Saturday 7 April 2012

जानिए क्या है निर्मल बाबा की शक्ति का रहस्य

मीडिया में सुर्खिया बटोर रहे निर्मल बाबा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
कौन हैं ये निर्मल बाबा-निर्मल बाबा उर्फ निर्मल जीत सिंह नरूला एक आध्यात्मिक गुरू है, जो दिल्ली की कैलाश कालोनी में रहते हैं।
हिंदी भाषी राज्यों में यह नाम एक घरेलू नाम की तरह लोगों के दिलो-दिमाग से जुड़ गया है। देश-विदेश में देखे जाने वाले प्रमुख चैनलों के माध्यम से अपने लाखों भक्‍तों की समस्‍याओं को चुटकियों में सुलझाने का दावा करने वाले निर्मल बाबा उर्फ निर्मल जीत सिंह नरूला को लेकर सोशल साइट्स और इंटरनेट पर खूब टिप्‍पणियां की जा रहीं हैं। इंटरनेट पर एक खास वर्ग लगातार निर्मल बाबा को कठघरे में खड़ा कर सवाल-दर-सवाल कर रहा है। निर्मल बाबा के दावों पर कुछ लोग सवाल भी उठा रहे हैं, वहीं उनके लाखों समर्थकों में गुस्सा भी देखने को मिल रहा है।

कौन हैं ये निर्मल बाबा
निर्मल बाबा उर्फ निर्मल जीत सिंह नरूला एक आध्यात्मिक गुरू है, जो दिल्ली की कैलाश कालोनी में रहते हैं। इससे पूर्व ये झारखंड के डाल्टनगंज में ठेकेदारी का काम करते थे। निर्मल बाबा के अधिकार‌िक वेबसाइट के अनुसार निर्मल बाबा के पास छठी इंद्रिय (सिक्स्थ सेंस) है। कहते हैं कि इस रहस्यमयी छठी इंद्रिय के विकसित होने से मनुष्य को भविष्य में होने वाली घटना के बारे में पहले से ही पता चल जाता है।

छठी इंद्री का कुंडलिनी से गहरा ताल्लुक
वैसे छठी इंद्री का वर्णन भारत के प्राचीन शास्त्रों में भी मिलता है। योग शास्त्र सहित अन्य शास्त्रों में वर्णित इस विद्या को ध्यान, तप और प्रणायाम के बल इसे प्राप्त किया जा सकता है। छठी इंद्री का कुंडलिनी से गहरा ताल्लुक होता है। कुंडलिनी जागृत करने के पश्चात मनुष्य त्रिकालदर्शी बन जाता है। लेकिन कुंडलिनी जागृत करने के लिये कठिन साधना की जरूरत होती है। ये एक सतत प्रक्रिया है, जब दैहिक शुद्धि के पश्चात, मानसिक शुद्धि अनिवार्य होती है। शास्त्रों में इस क्रिया में गुरू की असीम भागीदारी को भी जरूरी बताया गया है। इसका इस्तेमाल शास्त्रों में सिर्फ मानवीय हितों को साधने के निहित किया गया है। इन तंत्र-मंत्रों के बल पर मनुष्य अतीत, वर्तमान और भविष्य को आसानी से देख, सुन और समझ सकता है।

बाबा के पास रहस्मय शक्ति है!
वेबसाइट के अनुसार निर्मल बाबा 10 साल पहले साधारण व्यक्ति थे, लेकिन बाद में उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पण से अपने भीतर अद्वितीय शक्तियों का विकास किया। ध्यान के बल पर वह ट्रांस (भौतिक संसार से परे किसी और दुनिया में) में चले जाते हैं। ऐसा करने पर वह ईश्वर से मार्गदर्शन ग्रहण करते हैं, जिससे उन्हें लोगों के दुख दूर करने में मदद मिलती है। निर्मल बाबा के पास मुश्किलों का इलाज करने की शक्ति है। वे किसी भी मनुष्य के बारे में टेलीफोन पर बात करके पूरी जानकारी दे सकते हैं। यहां तक कि सिर्फ फोन पर बात करके वह किसी भी व्यक्ति की आलमारी में क्या रखा है, बता सकते हैं। उनकी रहस्मय शक्ति ने कई लोगों को कष्ट से मुक्ति दिलाई है।

26 अगस्त तक समागम की बुकिंग बंद
निर्मल बाबा के एक समागम में शामिल होने के लिये प्रति व्यक्ति दो हजार रुपये का पंजीकरण कराना होता है। दो साल से ऊपर हर व्यक्ति को समागम में हिस्सा लेने के लिये पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इस समागम में प्रवेश के लिये दो हजार रुपये का पंजीकृत स्लिप और एक पहचान-पत्र की जरुरत होती है। बिना इन कागजातों के किसी का भी प्रवेश निषेध है। निर्मल बाबा के समागमों की मांग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कि नई दिल्ली में 26 अगस्त 2012 तक समागम के लिए उनकी बुकिंग बंद है।

फेसबुक पर हैं 32 लाख प्रशंसक
टीवी और इंटरनेट के जरिए निर्मल बाबा पूरे भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी रोज लोगों तक पहुंचते हैं। निर्मल बाबा के समागम का प्रसारण देश-विदेश के तकरीबन 39 टीवी चैनलों पर सुबह से लेकर शाम तक रोजाना करीब 25 घंटे अलग-अलग समय पर किया जा रहा है। भारत में विभिन्न समाचार, मनोरंजन और आध्यात्मिक चैनलों के अलावा विदेशों में टीवी एशिया, एएक्सएन जैसे चैनलों पर मध्य पूर्व, यूरोप से लेकर अमेरिका तक उनके समागम का प्रसारण हो रहा है। फेसबुक पर निर्मल बाबा के प्रशंसकों का पेज है, जिसे करीब 32 लाख लोग पसंद करते हैं। इस पेज पर निर्मल बाबा के टीवी कार्यक्रमों का समय और उनकी तारीफ से जुड़ी टिप्पणियां हैं। ट्विटर पर उन्हें 50 हजार लोग फॉलो कर रहे हैं।

प्रतिदिन करोड़ों की आमदनी
अब सवाल ये उठता है कि आखिर निर्मल बाबा ने पिछले दस सालों में ऐसा क्या किया कि वे आज एक असाधारण रहस्मय शक्ति के माल‌िक बन बैठे है? इस रहस्मय शक्ति की बदौलत करोड़ों रुपये प्रतिदिन की आमदनी अर्जित करने वाले निर्मल बाबा देश के उन गरीबों और लाचारों को अपना आशीर्वाद क्यों नहीं देते जिन्हें दो जून की रोटी के लिए रोज मशक्कत करनी पड़ती है।
आप क्या सोचते है?

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