Thursday, 21 November 2013

उत्तराखंड के डेढ़ लाख पूर्व फौजियों की निकल पड़ी

सुप्रीमकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तराखंड के पूर्व फौजियों को तोहफा दिया है। कोर्ट ने इन फोजियों को वर्ष 2006 जनवरी से वन रैंक, वन पेंशन का लाभ देने का आदेश दिया है।

पूर्व फौजियों को 2006 की जगह 2012 से लाभ देने की पेशकश वाली केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी गई है। आदेश से 2006 से पहले रिटायर हुए पूर्व सैनिक-अफसर और विधवाओं को वन-रैंक-वन पेंशन योजना का लाभ 2006 से मिलेगा। इससे उत्तराखंड के डेढ़ लाख पूर्व सैनिक लाभान्वित होंगे। फैसले से पूर्व सैनिकों को 7 वर्ष का एरियर मिलेगा।
2006 को छठा वेतन आयोग लागू हुआ था
केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2006 को छठा वेतन आयोग लागू किया था। 2006 से पहले रिटायर होने के कारण छठे वेतन आयोग से वंचित पूर्व सैनिकों ने विरोध शुरू कर दिया। सैनिकों के दबाव में केंद्र सरकार ने 24 सितंबर 2012 को वन-रैंक-वन पेंशन के तहत लाभ देने की घोषणा की।

पूर्व सैनिकों ने मांग की कि उन्हें एक जनवरी 2006 से योजना का लाभ दिया जाए। वहीं दूसरी ओर इसी मांग को लेकर कोर्ट पहुंचे केंद्र सरकार के सिविल कर्मियों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि सिविल कर्मियों को 2006 से योजना का लाभ दिया जाए। फौजियों को इस फैसले से अलग रखा गया।

सिविल कर्मियों के हक में फैसला आने पर फौजियों ने दबाव बनाना शुरू किया तो केंद्र सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की। प्रकरण की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 12 नवंबर को केंद्र सरकार की दलील को दरकिनार करते हुए पूर्व फौजियों को 2006 से योजना का लाभ देने के आदेश दिए।

इन्हें मिलेगा फायदा

सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद योजना का लाभ सैनिक, नायक, हवलदार, मेजर, कर्नल, ले. जनरल, समेत अन्य हायर रैंक को फायदा होगा।

इन्हें नहीं मिलेगा लाभ
पूर्व में वन-रैंक-वन पेंशन का लाभ ले चुके नायब सूबेदार, सूबेदार और सूबेदार मेजर रैंक के फौजियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।

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