Tuesday, 31 October 2017

एमएचआरडी-एनसीटीई के सामने रखा अफसरों ने पक्ष

विशिष्ट बीटीसी

’ एनसीटीई ने अफसरों को मंगलवार को वार्ता के लिए बुलाया
’ दोनों ही जगह इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका
देहरादून ’ -विशिष्ट बीटीसी की मान्यता को लेकर राज्य के शिक्षा अफसरों ने सोमवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय (एमएचआरडी) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के सामने अपना पक्ष रखा।दोनों ही जगह इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया।
एनसीटीई ने राज्य के अफसरों को मंगलवार को फिर वार्ता के लिए बुलाया गया है। मान्यता के मसले राज्य का पक्ष रखने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम दिल्ली भेजी गई है। सोमवार को अफसरों की टीम ने एनसीटीई के मान्यता विभाग के अफसरों से तफ्सील से बात की और अधिकारियों ने अपना पक्ष रखा। सूत्रों के अनुसार राज्य के अफसरों ने उन्हें बताया कि विशिष्ट बीटीसी की मान्यता को लेकर एनसीटीई के स्तर से भी चूक हुई है। समय पर मान्यता को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के कारण यह नौबत आई। वर्ष 2010 के बाद जरूर राज्य के अफसरों ने भी लापरवाही बरती है लेकिन इससे 13 हजार 175 शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। कई दौर की वार्ता के बाद एनसीटीई के अफसरों ने राज्य की टीम को कल फिर बुलाया है। मालूम हो कि राज्य में शिक्षा विभाग ने विशिष्ट बीटीसी की मान्यता लिए बिना ही हजारों की संख्या में लोगों को कोर्स करवाया। इसके बाद उनकी भर्तियां भी कर ली। मान्यता न होने के कारण इन 13 हजार 175 शिक्षकों के विशिष्ट बीटीसी अवैध हो गई है और ये सभी शिक्षक अप्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में आ गए हैं।

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