Friday, 30 April 2010
पर्यटन के अरमानों को केंद्र ने लगाए पंख
-102 करोड़ के नौ महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को मंजूरी
-केंद्र के दिशा-निर्देशों के मुताबिक तैयार होंगे प्रोजेक्ट
-मेगा सर्किट को 50 करोड़, सर्किट को आठ करोड़ व टूरिस्ट डेस्टिनेशन को मिलेंगे पांच करोड़
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दुनिया की नजरों से दूर जगह-जगह बिखरी प्रकृति की खूबसूरती की नेमतों पर सिवाए इठलाने के उत्तराखंड के हाथ 'इकन्नीÓ भी नहीं लग रही। वजह ढांचागत सुविधाओं की कमी है। इसे जुटाने को केंद्रीय इमदाद पर टकटकी बांधे सूबे को राहत नजर आ रही है। केंद्र ने नए वित्तीय वर्ष तकरीबन 102 करोड़ के नौ महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर केंद्र की 'हांÓ ने राज्य के अरमानों को फिलहाल पंख लगा दिए हैं।
खूबसूरती में सानी नहीं रखने वाले ऐसे स्थान काफी तादाद में उत्तराखंड में हैं, जहां पर्यटक पहुंच नहीं पाते। राज्य बनने के बाद पर्यटन से आमदनी की आस में जनता तरस कर रह गई है। यह तय है कि अपने दम पर पर्यटक स्थलों का विकास सूबे के बूते के बाहर है। इस वजह से केंद्र की मदद पाने को छटपटाहट बढ़ती जा रही है। राज्य ने ऐसे प्रोजेक्ट काफी संख्या में केंद्र को भेजे हैं। राहत यह है कि केंद्र ने नौ प्रोजेक्ट पर सहमति देने के साथ ही नए निर्देशों के साथ उनकी ठोस कार्ययोजना पेश करने को कहा है। जिन प्रोजेक्ट को वर्ष 2010-11 में प्राथमिकता दी गई, उनमें 50 करोड़ लागत से एक मेगा, 32 करोड़ लागत से चार सर्किट और 20 करोड़ लागत से चार टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित किए जाने हैं। निर्मल गंगोत्री मेगा प्रोजेक्ट पर 50 करोड़, ऋषिकेश-नरेंद्रनगर-चंबा-उत्तरकाशी-भटवाड़ी-हर्षिल-गंगोत्री पर आठ करोड़, पंच प्रयाग-श्रीनगर सर्किट पर आठ करोड़, टिहरी झील डेस्टिेशन विकास पर आठ करोड़, अल्मोड़ा डेस्टिेशन विकास पर पांच करोड़, भवाली-रामगढ़-मुक्तेश्वर-धारी-भीमताल-सत्तल-हेडाखान-हल्द्वानी सर्किट पर आठ करोड़, हरिपुर व नानक सागर-श्यामलताल-चंपावत-लोहाघाट-मायावती-बगवाल-देवता-काठगोदाम सर्किट पर आठ करोड़, काठ की नाऊ-कूखेत-मनीला-मल्ला भिकियासैंण-नीलेश्वर मंदिर-जेनल-मासी-चौखुटिया-द्वाराहाट-कौसानी-बागेश्वर सर्किट पर आठ करोड़ का अनुमानित खर्चा आएगा।
केंद्र के साथ सूबे के अफसरों की बैठक में इन प्रोजेक्ट का खाका तैयार करने को केंद्र ने निर्देश भी जारी किए हैं। इसके मुताबिक राज्यस्तरीय निगरानी समिति की बैठकों की कार्यवाही की नियमित सूचना केंद्र को भेजी जाएगी। हाईवे पर हर 30 किमी पर यात्रियों व पर्यटकों के लिए सड़क किनारे जरूरी सुविधाओं का बंदोबस्त करना होगा। पर्यावरण की सुरक्षा को सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट, पर्यटन विकास के लिए एकीकृत ढंग से निजी व सरकारी क्षेत्रों की भागीदारी प्रोत्साहित करने, पार्किंग की समुचित सुविधाओं पर जोर दिया गया है। केंद्र ने पहले प्रस्तावित तीन प्रोजेक्ट औली इको टूरिज्म, देहरादून-हरिद्वार सर्किट व हरिद्वार मेगा सर्किट को भी मंजूरी दी है, लेकिन इनके लिए फंड उपलब्धता के आधार पर दिया जाएगा। पर्यटन प्रमुख सचिव राकेश शर्मा ने उक्त निर्देशों के मुताबिक प्रोजेक्ट की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
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