Wednesday, 25 August 2010
देवीधुरा के पत्थर युद्ध में साक्षी बने एक लाख से अधिक लोग
-पत्थर युद्ध में 150 रणबांकुरे घायल
-मां बाराही के जयकारे के साथ जमकर चले पत्थर
लोहाघाट (चंपावत),-: मिसाइल युग में पत्थर युद्ध के लिए विश्वविख्यात ऐतिहासिक देवीधुरा का बग्वाल मेला देखने के लिए देश-विदेश से करीब एक लाख से अधिक लोग पहुंचे। 13 मिनट चले पत्थर युद्ध में करीब 150 से अधिक योद्धा घायल हुए तथा दर्शक दीर्घा में पत्थर आने के कारण एक दर्जन से अधिक दर्शक भी चोटिल हुए। परंपरा के मुताबिक मंदिर की गुफा में स्थित शक्ति की परिक्रमा व पूजा अर्चना के बाद दूबचौड़ मैदान की पांच बार परिक्रमा पूरी कर रण बांकुरे पत्थर युद्ध के लिए तैयार हुए।
ढोल नगाड़ों के बीच बग्वाल खेलने आए जत्थों के पीछे महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ कर सहभागिता करते हुए देव स्तुति व वीर रस एवं श्रंृगार रस पर आधारित गीता का गायन करते हुए बग्वाल खेलने वाले योद्धाओं का उत्साहवर्धन किया। इस बार सबसे पहले वालिक खाम (उपगांव) बद्री सिंह बिष्ट के नेतृत्व में मैदान में पहुंचा। उसके बाद लमगडिय़ा खाम वीरेन्द्र सिंह व लक्ष्मण सिंह लमगडिय़ा के नेतृत्व में चमयाल खाम, फिर गंगा सिंह चम्याल व गिरीश सिंगवाल के नेतृत्व में और अंत में त्रिलोक सिंह बिष्टï के नेतृत्व में गहड़वाल खाम के लोग पूरे जोश खरोश के साथ मैदान में पहुंचे। चारों खामों द्वारा अपने-अपने स्थानों पर मोर्चा जमाने के बाद अपराह्नï 2:51 बजे मंदिर से पुजारी के शंखनाद के साथ ही ऐतिहासिक बग्वाल शुरू हो गया। देखते ही देखते मैदान में चारों ओर से पत्थरों की बौछार होने लगी।
दो दलों में विभक्त बग्वाल खेलने वाले रणबांकुरों के पत्थर आसमान में इस तरह दिख रहे थे मानो कोई पुष्प वर्षा हो रही हो। 3 बजकर 04 मिनट पर पुजारी धर्मानन्द ने बग्वाल रोकने की घोषणा की लेकिन रणबांकुरों में इतना उत्साह था कि युद्ध विराम की घोषणा के बाद भी 3 मिनट तक बग्वाल चलता रहा। पत्थर युद्ध में लगभग 150 लोग घायल हुए। घायलों के सिर, हाथ, पांव खून से लथपथ थे, लेकिन उनके चेहरों पर दर्द के कोई भाव नहीं दिख रहे थे। दर्शक दीर्घा में बैठे एक दर्जन से अधिक लोग भी पत्थर लग जाने से घायल हुए। बग्वाल खत्म होने के बाद चारों खामों के लोग आपस में गले मिले। एक-दूसरे की कुशल पूछी और मां बाराही की जय-जयकार की। इस वर्ष बग्वाल में चम्याल और गहड़वाल खाम के सबसे अधिक लोग घायल हुए। विपरीत मौसम के बावजूद देश-विदेश के कोने-कोने से आज लगभग एक लाख से अधिक लोग यहां पहुंचे हुए थे।
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bahut khoobh kabhi ma hamen bhi bholana apne saran me/////
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