Thursday, 18 March 2010
नदियां कहेंगी, आजा मेरे पास
-गुजरात की साबरमती नदी की
तर्ज पर उत्तराखंड की नदियों की सूरत संवारेगा सिंचाई विभाग
-सर्वे कर गुजरात से लौटे अधिकारी
-गौला, कोसी व ढेला समेत छह नदियां चिह्नित
हल्द्वानी: pahar1- जी हां, जो नदियां अब तक कहर ढाती रही हैैं, वे अब आपको आकर्षित करेंगी। सिंचाई विभाग रिवर फ्रंट डवलेपमेंट प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड की प्रमुख नदियों की सूरत संवारने की तैयारी कर रहा है। इनकी साज-सज्जा गुजरात की साबरमती नदी की तर्ज पर की जाएगी। इसके लिए विभागीय अधिकारियों का एक दल गुजरात का दौरा भी कर आया है।
नदी-नहरों का प्रदेश कहलाने वाले उत्तराखंड में नदियां और नहरें लोगों की जान-माल के लिए खतरा बनती जा रही हैैं। बरसात के मौसम में इनमें आने वाली बाढ़ भारी तबाही मचाती। इस स्थिति से निपटने के लिए सिंचाई विभाग ने रिवर फ्रंट डवलेपमेंट प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसके तहत सिंचाई विभाग नदियों को सुंदर और सुरक्षित बनाने जा रहा है। इसके लिए सिंचाई विभागाध्यक्ष एबी पाठक ने छह अधिकारियों का एक दल साबरमती नदी के निरीक्षण और उसको आकर्षक बनाने के लिए किए गये जतन की जानकारी लेने गुजरात भेजा था, जो वापस लौट आया है। श्री पाठक ने बताया कि साबरमती नदी की तर्ज पर ही राज्य की नदियों का सौैंदर्यीकरण किया जाएगा। इसके लिए फिलहाल छह नदियों का चयन किया गया है। कुमाऊं में गौलानदी का काठगोदाम से लेकर किच्छा तक (35 किलोमीटर), कोसी नदी का रामनगर से बाजपुर तक (12 किमी) तथा ढेला नदी का काशीपुर से मुरादाबाद सीमा तक सौैंदर्यीकरण किया जाएगा। इसी तरह गढ़वाल में देहरादून शहर के बीच से होकर गुजरने वाली बिंदाल नदी (13 किमी) तथा सौैंग और रिस्पना नदियों का करीब 20 किलोमीटर तक सौंदर्यीकरण किया जाएगा। श्री पाठक ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत नदियों के दोनों तटों को पक्का बनाने के साथ ही दोनों ओर टू-लेन मार्ग बनाया जायेगा। इससे जहां नदियों में आने वाली बाढ़ से होने वाली भूमि कटाव की समस्या खत्म होगी, वहीं आबादी भी सुरक्षित रहेगी। इसके अलावा नदियों के किनारे बनने वाली टू-लेन सड़कों के किनारे-किनारे विभिन्न किस्मों के पेड़-पौधे व फूल लगाए जाएंगे ताकि लोग प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठा सकें। इसके लिए विभागीय इंजीनियर प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैैं।
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