Tuesday, 23 March 2010

परम्पराएं तोड़ शवयात्रा में शामिल हुई तीन महिलायें

जिले में पहला मामला , पिथौरागढ़: पर्वतीय क्षेत्र की महिलायें भी अब परम्पराएं तोडऩे के लिए आगे आ रही हैं। मैदानी क्षेत्रों में परिवार के मुखिया को मुखाग्नि देने महिलायें आगे आ चुकी हैं अब उत्तराखण्ड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में पहली बार शव यात्रा में शामिल होकर महिलाओं के शव यात्रा में शामिल न होने की परम्परा को तोड़ डाला है। सामाजिक कार्यकत्री रीता गहतोड़ी के चचेरे भाई का बीसी गहतोड़ी निवासी वड्डा का दो रोज पूर्व आकस्मिक निधन हो गया था। अपने भाई से गहरा लगाव रखने वाली रीता उनकी बहन करुणा और मां हरिप्रिया इस घटना से खासी आहत हुई। भाई की शव यात्रा शुरु हुई तो बहनें भी अपने आप को रोक नहीं पायी और शव यात्रा में शामिल हो गयी। बेटियों को परम्परा तोड़ती देख मां को भी साहस आया और वह भी शवयात्रा में शामिल हो गयी। मां और दोनों बेटियां शव यात्रा में रामेश्वर घाट तक पहुंची और शवदाह की प्रक्रिया में शामिल हुई। महिलाओं के पहली बार शवयात्रा में शामिल होने का कई महिला संगठनों ने स्वागत किया है। ऑल इण्डिया प्रोग्रेसिव महिला एक्टेविस्ट की महिला नेत्री पुष्पा मर्तोलिया महिलाओं के इस कदम की सराहना करते हुए बताया कि रुढ़ परम्परायें टूटनी चाहिए। उन्होंने कहा इससे अन्य महिलाओं को भी बल मिलेगा। शव यात्रा में शामिल हुयी रीता का कहना है कि उन्हें अपने इस कदम से आत्मिक शांति मिली है।

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