Tuesday, 28 December 2010

आरक्षण विरोधियों को मिलेंगी सुविधाएं!

राज्य आंदोलनकारियों की तरह दर्जा देने पर किया जा रहा है विचार देहरादून। स्कूलों और कॉलेजों में ओबीसी आरक्षण के खिलाफ संघर्ष करने वाले आंदोलनकारियों के लिए भी सरकार सुविधाओं का दरवाजा खोलने पर गौर कर रही है। मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने इस मुद्दे पर शासन स्तर पर बैठक बुलाई है। शुरुआत में सिर्फ नैनीताल के आंदोलनकारियों पर ही गौर किया जाएगा। नैनीताल के आंदोलनकारियों को भी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों सरीखी सुविधाएं देने की आवाज वहां के विधायक खड़क सिंह बोरा ने उठाई है। उनका तर्क है कि वर्ष 1994 तक के ओबीसी आंदोलनकारियों को उत्तराखंड आंदोलन के जुझारुओं की तरह सुविधा देने की अनुशंसा कुमाऊं के आयुक्त रहे प्रमुख सचिव राकेश शर्मा ने भी की थी। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में नारायणदत्त तिवारी भी इस पर सैद्धांतिक सहमति जता चुके हैं। आरक्षण विरोधियों को उत्तराखंड आंदोलनकारियों सरीखी सुविधा देने के बाबत शासन स्तर पर प्रारंभिक दौर की कार्रवाई शुरू हो गई है। नैनीताल के आंदोलनकारियों को यह सुविधा मिलती है, तो बाकी जिलों के आरक्षण विरोधियों के लिए भी राह खुल सकती है। आंदोलन पूरे राज्य में छिड़ा था। बाद में यही आंदोलन उत्तराखंड आंदोलन की शक्ल में बदल गया था। सरकार ने अभी यह मानक तय नहीं किया है कि किन्हें और किस तरह के लोगों को आंदोलनकारियों का दरजा दिया जाए। यह भी देखा जाएगा कि इसका असर क्या और कितना पड़ सकता है। फिलहाल, नैनीताल को लेकर कसरत हुई शुरू मुख्य सचिव ने बुलाई आला अफसरों की बैठक आरक्षण विरोधियों को भी उत्तराखंड आंदोलनकारियों की तरह दर्जा देने पर बैठक बुलाई है। अभी यह सिर्फ नैनीताल के लोगों पर केंद्रित होगा। साथ ही प्रक्रिया प्रारंभिक स्तर पर है। मांग की व्यावहारिकता और पहलुओं पर शासन विचार करेगा। -सुभाष कुमार, मुख्य सचिव नैनीताल के आंदोलनकारियों ने ओबीसी और उत्तराखंड आंदोलन, दोनों में शिरकत की थी। उनकी सूची भी संयुक्त ही बनाई गई है। वहां के ओबीसी आंदोलनकारियों को उत्तराखंड आंदोलनकारियों के समान दरजा मिलना ही चाहिए। -खड़क सिंह बोरा भाजपा विधायक, नैनीताल

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