प्रतिमा का अनावरण किया, साथ ही पार्क का नाम 'बैरिस्टर मुकंदी लाल पार्कÓ कर दिया गया। हालांकि क्षेत्रीय जनता आज भी इसे बच्चा पार्क के नाम से ही जानती है। मूर्ति स्थापित करने का उद्देश्य स्पष्ट था कि पार्क में आने वाले बच्चों में बैरिस्टर साहब के बारे में जिज्ञासा उत्पन्न हो व भविष्य में वे भी उनके आदर्शों को आत्मसात कर उन्नति के चरम पर पहुंच सकें। वर्ष 2006 में इस बच्चा पार्क के दुर्दिन शुरू हो गए। तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल में नगर पालिका ने तमाम विरोधों के बावजूद बच्चा पार्क की भूमि 'प्रेक्षागृहÓ निर्माण को दे दी। कांग्रेस शासनकाल में प्रेक्षागृह के नाम पर इस भूमि में कुछ पिल्लर खड़े कर निर्माण कार्यों की इतिश्री कर दी गई। आज स्थिति यह है कि पिछले चार वर्षों से इस प्रेक्षागृह में निर्माण के नाम पर एक ईंट तक नहीं लगी है व बैरिस्टर साहब की प्रतिमा इस खंडहर के मध्य खड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग का धूल फांक रही है। ''वर्तमान में बैरिस्टर मुकंदी लाल की प्रतिमा जिस हालत में है, उसे कोटद्वार के लिए दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है। पूर्व पालिका बोर्ड की ओर से बच्चा पार्क को प्रेक्षागृह के लिए दिया जाना पूरी तरह गलत था।ÓÓ शशि नैनवाल, अध्यक्ष, नगरपालिका कोटद्वार ''शासन की ओर से बजट अवमुक्त न होने से प्रेक्षागृह का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। बैरिस्टर साहब की नई मूर्ति बनाने के लिए भी शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।ÓÓ डा. बीपी बडोनी जिला संस्कृति अधिकारी, पौड़ी ''बैरिस्टर मुकंदी लाल की प्रतिमा के वर्तमान हालात दुर्भाग्यपूर्ण है। गढ़वाल की जिस जानी-मानी शख्सियत को युवाओं का आदर्श बनना था, चंद लोगों की 'राजनीतिÓ के चलते खंडहर में पड़ी है।ÓÓ शशिधर भट्ट पूर्व पालिकाध्यक्ष, नगरपालिका परिषद कोटद्वार

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