वर्ष 1897 में हुई थी रामलीला की शुरुआत
पौड़ी की ऐतिहासिक रामलीला कई मायनों में अपनी अलग ही पहचान रखती है। रामलीला की शुरुआत वर्ष 1897 में कांडई गांव से हुई थी। तब गांव में ही रामलीला मंचन किया जाता था। वर्ष 1908 में भोला दत्त काला, तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक पीसी त्रिपाठी, क्षेत्रीय 'वीर' समाचार पत्र के संपादक कोतवाल सिंह नेगी व साहित्यकार तारादत्त गैरोला के प्रयासों से पौड़ी शहर में रामलीला का मंचन शुरू किया गया।
पहले लकड़ी जलाकर, फिर लालटेन और अब विद्युत बल्ब
उस दौरान में समय छीला (भीमल के पेड़ की लकड़ियां) को जलाकर रात भर रामलीला मंचन किया जाता था। 1930 में लालटेन की रोशनी में और 1960 के बाद से विद्युत बल्बों की मदद से मंचन किया गया। इस तरह पौड़ी की रामलीला में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन यह अनवरत जारी।
दो साल नहीं किया जा सका मंचन
नब्बे के दशक में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर में दो साल मंचन नहीं किया जा सका, वजह कि अधिकांश रंगकर्मी खुद आंदोलन से जुड़े हुए थे। उसके बाद से यहां लगातार दस दिनी रामलीला का मंचन होता है।
महिला पात्रों की भूमिका महिला कलाकार निभाती
पौड़ी की रामलीला की खासियत यह है कि यहां मंचन पूरी तरह पारसी थियेटर एवं शास्त्रीय संगीत पर आधारित है। रामलीला मंचन शुरू होने से पहले कमेटी और अन्य नागरिकों की ओर से कंडोलिया देवता की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। पहले रामलीला के पात्रों की भूमिका पुरुष पात्र ही निभाते थे, लेकिन वर्ष 2000 से रामलीला मंचन में महिला पात्रों की भूमिका महिला कलाकार करने लगी हैं।
नब्बे के दशक में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर में दो साल मंचन नहीं किया जा सका, वजह कि अधिकांश रंगकर्मी खुद आंदोलन से जुड़े हुए थे। उसके बाद से यहां लगातार दस दिनी रामलीला का मंचन होता है।
महिला पात्रों की भूमिका महिला कलाकार निभाती
पौड़ी की रामलीला की खासियत यह है कि यहां मंचन पूरी तरह पारसी थियेटर एवं शास्त्रीय संगीत पर आधारित है। रामलीला मंचन शुरू होने से पहले कमेटी और अन्य नागरिकों की ओर से कंडोलिया देवता की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। पहले रामलीला के पात्रों की भूमिका पुरुष पात्र ही निभाते थे, लेकिन वर्ष 2000 से रामलीला मंचन में महिला पात्रों की भूमिका महिला कलाकार करने लगी हैं।
रामलीला कमेटी ने वर्ष 2000 में लिया निर्णय
रामलीला में सीता का किरदार निभाले वाली रंगकर्मी प्रियंका रावत (23 वर्ष) बताती हैं कि रामलीला कमेटी ने वर्ष 2000 में महिला किरदार के लिए महिलाओं को ही शामिल करने का निर्णय लिया। इस पर आस-पास के बच्चे रामलीला में किरदार निभाने के लिए शामिल हुए।
इस बार खास है रामलीला
पर्यटन नगरी पौड़ी में एक अक्टूबर से रामलीला मंचन शुरू हो गया। मंचन का उद्घाटन कारगिल शहीद कुलदीप सिंह की माता कमला देवी ने किया। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आशुतोष नेगी ने बताया कि इस बार रामलीला का मंचन खास है। इस दौरान पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम, महिताब सिंह, वीरेंद्र रावत, राम सिंह, गौरीशंकर थपलियाल, उमाचरण बड़थ्वाल, दिनेश रावत आदि शामिल थे।
रामलीला में सीता का किरदार निभाले वाली रंगकर्मी प्रियंका रावत (23 वर्ष) बताती हैं कि रामलीला कमेटी ने वर्ष 2000 में महिला किरदार के लिए महिलाओं को ही शामिल करने का निर्णय लिया। इस पर आस-पास के बच्चे रामलीला में किरदार निभाने के लिए शामिल हुए।
इस बार खास है रामलीला
पर्यटन नगरी पौड़ी में एक अक्टूबर से रामलीला मंचन शुरू हो गया। मंचन का उद्घाटन कारगिल शहीद कुलदीप सिंह की माता कमला देवी ने किया। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आशुतोष नेगी ने बताया कि इस बार रामलीला का मंचन खास है। इस दौरान पालिकाध्यक्ष यशपाल बेनाम, महिताब सिंह, वीरेंद्र रावत, राम सिंह, गौरीशंकर थपलियाल, उमाचरण बड़थ्वाल, दिनेश रावत आदि शामिल थे।
साभार -दैनिक जागरण
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