पिंड छुड़ाने की फिराक में है राज्य सरकार
सुधीर उनियाल, श्रीनगर (ग))-पूर्व मुख्यमंत्री जनरल भुवन चंद्र खंडूरी का ड्रीम प्रोजेक्ट यानि राजकीय मेडिकल कालेज र्शीनगर बिकने को तैयार है। संभव है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय इसका खरीदार बन जाए।
इससे पिंड छुड़ाने की फिराक में पड़ी प्रदेश सरकार ने इसकी कीमत साढ़े चार करोड़ लगाई है। गढ़वाल मंडल के चार जिलों की ग्रामीण आबादी को समुचित स्वास्थ्य चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए करीब पांच वर्ष पूर्व र्शीनगर में राजकीय मेडिकल कालेज की स्थापना की गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के ड्रीम प्रोजेक्टों में शामिल यह राजकीय मेडिकल कालेज अपने उद्घाटन समारोह से ही विवादों में रहा। आरम्भ से ही डाक्टरों की लगातार कमी, स्थानीय राजनीति और अन्य समस्याओं के चलते जहां मेडिकल कालेज आज रेफ र सेंटर बन कर रह गया है, वहीं प्रति वर्ष खर्च हो रहे भारी बजट के कारण राज्य सरकार के लिए सफे द हाथी साबित हो रहा है। खंडूरी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से अब राज्य में आई कांग्रेस सरकार पल्ला छुड़ाने की फि राक में है। राज्य सरकार ने इसके लिए एक नया फ ार्मूला ढूंढ निकाला है।सूत्रों के अनुसार चार वर्ष पूर्व गढ़वाल विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विवि का दर्जा मिलने के उपरान्त नियमानुसार खुलने वाले मेडिकल कालेज के लिए अब तक भूमि उपलब्ध कराने में नाकामयाब रही राज्य सरकार राजकीय मेडिकल कालेज को साढ़े चार सौ करोड़ में केन्द्रीय विवि को सौंपना चाहती है। इसके लिए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. हरक सिंह रावत और विवि के कुलपति डा. एसके सिंह के बीच इस बारे में वार्ता भी हो चुकी है। अब देखना यही है कि यह सौदा कब तक फाइनल होता है। विवि की सहमति के बाद इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा जा रहा है। केंद्र से मंजूरी के बाद ही मेडिकल कालेज गढ़वाल विवि को सौंप दिया जाएगा। -डॉ. हरक सिंह रावत चिकित्सा शिक्षा मंत्री सोत्र-( दैनिक जनवाणी देहरादून सुधीर उनियाल, श्रीनगर (ग))
सुधीर उनियाल, श्रीनगर (ग))-पूर्व मुख्यमंत्री जनरल भुवन चंद्र खंडूरी का ड्रीम प्रोजेक्ट यानि राजकीय मेडिकल कालेज र्शीनगर बिकने को तैयार है। संभव है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय इसका खरीदार बन जाए।
इससे पिंड छुड़ाने की फिराक में पड़ी प्रदेश सरकार ने इसकी कीमत साढ़े चार करोड़ लगाई है। गढ़वाल मंडल के चार जिलों की ग्रामीण आबादी को समुचित स्वास्थ्य चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए करीब पांच वर्ष पूर्व र्शीनगर में राजकीय मेडिकल कालेज की स्थापना की गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के ड्रीम प्रोजेक्टों में शामिल यह राजकीय मेडिकल कालेज अपने उद्घाटन समारोह से ही विवादों में रहा। आरम्भ से ही डाक्टरों की लगातार कमी, स्थानीय राजनीति और अन्य समस्याओं के चलते जहां मेडिकल कालेज आज रेफ र सेंटर बन कर रह गया है, वहीं प्रति वर्ष खर्च हो रहे भारी बजट के कारण राज्य सरकार के लिए सफे द हाथी साबित हो रहा है। खंडूरी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से अब राज्य में आई कांग्रेस सरकार पल्ला छुड़ाने की फि राक में है। राज्य सरकार ने इसके लिए एक नया फ ार्मूला ढूंढ निकाला है।सूत्रों के अनुसार चार वर्ष पूर्व गढ़वाल विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विवि का दर्जा मिलने के उपरान्त नियमानुसार खुलने वाले मेडिकल कालेज के लिए अब तक भूमि उपलब्ध कराने में नाकामयाब रही राज्य सरकार राजकीय मेडिकल कालेज को साढ़े चार सौ करोड़ में केन्द्रीय विवि को सौंपना चाहती है। इसके लिए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. हरक सिंह रावत और विवि के कुलपति डा. एसके सिंह के बीच इस बारे में वार्ता भी हो चुकी है। अब देखना यही है कि यह सौदा कब तक फाइनल होता है। विवि की सहमति के बाद इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा जा रहा है। केंद्र से मंजूरी के बाद ही मेडिकल कालेज गढ़वाल विवि को सौंप दिया जाएगा। -डॉ. हरक सिंह रावत चिकित्सा शिक्षा मंत्री सोत्र-( दैनिक जनवाणी देहरादून सुधीर उनियाल, श्रीनगर (ग))
No comments:
Post a Comment