Tuesday, 23 March 2010

पहाड़ों ने ही मुझे पहाड़ पर चढ़ा दिया: लव

-लव और रीना से गौरवान्वित है उत्तराखंड -दुनिया ने दिया सम्मान पर उत्तराखंड से बधाई न मिलने की टीस भी झलकी -तीन बार एवरेस्ट विजेता लवराज धर्मसत्तू ने बताया कि कैसे पैदा हुआ साहस -एवरेस्ट विजेता लव धर्मसत्तू और दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला उनकी पत्नी रीना कौशल धर्मसत्तू के साक्षात्कार -पर्वतारोहण में प्रतिभा विकास के लिए इंस्टीट्यूट खोलने की बताई जरूरत हल्द्वानी: दृढ़ इच्छा शक्ति और जुनून किसी भी व्यक्ति की मंजिल आसान कर देता है। इसका जीता-जागता उदाहरण है पिथौरागढ़ में जन्में लवराज सिंह धर्मसत्तू, जिन्हें आज देश-प्रदेश नहीं बल्कि दुनिया इतिहास रचयिता के रूप में पढ़ती है। रविवार को एक समारोह में यहां आए श्री धर्मसत्तू से रूबरू होने का मौका मिला। बातचीत में उन्होंने कहा कि पहाड़ों ने ही पहाड़ पर चढ़ा दिया। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर एक-दो बार नहीं बल्कि तीन बार चढऩे का इतिहास रचने वाले लव ने कहा कि पिथौरागढ़ जिले के तहसील मुनस्यारी क्षेत्र के गांव बोना में उनका जन्म हुआ। पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र में बचपन बीता, कुछ समझ आई तो सोचने लगा कि उतार-चढ़ाव में जिंदगी कट जाएगी। क्यों न कुछ खास किया जाएगा। बस में मन में यही ठान लिया कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ुंगा। उसी संकल्प ने एवरेस्ट को फतह करा दिया। 19 मई 1998, 20 मई 2006 और 21 मई 2009 तिथियों को तीन बार एवरेस्ट पर चढऩे वाले लव ने बताया कि दो बार नेपाल से और एक बार चीन से उन्होंने चढ़ाई की। दोनों ओर से चढऩे पर डेढ़ महीना लगा। हालांकि लव बार्डर सिक्योरिटी फोर्स दिल्ली में इंस्पेक्टर हैैं, लेकिन प्रतिभाओं को उचित प्रोत्साहन की व्यवस्था न होने से व्यथित दिखे। कहने लगे कि प्रतिभा का विकास किया जाता है। अगर पर्वतारोहण के लिए जगह-जगह इंस्टीट्यूट खुल जाएं तो इससे सरकार को भी बड़ा राजस्व प्राप्त होगा और इस क्षेत्र में प्रतिभाएं भी विकसित होंगी। बोले-मनाली और उत्तरकाशी में उच्च स्तर इंस्टीट्यूट हैैं, मनाली के इंस्टीट्यूट से सरकार को प्रतिवर्ष छह करोड़ रुपये मिलते हैैं मगर वहां इसका बहुत अच्छा क्रेज है। बातचीत में भले ही उनकी जुवां पर बात नहीं आई लेकिन चेहरे के भाव ने साफ एहसास करा दिया कि दिल्ली सरकार ने तो उनको सम्मानित किया मगर उत्तराखंड के निवासी इस सपूत को यहीं की सरकार ने आज तक बधाई भी नहीं दी है।-- हर महिला पहुंच सकती है दक्षिणी ध्रुव पर: रीना हल्द्वानी: दुनिया जहां लवराज धर्मसत्तू को पलकों पर रखती है, तो उनकी पत्नी रीना कौशल धर्मसत्तू के साहस को भी इतिहास का सलाम है। यहां सम्मान समारोह में भाग लेने आईं रीना ने यात्रा के अनुभव बांटे। बोलीं- कॉमनवेल्थ की साठवीं सालगिरह पर आयोजित महिला स्कीइंग अभियान में सात देशों के प्रतिभागियों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। शून्य से नीचे तापमान और बर्फीले तूफानों में आठ से नौ घंटे प्रतिदिन स्कीइंग करके 40 दिन में 29 दिसंबर 2009 को छह अन्य प्रतिभागियों के साथ दक्षिणी ध्रुव पहुंचने की उपलब्धि हासिल करके प्रथम भारतीय महिला होने का गौरव प्राप्त किया। एक सवाल के जबाव में उनका यही कहना था कि अन्य खेल और कार्यक्रमों का प्रचार होता है उनको सुलभ कराया जाता है। इसलिए युवा वर्ग का रुझान भी उसी ओर बढ़ रहा है। ऐसे में स्कीइंग के क्षेत्र में भी प्रतिभा तरासने का काम करना होगा। महिला होने के बावजूद इतना बड़ा साहस जुटाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कौन सा काम ऐसा है कि जो महिला नहीं कर सकती। आत्मविश्वास से लबरेज रीना कहती हैैं कि जब मैैं दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच सकती हूं। तो हर महिला पहुंच सकती है। बस, इच्छाशक्ति जगाने की जरूरत है। साहस तो खुद व खुद आ जाता है। ---

5 comments:

  1. I am very proud of u both,congratulations!!!!!

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  2. Wow..Incredible...Congratulations both of you...I just started training our 2 years old on Skiing. He is loving it.

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  3. Thats commendable....Veer PAHAR PUTRA ko ek aur Pahari ki taraf se GRAND SALUTE ,,,,spending 1.5 months on Everest is beyond imagination,,,I find myself frozen within 2min on 1inch snow...One more salute to Inspector Loveraaj....
    Sanjupahari

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  4. its really a matter of proud for all of us

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  5. meri taraf se dher sari shubh kamnayen wa badhi main vijaya pant hun. 1977 me shri sundarlal bahuguna ji ne mujhe nim bheja thaa. seven sister brig gyan singh ki madad se maine chndrprabha di ne wa bachendri pal ne shuru kiya thaa.

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