Thursday, 18 March 2010
-542 इकाइयों पर मंडराया खतरा
-औद्योगिक पैकेज पर 'ब्रेकÓ से बढ़ा खतरा
-31 मार्च तक उत्पादन शुरू करने वाली इकाइयों को ही मिलेगी करों में छूट
-लक्ष्य से काफी पीछे है राज्य के पांचोंं औद्योगिक आस्थान
Pahar1-31 मार्च का दिन सरकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए भले ही राज्य के लिए शुभ रहे, लेकिन औद्योगिक दृष्टि से यह दिन बुरा ही रहेगा। औद्योगिक पैकेज पर केन्द्र का रहमोकरम न होने पर राज्य से करोड़ों का निवेश हाथ से चला जायेगा, साथ ही 542 इकाइयां भी अपना दूसरा ठिकाना खोज सकती हंै, क्योंकि राज्य के पांचों औद्योगिक आस्थान लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैैं।
वर्ष 2000 में जन्मे उत्तराखंड राज्य के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विशेष राज्य का दर्जा दिया था। इसके तहत वर्ष 2013 तक औद्योगिक पैकेज घोषित किया गया था। पैकेज में निर्धारित अवधि में स्थापित होने वाली औद्योगिक इकाइयों के लिए करों में छूट मिलने का प्रावधान है लेकिन केन्द्र में सत्तासीन यूपीए सरकार ने पैकेज की अवधि 2013 से घटाकर 2010 कर दी है। यानि पैकेज की अवधि 14 दिनों बाद 31 मार्च 2010 को खत्म हो रही है।
औद्योगिक पैकेज का लाभ लेने के लिए राज्य सरकार ने अपने स्तर से उत्तराखंड के पंतनगर, हरिद्वार, फार्मा सिटी (देहरादून) कोटद्वार, आईटी पार्क देहरादून व सितारगंज में औद्योगिक आस्थान स्थापित किये। इनमें 1465 औद्योगिक इकाइयों स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। राज्य के लिए इसके सकारात्मक परिणाम भी मिले। टाटा, बजाज, ब्रिटानिया, अशोक लेलैैंड, डाबर सहित देश के नामी औद्योगिक घरानों ने उत्तराखंड की ओर रुझान बढ़ाया और अपनी इकाइयां स्थापित की। इससे राज्य की बेरोजगारी के जख्म को भी काफी मरहम लगा।
औद्योगिक इकाइयों के बारे में शासन स्तर पर एकत्र 15 फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक पांचों आस्थानों में 294 एकड़ भूमि रिक्त पड़ी है। 1465 औद्योगिक इकाइयों में 733 इकाइयां लग चुकी हैैं जबकि 542 इकाइयां निर्माणाधीन हैं। सूत्रों के मुताबिक 15631 करोड़ निवेश हो चुका है और करीब एक लाख 56 हजार बेरोजगारों को नौकरी मिल चुकी है जबकि प्रस्तावित इकाइयों में उत्पादन शुरू होने के बाद यह संख्या दो गुनी होने की संभावना है। जानकारों का मानना है कि 31 मार्च तक चंद इकाइयां ही उत्पादन शुरू करने में कामयाब हो सकेंगी। लिहाजा बाकी के लिए छूट का लाभ नहीं मिल सकेगा। ऐसे में उद्योगपति यहां उत्पादन शुरू करने का निर्णय बदल भी सकते हैैं।
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औद्योगिक पैकेज की अवधि बढ़ाने के लिए बृहद स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैैं। खुद मुख्यमंत्री कांग्रेस के राज्य से निर्वाचित पांचों सांसदों के साथ प्रधानमंत्री से मिल चुके हैैं। इसके अलावा भी सरकार पैकेज की अवधि बढ़ाने अन्य स्तर से कोशिश कर रही है।
बंशीधर भगत, परिवहन मंत्री, उत्तराखंड
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