Thursday, 23 December 2010

दो हजार भर्तियों पर फंसा विभाग

नहीं हो पा रही है ग्राम पंचायत अधिकारियों की नियुक्ति को परीक्षा देहरादून। करीब दो हजार ग्राम पंचायत अधिकारियों की भरती पर पंचायत विभाग एक बार फिर से फंस गया है। ढाई साल पहले 1.16 लाख आवेदनों की फीस एकत्रित करने के बाद भी पंचायत विभाग इस मसले को नहीं सुलझा पा रहा है। आवेदनकर्ताओं की ओर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाए जाने से पंचायत विभाग अब फिर दबाव में है। जुलाई 2008 में पंचायत विभाग की ओर से 1923 ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों की भरती के लिए आवेदन मांगे थे। इसके एवज में विभाग को 1.16 लाख आवेदन मिले। फार्म फीस के सौ रुपये के हिसाब से विभाग को करीब सवा करोड़ रुपये की आय भी हुई। ढाई साल बाद भी पंचायत विभाग यह परीक्षा नहीं करा पाया। हाल यह है कि पंतनगर विश्वविद्यालय को परीक्षा कराने के 40 लाख रुपये दिए जा चुके हैं। इसके बाद भी मामला आगे नहीं बढ़ पाया है। भरती की यह प्रक्रिया वित्त की आपत्ति के कारण अटका था। वित्त का कहना था कि विभागीय ढांचे में केवल 670 पदों की ही व्यवस्था है। कैबिनेट ने 2409 पदों के लिए स्वीकृति दी थी। बाद में जो शासनादेश जारी हुआ उसमें 670 पदों की व्यवस्था ही दर्शाई गई। अब उत्तरकाशी से उत्तम सिंह गुसांई की ओर से इस मसले में अदालत का दरवाजा खटखटाने से पंचायत विभाग दबाव में हैं। पंचायत विभाग इस समय जवाब तैयार करने में जुटा हुआ है। ढाई साल से मामले को लटकाए हुए हैं। बेरोजगारों का साथ कोई नहीं दे रहा है। एक लाख युवाओं से जो पैसा लिया है उसका ब्याज कौन खा रहा है, यह तो बताएं। ऐसे पंचायत कैसे मजबूत होंगी। -सुरेंद्र नौटियाल, आवेदनकर्ता, माजरा देहरादून। परीक्षा कराने के 40 लाख देने के बाद भी स्थिति जस की तस

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