केस-1 ः नाम- केंद्रा सजवाण
यह गंगोत्री के कांग्रेसी विधायक विजय पाल सजवाण की
धर्मपत्नी हैं। केंद्रा
1992 से राजकीय बालिका इंटर
कालेज उत्तरकाशी में सहायक अध्यापिका हैं। अब तो इनके पास सत्ता का भी बल है।
केस-2 ः नाम- सुनीता रावत
पूर्व काबीना मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही सत्ता में
अब नहीं हैं लेकिन
रसूख कम नहीं। पत्नी सुनीता रावत
वर्ष 2004 तक प्राथमिक विद्यालय अजबपुर खुर्द देहरादून में सहायक अध्यापिका रही। यहां प्रमोशन
भी पाया, 2008 से उच्चतर माध्यमिक
विद्यालय अजबपुर में ही कार्यरत हैं।
केस-3 ः नाम- विनीता सुयाल
विनीता टिहरी के भाजपा जिला अध्यक्ष विनोद सुयाल की पत्नी
हैं। डायट टिहरी में
अटैच हैं। प्राचार्य डायट नारायण
लाल के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री ने खुद उन्हें
यहां अटैच करने का अनुमोदन किया था। बताया जाता है कि तत्कालीन अपर निदेशक विद्यालय शिक्षा अनिल कुमार नेगी ने यह
आदेश पारित किया था।
नेगी अब निदेशक बेसिक शिक्षा
हैं। वे बताते हैं कि प्रकरण तत्कालीन सीएम से जुड़ा
था। सीएम के आदेश थे तो करना पड़ा।
केस-4 ः नाम- एके तिवारी
इनका अपना कोई सियासत में नहीं है। राजकीय इंटर कालेज
किशनपुर में प्रवक्ता पद
पर तैनात थे। शारीरिक रूप से 55 फीसदी विकलांग हैं। बावजूद कालसी ब्लॉक के अति दुर्गम विद्यालय कनबुआ में इनका तबादला कर दिया
गया है।
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देहरादून। संस्कृत का श्लोक है : ‘पंगुम्
लंघयते गिरिम्...यत् कृपा...’
अर्थात ईश्वर की कृपा हो तो पंगु भी पहाड़ लांघ जाता है। शिक्षा
महकमा शायद खुद को
ईश्वर के ही समकक्ष समझता है
इसीलिए वह 55 फीसदी विकलांग को भी पहाड़ चढ़ने भेज देता है। दूसरी ओर, कई सियासी रसूखदारों की पत्नियों के लिए वह इतना झुक जाता है कि उन्हें मनचाहे स्थान पर सुगम में
तैनाती दे देता है।
शिक्षा विभाग के ‘पिक एंड चूज
रूल’ से आम शिक्षकों की परेशानियों में इजाफा होता जा रहा है। शिक्षा विभाग की मेहरबानी के चलते कई
विधायकों और माननीयों की
पत्नियां सुगम स्कूलों में अंगद
के पांव की तरह जमी हुई हैं। तबादला एक्ट से पहाड़ के
दुर्गम स्कूलों में तैनात शिक्षकों में सुगम स्कूलों में आने की आस जगी थी, लेकिन एक्ट
स्थगित किए जाने से इन शिक्षकों को निराश होना पड़ा है। विभाग में जिनकी ऊंची पहुंच है उनके लिए नियम
कानून नहीं है।
ट्रांसफर-पोस्टिंग और अटैचमेंट
में पैसे के खेल की भी बात कही जाती है। ऐसा नहीं
होता तो शारीरिक रूप से विकलांग प्रवक्ता का तबादला किशनपुर से कालसी के अति दुर्गम विद्यालय में नहीं किया जाता।
वहीं कई विधायकों, पूर्व विधायक और मंत्रियों की पत्नियां पिछले
डेढ़-दो दशक से सुगम स्कूलों में जमी
हुईं हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की पत्नी की भी तैनाती सुगम स्थान
पर लंबे समय से की
गई है। हालांकि मौजूदा समय में
वह बीमार बताई जाती हैं।
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