Tuesday 17 April 2018

CTET परीक्षा 4 चार महीने के अंदर कराए जाने के आदेश

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CTET : दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को चार महीने के भीतर राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) आयोजित करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने सीबीएसई को एक सप्ताह के भीतर इसकी प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट के इस आदेश से देशभर के बीएड और एमएड डिग्री धारक प्रतियोगी छात्रों को लाभ होगा, जो सीटेट पास नहीं होने की वजह से सरकारी स्कूलों की शिक्षक भर्ती में आवेदन करने से वंचित रह जाते हैं। सितंबर 2016 के बाद से सीटेट का आयोजन नहीं किया गया है। साल में कम से कम एक बार इस परीक्षा का आयोजन अनिवार्य है।
जस्टिस रेखा पल्ली ने हिमांशू डबास और अन्य छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में उन्होंने सीबीएसई और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को सीटेट कराने का आदेश देने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सीटेट आयोजित नहीं कराए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्यों से साफ है कि सीटेट कराने को लेकर सीबीएसई और एनसीटीई के बीच संवाद की कमी है।
साथ ही इसकी वजह से शैक्षिक योग्यता होने के बावजूद बड़े पैमाने पर छात्र सरकारी सेवाओं में (शिक्षक की) नौकरी पाने से वंचित हैं।
एक हफ्ते में पत्र लिखें
जस्टिस पल्ली ने सीबीएसई के अध्यक्ष और एनसीटीई के सचिव से से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर सीटेट कराने के लिए सीबीएसई को पत्र लिखें, क्योंकि समय सीमा में सीटेट परीक्षा करानी जरूरी है।
बोर्ड ने यह तर्क दिया
सीबीएसई, एनसीटीई ने यह तर्क दिएसीबीएसई ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा इसलिए आयोजित नहीं की गई क्योंकि एनसीटीई ने इसके लिए कोई आग्रह ही नहीं भेजा।
सीटैट के बगैर ही आवेदन
कैट के आदेश पर सीटेट प्रमाण पत्र नहीं होने के बाद भी दिल्ली सरकार के स्कूलों में 9232 शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन किया गया था। न्यायाधिकरण ने कहा था कि सीबीएसई ने जब सीटेट का आयोजन ही नहीं किया तो इसे पास नहीं करने के लिए छात्रों की कोई गलती नहीं है।
क्या है मामला
हिमांशू डबास और अन्य छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीएसई और एनसीटीई को राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने का आदेश देने की मांग की थी। अधिवक्ता राकेश ढींगरा के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया कि सीटेट का आयोजन नहीं होने से बीएड, डिप्लोमा इन प्राथमिक शिक्षा में डिग्रीधारक शिक्षक बनने के लिए आवेदन करने से वंचित रह जाते हैं।

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