Thursday 16 February 2012

पहाड़ से पैसे का भी पलायन

बृजमोहन खर्कवाल-पौड़ी। पहाड़ से आदमी ही नहीं पैसा भी पलायन कर रहा है। राज्य के बैंकों में पर्वतीय क्षेत्रों में जमा होने वाला ज्यादातर पैसा देहरादून, ऊधमसिंह नगर
और हरिद्वार जैसे मैदानी जिलों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे रहा है। यही नहीं 46 फीसदी पैसा कर्ज के रूप में राज्य से पलायन करके दूसरे प्रदेशों में चला जा रहा है। इसकी पुष्टि प्रदेश के बैंकों की ऋण जमा अनुपात की स्थिति कर रही है।
किसी भी जिले में बैंकों का ऋण जमा अनुपात वहां के औद्योगिक विकास को प्रदर्शित करता है। जिले में विकास अधिक होने पर वहां बैंकों में जमा होने वाले धन की अपेक्षा बैकों द्वारा विकास के लिए उद्योगपतियों और व्यवसायियों तथा अन्य को दिया गया ऋण अधिक रहता है। जिले में औद्योगिक और व्यावसायिक विकास की गतिविधियां कम होने पर वहां बैंकों में जमा होने वाले धन की अपेक्षा बैंकरों द्वारा लोगों को दिए जाने वाला ऋण काफी कम होता है। बैंकों की सितंबर माह तक के ऋण जमा अनुपात की स्थिति देखें तो राज्य के दस पर्वतीय जिलों में हालत ठीक नहीं है। पहाड़ी जिलों में बैंकों में जमा होने वाले धन का तीस से चालीस फीसदी ही ऋण के रूप में स्थानीय विकास में लग रहा है।
क्या होता है ऋण जमा अनुपात
•बैंकों में जमा होने वाले धन और बैंकों द्वारा व्यवसायियों, उद्योगपतियों एवं अन्य लोगों को दिए जाने वाले ऋण के बीच के अनुपात को ऋण जमा अनुपात कहते हैं। यदि बैंकों में जमा होने वाले धन को लोग विकास कार्यों के लिए कर्ज के रूप में लेते हैं तो बैंकों को संबंधित धन बाहर देने की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन यदि जमा धन को स्थानीय लोग कर्ज के रूप में नहीं लेते हैं तो बैंक इस पैसे को ऋण के रूप में बाहर के उद्योगपतियों या अन्य को दे देते हैं।
ऋण जमा अनुपात ने खोली विकास की पोल
•राज्य में पहाड़ पर नहीं चढ़ पाई है औद्योगिक विकास की स्कीमें
•देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में ही हो रहा है विकास
•प्रदेश का 46 फीसदी पैसा कर्ज के रूप में जा रहा दूसरे प्रदेशों में
सितंबर माह तक ऋण जमा अनुपात
107.84
यूएस नगर
49.79
हरिद्वार
30.24
देहरादून
30.24
उत्तरकाशी
29.05
टिहरी
22.31
पौड़ी
23.33
चमोली
27.98
रुद्रप्रयाग
22.70
अल्मोड़ा
37.44
बागेश्वर
31.14
पिथौरागढ़
26.11
चंपावत
36.13
नैनीताल
विकास को लेकर सियासी दल चाहे जो दावे करें लेकिन बैंकों के ऋण जमा अनुपात की स्थितियां कुछ और ही कहती हैं। ऋण जमा अनुपात की सितंबर माह की स्थिति बताती है कि प्रदेश की आल ओवर जमा राशि में से केवल 53. 68 फीसदी ऋण के रूप में विकास कार्यों के लिए लिया गया और 46 फीसदी से अधिक धन ऋण के रूप में राज्य से बाहर चला गया।
सभी आंकड़े प्रतिशत में
पर्वतीय क्षेत्रों में ऋण जमा अनुपात कम होने का मुख्य कारण पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयों का न होना है। विषम भौगोलिक परिस्थितियां, रॉ मैटेरियल की कमी, बेहतर सड़कें न बन पाने समेत कई कारणों से उद्यमियों का रुझान पहाड़ों की ओर नहीं बढ़ पाया है।
-एके मित्तल, सहायक महाप्रबंधक
राज्य स्तरीय बैंक समिति उत्तराखंड

No comments:

Post a Comment