नैनीताल।
प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक की नियुक्ति के मामले में शिक्षा
विभाग की ओर से प्रशिक्षण वर्ष के आधार पर चयन सूची बनाने की व्यवस्था को
हाईकोर्ट ने अनुचित करार दिया है।
हाईकोर्ट
ने अभ्यर्थियों के बीएड और टीईटी में प्राप्त अंकों के प्रतिशत का क्रमश:
60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत अंकों के जोड़ के आधार पर चयन सूची बनाने के
निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने शिक्षा विभाग से निर्धारित विशिष्ट खेल कोटे
और राज्य आंदोलनकारियों के लिए निर्धारित कोटे को संविधान के अनुच्छेद 16
के विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने विभाग को आदेश दिया है
कि वह संशोधित 2013 की सेवा नियमावली के अनुसार चयन प्रक्रिया प्रारंभ
करें। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
टिहरी निवासी केशवानंद झिल्डियाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर
कहा था कि प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए
शिक्षा विभाग ने 1 फरवरी 2014 को एक विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें विभाग
द्वारा वरिष्ठता और हाईस्कूल, इंटर और स्नातक के गुणांक को चयन का आधार
बनाया गया। याचिकाकर्ता ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि चयन के
लिए प्रशिक्षण कोर्स के प्राप्तांकों के प्रतिशत का 60 प्रतिशत और टीईटी
में प्राप्त अंकों के प्रतिशत का 40 प्रतिशत के जोड़ के आधार पर मेरिट सूची
बनाई जाए। लेकिन विभाग ने हाईस्कूल, इंटर और स्नातक परीक्षा में पाए गए
प्राप्ताकों को भी मेरिट में शामिल कर दिया। याचिकाकर्ता का कहना था कि
विभाग की ओर से प्रशिक्षण वर्ष के आधार पर चयन सूची बनाने की व्यवस्था गलत
है।
•बीएड, टीईटी के अंकों के प्रतिशत का 60, 40 प्रतिशत अंकों के जोड़ के आधार पर चयन करने के निर्देश
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