Thursday, 18 March 2010
-संघर्ष ने भरी सफलता की 'उड़ान
महिलाओं को सेना में स्थान दिलाने में दून की विंग कमांडर अनुपमा जोशी रही हैं संघर्ष की सूत्रधार
सबसे पहले विंग कमांडर जोशी ने उठायी थी सेना में महिलाओं के अधिकार की आवाज
Pahar1-
वायुसेना में शुरुआती पांच साल के कैरियर में उनके प्रदर्शन को सभी ने सराहा। अधिकारियों ने उनकी खूब तारीफ की। मेडल दिए गए और सर्टिफिकेट भी। साथ ही एक झटका भी। उन्हें कहा गया कि वह अब आगे काम नहीं कर सकती। मन ही मन सोचा जब मैं पुरुषों से बेहतर कर सकती हूं तो फिर आगे बढऩे से क्यों रोका जा रहा है। आला अधिकारियों से लेकर चीफ तक से इस पर प्रश्न पूछा, लेकिन जवाब किसी ने नहीं दिया। अंत में हाईकोर्ट के शरण ली। रिटायरमेंट के बाद थकी नहीं, अपने संघर्ष को जारी रखा। नतीजा आज सेना में काम करने वाली महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने के रूप में सामने आया। इस नतीजे से वह बहुत खुश हैं। वे इसे महिला अधिकारों की जीत मानती हैं। उन्हें उम्मीद है कि महिलाओं को अब कांबेट ट्रेनिंग में भी लिया जा सकेगा।
बात हो रही है देहरादून में रहने वाली विंग कमांडर अनुपमा जोशी की। जिन्होंने सेना में रहते हुए महिला अधिकारियों के अधिकार की आवाज बुलंद की और अपने संघर्ष को अंजाम तक पहुंचाया। अनुपमा जोशी का 1992 में एयर फोर्स में पहली महिला अधिकारी के रूप में चयन हुआ। इसके बाद वह अपनी मेहनत और जज्बे के बल पर आगे बढ़ती रही। पहले पांच साल की सर्विस के बाद उन्होंने आवाज उठाई तो उन्हें तीन साल और फिर तीन साल का एक्सटेंशन मिला। हर बार टुकड़ों में मिल रहे एक्सटेंशन से वह खिन्न आ गई। उन्होंने 2002 में इसके लिए अपने सीनियर अधिकारियों से लिखित में जवाब मांगा। यहां से कोई जवाब न मिलने पर चीफ को पत्र लिखकर जवाब मांगा। कहीं से कोई जवाब नहीं आया तो फिर उन्होंने इसके लिए कोर्ट में मुकदमा करने की ठान ली। 2006 में उन्होंने अन्य महिला अधिकारी के साथ कोर्ट में याचिका दर्ज की। ऐसा करने वाली वह पहली महिला अधिकारी थी। कोर्ट ने इस केस की सुनवाई में नई भर्तियों को स्थायी कमीशन देने का फैसला दिया, लेकिन सर्विंग महिला अधिकारियों का फैसला नहीं हो पाया। 2008 में वह रिटायर हो गई लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा। इस बीच कुछ अन्य अधिकारियों ने भी सेना में तैनात महिलाओं को स्थायी कमीशन देने को मुकदमा दायर किया। इस पर हाईकोर्ट ने एक संयुक्त सुनवाई ने महिला अधिकारियों के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया है। विंग कमांडर जोशी कहती हैं कि इस फैसले से वह बहुत खुश हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि महिलाओं को अब कांबेट ट्रेनिंग में भी भर्ती किया जाएगा।
दोबारा कर सकती हैं सेवा
विंग कमांडर जोशी दुबारा वायुसेना को अपनी सेवाएं दे सकती हैं। विंग कमांडर अनुपमा जोशी कहती हैं कि कोर्ट ने याचिका में शामिल महिला अधिकारियों की सर्विस कंटीन्यू करने की बात कही हैं। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि दुबारा अपनी सेवाएं देने का मौका मिल सकता है।
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पहाड़ की महिला सब पर भारी जय उत्तराखंड जय पहाड़़
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