बीटीसी धारकों को छूट नहीं
नैनीताल : हाई कोर्ट ने शिक्षा मित्रों की याचिका पर महत्वपूर्ण
फैसला सुनाते हुए बीटीसी धारक शिक्षकों को सहायक अध्यापक भर्ती में शिक्षक
पात्रता परीक्षा से छूट देने संबंधी शासनादेश को संविधान के खिलाफ करार
दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद सहायक अध्यापक भर्ती में सभी अभ्यर्थियों को
टीईटी पास करना जरूरी हो गया है। यदि बीटीसी धारक टीईटी में पास नहीं हुए
तो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। सरकार ने पिछले साल 14 जून और इस
साल 29 अगस्त को अलग-अलग शासनादेश जारी कर बीटीसी धारक अभ्यर्थियों को
टीईटी परीक्षा में शिथिलता प्रदान की थी। बीटीसी धारक शिक्षा मित्र भुवन
जोशी व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि वह बीटीसी धारक
शिक्षा मित्र के पद पर कार्यरत हैं। इसलिए उन्हें भी नियमित बीटीसी धारकों
की तर्ज पर शिक्षक पात्रता परीक्षा से छूट प्रदान की जाए। याचिकाओं में यह
भी कहा गया था कि उन्हें पढ़ाने का विशेष अनुभव हासिल है। मामले की सुनवाई
के दौरान कोर्ट ने माना कि केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के
अंतर्गत उत्कृष्ट शिक्षक तैयार करने के लिए टीईटी परीक्षा अनिवार्य की है।
केंद्र की संस्था एनसीटीई ने अधिसूचना जारी कर स्पष्ट कर दिया था कि राज्य
सरकारें बिना संस्था की अनुमति के इस मामले में कोई शासनादेश जारी नहीं कर
सकती हैं। कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को टीईटी में छूट प्रदान करने से इन्कार
करते हुए बीटीसी धारकों के लिए भी टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया। परीक्षा कोर्ट
ने सरकार से तीन माह के भीतर बगैर टीईटी पास नियुक्त बीटीसी धारकों के लिए
टीईटी की आयोजित
करने
के आदेश पारित किए। यदि वह सफल हुए तो नियुक्ति दी जाएगी, अन्यथा उन्हें
नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। मामले की सुनवाई न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु
धुलिया की एकल पीठ में हुई।
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