Saturday, 24 July 2010
कदमों को हौसला मिले तो नाप डालेंगे दूरियां
- मध्यम-लंबी दूरी के एथलीट कर रहे अंतर्राष्ट्रीय फलक पर सूबे का नाम रोशन
- कसक बस इतनी कि बढ़ते कदमों को कोई प्रोत्साहन देेने वाला नहीं
- सुविधाओं की कमी बन रही प्रतिभाओं की राह में रोड़ा
केरल की तर्ज पर सूबे में भी डेवलप हो एथलेटिक्स एकेडमी
देहरादून: बढ़ते कदमों को हौसला मिलता रहे तो मंजिल आसान हो जाती है। ऐसा ही कुछ कर दिखा रहे हैं सूबे के मध्यम-लंबी दूरी के एथलीट। अपने प्रदर्शन से उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय फलक पर सूबे का नाम रोशन किया है। कसक है तो बस इतनी कि उनके बढ़ते कदमों को कोई प्रोत्साहन देेने वाला नहीं मिल पा रहा।
वर्तमान में प्रदेश के लंबी-मध्यम दूरी के धावकों ने देशभर में अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ी है। ओलंपियन सुरेंद्र भंडारी, पंकज डिमरी, ईलम सिंह, प्रीतम बिंद आदि ऐसे नाम हैं, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय फलक पर पहचान कायम की है। पंकज डिमरी ने हाल ही में एशियन ग्रां प्री 'एकÓ व 'दोÓ में कांस्य व रजत पदक जीतकर प्रदेश का झंडा बुलंद किया। ईलम सिंह के अलावा लंबे अर्से बाद ट्रैक पर लौटे प्रीतम सिंह ने भी अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। इन दिनों ये सभी धावक इंटर स्टेट चैंपियनशिप के साथ-साथ कॉमनवेल्थ की तैयारी के लिए पसीना बहा रहे हैं। सूबे की अंतर्राष्ट्रीय महिला एथलीट किरन तिवारी भी कॉमनवेल्थ की तैयारियों में जुटी हैं।
पिछले कुछ समय से उत्तराखंड मध्यम व लंबी दूरी के धावकों की नर्सरी के रूप में उभरा है। इस सब के बावजूद मूलभूत सुविधाओं और प्रोत्साहन की कमी प्रतिभाओं की राह में रोड़ा बन रही है। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय फलक पर प्रदेश का नाम चमका रहे एथलीट अभी भी सरकार से सम्मान की आस लिए हुए हैं।
इंटर स्टेट चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटे पंकज डिमरी का कहना है कि पिछले दो साल में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बावजूद अभी तक उन्हें प्रोत्साहन राशि नहीं मिली। सरकार ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों के लिए पुरस्कार राशि की घोषणा तो कर दी, मगर कब देगी, इसका किसी को पता नहीं।
प्रीतम बिंद का कहना है कि खिलाडिय़ों की हौसलाअफजाई के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। वह कहते हंै कि सूबे में सिंथेटिक ट्रैक की बेहद जरूरत है। इसके लिए सरकार को जल्द से जल्द व्यवस्था करनी चाहिए।
एथलेटिक्स एसोसिएशन के सचिव संदीप शर्मा कहते हंै कि लंबी-मध्यम दूरी में प्रदेश के धावकों ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय जो चमक बिखेरी है, इसके लिए उन्हेें प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए। इससे युवा एथलीट भी प्रेरित होंगे। इसके अलावा विभागों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे एथलीटों के सहयोग को आगे आएं।
पूर्व अंतर्राष्ट्रीय एथलीट विनोद पोखरियाल का कहना है कि केरल की तर्ज पर यहां भी एथलेटिक्स एकेडमी डेवलप करने की जरूरत है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिलने से अन्य स्पर्धाओं में भी सूबे के खिलाड़ी अपनी चमक बिखेर सकेंगे।
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