गूगल पर तो है, लेकिन सरकारी पर्यटन मानचित्र से गायब, 315 पुष्पों की प्रजातियां हैं यहां
गोपेश्वर।
पर्यटन के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान रखने वाले चमोली जिले में कई पर्यटक
स्थल अब भी गुमनामी के अंधेरों में हैं। जोशीमठ ब्लॉक मुख्यालय की ठीक
सामने थैंग गांव के पास ही चेनाप घाटी पर्यटन के मानचित्र में सरकारी
अनदेखी के कारण ही जगह नहीं बना पाई है। वनस्पति विशेषज्ञों के अनुसार इस
घाटी में 315 प्रजाति के पुष्प हैं। ऐसे में इसे दूसरी फूलों की घाटी कहना
अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस क्षेत्र में हिमालय में होने वाली अनेकाें
जड़ी-बूटियां भी उपलब्ध हैं। इस स्थान की जानकारी कुछ यायावरी पर्यटकों ने
गूगल पर दी है, लेकिन सरकार के पर्यटन मानचित्र पर यह घाटी गायब है।
ग्रामीण
दिलवर सिंह और प्रदीप सिंह का कहना है कि क्षेत्र में जानकारी के अभाव के
कारण मात्र बंगाली पर्यटक ही इस क्षेत्र में पहुंचता है। सरकार घाटी की
जानकारी को पर्यटन विभाग की प्रचार सामग्री में शामिल करती है, तो क्षेत्र
में पर्यटन व्यवसाय बढ़ सकता है।
कैसे पहुंचे
ऋषिकेश-बदरीनाथ
हाईवे पर जोशीमठ के समीप मारवाड़ी पुल से तीन दिनों की पैदल यात्रा कर
चेनाप घाटी पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए जोशीमठ से करीब 28 किमी
की दूरी तय करनी होती है। जिसमें 10 किमी सड़क मार्ग तथा करीब 18 किमी
पैदल दूरी है। ट्रैकिंग के मार्ग में दो पड़ाव हैं। पहले दिन मारवाडी से
करीब आठ किमी की दूरी पर स्थित थैंग, दूसरे दिन थैंग गांव से छह किमी की
दूरी तय कर धार खर्क तथा तीसरे दिन धार खर्क से चार किमी की दूरी तय कर
चेनाप घाटी पहुंचते हैं।
कहां है चेनाप घाटी
चमोली
जनपद के सीमांत विकास खंड जोशीमठ के मुख्यालय के ठीक सामने स्थित मध्य
हिमालय के सोना शिखर पर स्थित थैंग गांव से कुछ दूरी पर समुद्र तल से करीब
13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है चेनाप।
घाटी
में फूलों की विभिन्न प्रजातियां और मीलों फैले बुग्यालों के साथ ही
स्वानू और नंदू ताल भी स्थित हैं। जबकि थैंग का ऐतिहासिक राज राजेश्वरी मां
नंदा का मंदिर भी दर्शनीय है।
जोशीमठ क्षेत्र की चिनाब घाटी। यहां विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक फूल और बुग्याल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
जिले
के कई नए पर्यटन स्थल की सूची तैयार की गई है, जिसमें जनपद के कई स्थलों
को शामिल किया गया है। जोशीमठ की चेनाप घाटी को भी जिले के साहसिक पर्यटक
स्थल की सूची में शामिल किया गया है। शीघ्र घाटी को पर्यटन मानचित्र में
शामिल कर लिया जाएगा।
- सोबत सिंह राणा, जिला पर्यटन अधिकारी,( लेखक राजा तिवारी-
साभार अमर उजाला -देहरादून )
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