देहरादून।
राज्य में पांच साल तक की सेवाएं देने के बाद नियमित होने की आस में बैठे लोगों को झटका लगा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने उनके नियमितिकरण पर रोक लगा दिया है। एक और अन्य अपील में सात सालों तक सेवाएं दे चुके आउटसोर्स वाले कर्मचारियों के भी संविदा पर रखने पर अड़ंगा लग गया है।
नियमितिकरण पर लगी रोक
गौरतलब है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में पांच सालों तक अपनी सेवाएं दे चुके कर्मचारियों को नियमित करने के लिए नियमावाली जारी हो चुकी थी। नई नियमावली के तहत प्रदेश के विभिन्न विभागों में संविदा पर तैनात ऐसे कर्मियों को नियमित करने की बात की गई थी, जिनकी 31 दिसंबर 2016 में पांच वर्ष की सेवा पूर्ण हो गई हो। इसमें दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक कर्मचारी शामिल थे। आपको बता दें कि राज्य में ऐसे कर्मचरियों की संख्या हजारों की तादाद में है। अब नियमितिकरण पर रोक लगाने के फैसले से कर्मचारी काफी नाराज हैं। वे इसे चुनाव से जुड़ा फैसला मानने पर मजबूर हैं।
विभागों को पत्र लिखकर सूचित किया
यहां बता दें कि संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए पहीले जारी की गई पत्रावलियों पर कार्मिक एवं वित्त विभाग ने आपत्ति जताई थी लेकिन सरकार ने इन आपत्तियों को नजरअंदाज कर अपने फैसले पर मुहर लगा दी। सरकार के इस फैसले के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार के द्वारा 14 दिसंबर को जारी किए गए नोटिफिकेशन के तहत होने वाली प्रक्रिया को तुरंत रोक लगाने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश के बाद सभी विभागों को पत्र लिखकर सूचित कर दिया गया है।
उपनल की भर्ती पर भी रोक
कोर्ट की ओर से उपनल एवं अन्य आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से कार्य करने वाले कर्मियों की सात वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर संविदा पर रखे जाने के निर्णय पर भी रोक लगाई गई है। बता दें कि प्रदेश में तकरीबन 20 हजार से अधिक उपनल कर्मी हैं। चुनाव से पहले ये लोग भी अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत थे। सरकार ने चुनाव के ठीक पहले इन्हें भी संविदा पर लेने का निर्णय लिया था। इनमें तकरीबन पांच हजार से अधिक ऐसे कर्मी हैं, जो विभिन्न विभागों में सात वर्ष या उससे अधिक समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सरकार के इस फैसले को भी कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। शासन रखेगा अपना पक्ष
हाईकोर्ट इस मामले में भी एक अंतरिम आदेश के तहत रोक लगा कर सरकार से जवाब तलब कर चुका है। अब इस निर्णय का अनुपालन करने की भी तैयारी चल रही है। शासन कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रहा है।
राज्य में पांच साल तक की सेवाएं देने के बाद नियमित होने की आस में बैठे लोगों को झटका लगा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने उनके नियमितिकरण पर रोक लगा दिया है। एक और अन्य अपील में सात सालों तक सेवाएं दे चुके आउटसोर्स वाले कर्मचारियों के भी संविदा पर रखने पर अड़ंगा लग गया है।
नियमितिकरण पर लगी रोक
गौरतलब है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में पांच सालों तक अपनी सेवाएं दे चुके कर्मचारियों को नियमित करने के लिए नियमावाली जारी हो चुकी थी। नई नियमावली के तहत प्रदेश के विभिन्न विभागों में संविदा पर तैनात ऐसे कर्मियों को नियमित करने की बात की गई थी, जिनकी 31 दिसंबर 2016 में पांच वर्ष की सेवा पूर्ण हो गई हो। इसमें दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक कर्मचारी शामिल थे। आपको बता दें कि राज्य में ऐसे कर्मचरियों की संख्या हजारों की तादाद में है। अब नियमितिकरण पर रोक लगाने के फैसले से कर्मचारी काफी नाराज हैं। वे इसे चुनाव से जुड़ा फैसला मानने पर मजबूर हैं।
विभागों को पत्र लिखकर सूचित किया
यहां बता दें कि संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए पहीले जारी की गई पत्रावलियों पर कार्मिक एवं वित्त विभाग ने आपत्ति जताई थी लेकिन सरकार ने इन आपत्तियों को नजरअंदाज कर अपने फैसले पर मुहर लगा दी। सरकार के इस फैसले के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार के द्वारा 14 दिसंबर को जारी किए गए नोटिफिकेशन के तहत होने वाली प्रक्रिया को तुरंत रोक लगाने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश के बाद सभी विभागों को पत्र लिखकर सूचित कर दिया गया है।
उपनल की भर्ती पर भी रोक
कोर्ट की ओर से उपनल एवं अन्य आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से कार्य करने वाले कर्मियों की सात वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर संविदा पर रखे जाने के निर्णय पर भी रोक लगाई गई है। बता दें कि प्रदेश में तकरीबन 20 हजार से अधिक उपनल कर्मी हैं। चुनाव से पहले ये लोग भी अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत थे। सरकार ने चुनाव के ठीक पहले इन्हें भी संविदा पर लेने का निर्णय लिया था। इनमें तकरीबन पांच हजार से अधिक ऐसे कर्मी हैं, जो विभिन्न विभागों में सात वर्ष या उससे अधिक समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सरकार के इस फैसले को भी कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। शासन रखेगा अपना पक्ष
हाईकोर्ट इस मामले में भी एक अंतरिम आदेश के तहत रोक लगा कर सरकार से जवाब तलब कर चुका है। अब इस निर्णय का अनुपालन करने की भी तैयारी चल रही है। शासन कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रहा है।
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