Thursday, 18 March 2010

बर्फीला बियाबान ले रहा शौकीनों की जान

-कालिंदी पास बदरीनाथ ट्रैक पर हर साल साहसिक पर्यटन को पहुंचते हैं पर्यटक -ट्रैक पर संचार माध्यमों का अभाव व सुरक्षा के नहीं रहते पर्याप्त इंतजाम -निजी ट्रैकिंग कंपनियां रख देती हैं जरूरी नियमों को ताक पर -प्रतिवर्ष ट्रैकर्स खराब मौसम में गंवा बैठते हैं जान Pahar1- उत्तरकाशी रोमांच और साहसिक पर्यटन के शौकीनों को उत्तराखंड के जोखिमभरे उच्च हिमालयी ट्रैक आकर्षित करते आए हैं। राज्य के प्रमुख ट्रैकरूट में शामिल उत्तरकाशी का कालिंदी पास बदरीनाथ ट्रैक पथारोहियों के बीच काफी लोकप्रिय है। हर साल सैकड़ों ट्रैकर इस रूट पर एडवेंचर टूरिज्म को पहुंचते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी और राहत- बचाव के लचर इंतजामों के चलते यह बर्फीला बियाबान हर साल कई पर्यटकों की जान लील जाता है। पथारोहियों की खास पसंद बनता जा रहा कालिंदी पास बदरीनाथ ट्रैक करीब 106 किमी लंबा है, जिसमें ट्रैकिंग दल गंगोत्री से भोजवासा, गोमुख, नंदनवन, वासुकिताल, खड़ा पत्थर आदि पड़ावों के बाद कालिंदी बेस तक पहुंचते हैं। वहां से आठ किमी की कठिन चढ़ाई के बाद समुद्रतल से 5950 ऊंचे बर्फीले कालिंदी दर्रे को पार कर राजपड़ाव, अर्वाताल, सीमावर्ती चेकपोस्ट घस्तोली से होते हुए माणा व बदरीनाथ पहुंचते हैं। औसतन बारह दिन में पूरे होने वाले इस ट्रैक के लिये जिला प्रशासन ने वर्ष 2006 में चौबीस और 2008 में करीब 44 परमिट जारी किये गये, जबकि एक दर्जन से अधिक ट्रैकिंग दल बिना परमिट के इस जोखिम भरे ट्रैक पर निकल गये थे। इनमें रास्ता भटके दो रूसी दलों को बचाने में उत्तरकाशी व चमोली जिला प्रशासन को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। इस दौरान अलग अलग दुर्घटनाओं में दो लोगों की मौत भी हो गई थी। इससे पूर्व भी कई दल इस रूट पर दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। इसे देखते हुए वर्ष 2009 में जिला प्रशासन ने कुछ समय बाद ही कालिंदी ट्रैक में जाने पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बावजूद निजी ट्रैकिंग कंपनियों के जरिए ट्रैक पर पर्यटकों का जाना बदस्तूर जारी है, लेकिन कुशल गाइड व पोर्टरों की कमी और बिना अनुमति के जाने की यह प्रवृत्ति नुकसानदेह साबित हो रही है। दरअसल, इन दलों के पास राहत एवं बचाव के लिये जरूरी इंतजाम नहीं रहते। ट्रैकिंग कंपनियां भी अधिक मुनाफा कमाने के फेर में नियमों व जरूरी सुरक्षा उपायों को ताक पर रखकर ट्रैक करवा देती हैं। ऐसे में हर साल इस बर्फीले बियाबान में पर्यटकों को जान गंवानी पड़ती है। इस संबंध में उपजिलाधिकारी एसएल सेमवाल ने बताया कि बीते वर्ष मौसम को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस ट्रैक की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन इस बार यदि मौसम ठीक रहा, तो कालिंदी ट्रैक खुला रहेगा। उन्होंने कहा कि ट्रैक पर जाने से पूर्व निजी ट्रैकिंग कंपनियों के सुरक्षा इंतजामों की पूरी जांच की जाएगी।

No comments:

Post a Comment