पंचाट ने अंजू, सुषमा तिवारी, नीलम सहित दर्जनों लोगों की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है। अग्रवाल ने याचिका में मंत्रालय द्वारा नवंबर, 2010 में जारी अधिसूचना को शिक्षा का अधिकार कानून की धारा-23 के खिलाफ बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। अधिवक्ता अग्रवाल ने पीठ को बताया था कि दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों में छात्र और शिक्षकों के अनुपात में भारी कमी है। इसे शिक्षक पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता में छूट देकर ही पूरा किया जा सकता है।
हजारों लोगों को राहत
1% लोग ही पास कर पाते हैं सीटीईटी की परीक्षा
40 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए प्रत्येक स्कूल में
08 विकलांग छात्रों पर 1 शिक्षक अनिवार्य होता है
यह था मामला
- दिल्ली सरकार व नगर निगम के स्कूलों में नेत्रहीन, मूक, बधिर बच्चों के लिए 2,500 विशेष शिक्षकों के पद निकाले गए थे
- सीटीईटी प्रमाण पत्र नहीं होने से ठेके पर इन बच्चों को पढ़ा रहे विशेष शिक्षकों को सरकार ने नियमित भर्ती के लिए आवेदन करने से रोक दिया
- इसके बाद करीब 50 से अधिक आवेदकों ने सीटीईटी की अनिवार्यता में छूट देने के प्रावधान को समाप्त करने के केंद्र के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। अंतरिम आदेश के तहत सभी याचिकाकर्ताओं को आवेदन की अनुमति मिल गई थी
(साभार...प्रभात कुमार -
हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव)
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