श्रीनगर गढ़वाल: एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले 22 दिनों से चल रहा आंदोलन समाप्त हो गया है।
इसी के साथ विश्वविद्यालय से जुड़े पौने दो लाख छात्र-छात्रओं ने राहत की सांस ली। कुलपति, कुलसचिव और संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के बीच शनिवार देर रात तक चली वार्ता में 41 बिंदुओं पर सहमति बनने के बाद यह निर्णय लिया गया। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि यदि समझौते पर अमल नहीं हुआ तो फिर से आंदोलन किया जाएगा। कुलसचिव डा. उदय सिंह रावत ने कहा कि वार्षिक परीक्षाएं शुरू करवाने में कम से कम दस दिन का समय लगेगा। ऐसे में परीक्षाएं मई के प्रथम सप्ताह से शुरू हो सकती हैं। रविवार को संघर्ष समिति के संरक्षक कृष्णानंद मैठाणी ने विश्वविद्यालय प्रशासनिक कार्यालय के समक्ष धरना दे रहे आंदोलनकारियों को वार्ता की लिखित जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर भी सहमति बनी है कि सहायक कुलसचिव और जनसंपर्क अधिकारी पदों की नियुक्ति प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं की जांच उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश से करायी जाएगी। इसके अलावा सभी पीएचडी धारकों और 2009 से पूर्व पंजीकृत पीएचडी अभ्यर्थियों को यूजीसी रेगुलेशन एक्ट 2009 से छूट देने को लेकर भी विचार किया गया। तय किया गया कि अन्य केन्द्रीय विवि में इसे लेकर दी जा रही छूट के विषय में जानकारी प्राप्त कर अकादमिक काउंसिल और कार्यपरिषद की बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा। यह प्रकरण उच्च न्यायालय मेंभी विचाराधीन है। संघर्ष समिति के विभिन्न घटकों द्वारा विवि शिक्षणोत्तर कर्मचारियों, दैनिक कर्मचारियों, शिक्षकों, अंशकालिक शिक्षकों और छात्रसंघ की मांगों पर भी वार्ता में सहमति बनी। धरना स्थल पर अंकित कपरवाण, विकास कठैत, इंद्रेश मैखुरी आदि मौजूद थे।
इसी के साथ विश्वविद्यालय से जुड़े पौने दो लाख छात्र-छात्रओं ने राहत की सांस ली। कुलपति, कुलसचिव और संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के बीच शनिवार देर रात तक चली वार्ता में 41 बिंदुओं पर सहमति बनने के बाद यह निर्णय लिया गया। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि यदि समझौते पर अमल नहीं हुआ तो फिर से आंदोलन किया जाएगा। कुलसचिव डा. उदय सिंह रावत ने कहा कि वार्षिक परीक्षाएं शुरू करवाने में कम से कम दस दिन का समय लगेगा। ऐसे में परीक्षाएं मई के प्रथम सप्ताह से शुरू हो सकती हैं। रविवार को संघर्ष समिति के संरक्षक कृष्णानंद मैठाणी ने विश्वविद्यालय प्रशासनिक कार्यालय के समक्ष धरना दे रहे आंदोलनकारियों को वार्ता की लिखित जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर भी सहमति बनी है कि सहायक कुलसचिव और जनसंपर्क अधिकारी पदों की नियुक्ति प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं की जांच उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश से करायी जाएगी। इसके अलावा सभी पीएचडी धारकों और 2009 से पूर्व पंजीकृत पीएचडी अभ्यर्थियों को यूजीसी रेगुलेशन एक्ट 2009 से छूट देने को लेकर भी विचार किया गया। तय किया गया कि अन्य केन्द्रीय विवि में इसे लेकर दी जा रही छूट के विषय में जानकारी प्राप्त कर अकादमिक काउंसिल और कार्यपरिषद की बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा। यह प्रकरण उच्च न्यायालय मेंभी विचाराधीन है। संघर्ष समिति के विभिन्न घटकों द्वारा विवि शिक्षणोत्तर कर्मचारियों, दैनिक कर्मचारियों, शिक्षकों, अंशकालिक शिक्षकों और छात्रसंघ की मांगों पर भी वार्ता में सहमति बनी। धरना स्थल पर अंकित कपरवाण, विकास कठैत, इंद्रेश मैखुरी आदि मौजूद थे।
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