नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवा में
क्षेतिज आरक्षण को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। कोर्ट के फैसले से राज्य
आन्दोलनकारी और सरकार को बड़ा झटका लगा है।
राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियो में 10 प्रतिशत क्षेतिज आरक्षण का मामला अदालत में विचाराधीन था। इस याचिका पर पिछले साल फैसला आया तो उसमें दो न्यायाधीशों की राय अलग-अलग थी। जस्टिस सुधांशु धुलिया की कोर्ट का मत था कि राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देना असंवैधानिक है तो जस्टिस यूसी ध्यानी की कोर्ट ने आरक्षण को विधिसम्मत घोषित किया था। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ ने मामला तीसरी बेंच को रेफर कर दिया था। पिछले दिनों कोर्ट इस मामले में सुनवाई पूरी कर चुकी है। बुधवार को न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ मामले में यह निर्णय सुनाया। जिसके तहत हाईकोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों को क्षेतिज आरक्षण देने के मामले को असंवैधानिक घोषित कर दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले से राज्य आंदोलनकारियों व सरकार को बड़ा झटका लगा है।
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