सरकार की ओर दिए गए वरिष्ठता (विज्ञापन की शर्तों) के आधार पर ही सहायक
अध्यापकों की नियुक्ति होगी। सोमवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सरकार को
नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की इजाजत दे दी। इससे पहले हाईकोर्ट की एकल
पीठ ने भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए
इस पर रोक लगा दी थी।
राज्य सरकार की अपील पर फैसला
नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ एवं न्यायमूर्ति वीके बिष्ट ने राज्य सरकार की ओर से दायर अपील की सुनवाई की। इसमें एकल पीठ की ओर से भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती की गई थी।
राज्य सरकार की ओर से अपील में कहा गया था कि टिहरी निवासी की याचिका पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है वह खारिज होने लायक थी क्योंकि याचिकाकर्ता ने विज्ञापन की शर्तों को मानते हुए भर्ती के लिए फार्म भी भरा था और दो महीने बाद याचिका भी दायर की थी। यही नहीं, उसने 31 मार्च 2014 के शासनादेश को भी चुनौती नहीं दी थी।
सरकार का कहना
सरकार की ओर से तर्क पेश करते हुए महाधिवक्ता यूके उनियाल और अभ्यर्थियों की ओर से परेश त्रिपाठी ने कहा कि यह विशेष चयन प्रक्रिया है, जिसमें बीटीसी अभ्यर्थियों के लिए बनाए गए 2012 के नियम लागू नहीं होंगे बल्कि प्रक्रिया 31 मार्च 2014 के शासनादेश के अनुसार हो रही है।
सभी पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया।
राज्य सरकार की अपील पर फैसला
नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ एवं न्यायमूर्ति वीके बिष्ट ने राज्य सरकार की ओर से दायर अपील की सुनवाई की। इसमें एकल पीठ की ओर से भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती की गई थी।
राज्य सरकार की ओर से अपील में कहा गया था कि टिहरी निवासी की याचिका पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है वह खारिज होने लायक थी क्योंकि याचिकाकर्ता ने विज्ञापन की शर्तों को मानते हुए भर्ती के लिए फार्म भी भरा था और दो महीने बाद याचिका भी दायर की थी। यही नहीं, उसने 31 मार्च 2014 के शासनादेश को भी चुनौती नहीं दी थी।
सरकार का कहना
सरकार की ओर से तर्क पेश करते हुए महाधिवक्ता यूके उनियाल और अभ्यर्थियों की ओर से परेश त्रिपाठी ने कहा कि यह विशेष चयन प्रक्रिया है, जिसमें बीटीसी अभ्यर्थियों के लिए बनाए गए 2012 के नियम लागू नहीं होंगे बल्कि प्रक्रिया 31 मार्च 2014 के शासनादेश के अनुसार हो रही है।
सभी पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया।
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