Saturday 25 February 2012

दिल्ली में उत्तराखंड

 नगर निगम और विधानसभा चुनाव के लिए कर रहे दावेदारी-
देहरादून। अस्तित्व में आने के साथ ही उत्तराखंड और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बीच ‘घर’ सा जुड़ाव रहा है।
दिल्ली की डेढ़ करोड़ आबादी में उत्तराखंडियों की संख्या 28-30 लाख है। नगर निगम चुनाव में भाजपा-कांग्रेस उन्हें टिकट देती रही हैं।  पार्टी ने पिछले चुनाव में आठ उत्तराखंडियों को टिकट दिया था, जिनमें से सात जीते। कांग्रेस ने दो को उम्मीदवार बनाया, जिनमें से एक निगम पहुंचे। विधानसभा में भाजपा ने दो को टिकट दिए थे। इनमें मोहन सिंह बिष्ट करावलनगर सीट से लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीते हैं।
रोजगार की बात हो या बेहतर उच्च शिक्षा का सवाल, पहाड़ के अधिकांश बाशिंदों की तलाश दिल्ली पर जाकर ही खत्म होती है। अगर ये कहा जाए कि दिल्ली के भीतर ही एक दूसरा उत्तराखंड भी है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। खास बात है कि नगर निगम हो या विधानसभा, दिल्ली क चुनावों में ये आबादी बड़े उलटफेर की संभावना भी रखती है।दिल्ली की सियासत में प्रवासी उत्तराखंडी अपनी ताकत बढ़ाने की जुगत में हैं। निगम में आठ प्रवासी उत्तराखंडी पार्षद हैं, विधानसभा में भी एक विधायक हैं। हालांकि प्रवासी मानते हैं कि तादाद के हिसाब से उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। नगर निगम दिल्ली में पार्षदों की 272 सीटें हैं। इस बार निगमों की संख्या तीन होने वाली है। ऐसे में प्रवासी उत्तराखंडी ज्यादा सक्रिय हैं। नजर 2013 के विस चुनाव पर भी है। भाजपा-कांग्रेस दोनों में प्रवासी उत्तराखंडियों ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल उत्तराखंड के नेताओं को पकड़ना शुरू कर दिया है।निगम चुनाव में प्रवासी उत्तराखंडियों को ज्यादा से ज्यादा टिकट मिलने चाहिए। मैं अपनी पार्टी भाजपा के संबंध में बता सकता हूं कि हम कम से कम 30 सीटें मांगेंगे। अब तक के प्रदर्शन और आबादी को देखते हुए ज्यादा टिकट मिलने की उम्मीद है।
-पूरण चंद्र नैलवाल, उपाध्यक्ष, उत्तराखंड प्रवासी सलाहकार एवं समन्वय समिति, दिल्ली 
(लेखक विपिन बनियाल-अमर उजाला देहरादून  से जुडे है  )

1 comment:

  1. पूरण चंद्र नैलवाल, उपाध्यक्ष, g aap ka bahut nahu dhanyawad jo ye muhim chalayi hai

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