Sunday 15 January 2012

सियासत ने तोड़ी फनकारों की जोड़ी

पौड़ी। कभी एक ही मंच पर अपनी कला का जलवा बिखरने वाले लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी और मशहूर हास्य कलाकार घनानंद के बीच तल्ख्यिां उभर आई हैं।
ये अलगाव ‘राजनीति’ की वजह से है। घन्ना इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पौड़ी से किस्मत आजमाने जा रहे हैं वहीं लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंड रक्षा मोच्रे का दामन थामकर अपने साथी का पुरजोर विरोध करने का ऐलान कर दिया है। हास्य कलाकार घनानंद पहाड़ के लिए उतने ही पुराने चेहरे हैं जितने की लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी। लोकगायन में जहां नेगी का कोई मुकाबला नहीं वहीं घन्ना की हास्य अभिनय हर किसी के जेहन में हैं। लोकमंच पर शायद ही ऐसा कोई कार्यक्रम रहा हो जहां दोनों कलाकार एक साथ खड़े न हुए हों, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। दोनों कलाकार परस्पर विरोधी मंचों पर खड़े हो गये हैं। पौड़ी विधानसभा क्षेत्र के आरक्षित होने पर उत्तराखंड रक्षा मोर्चा ने घनानंद को प्रत्याशी तय कर लिया था। इसके लिए आखिरी दौर की सारी बातें पूरी हो चुकी थीं, लेकिन ऐन मौके पर घन्ना मोच्रे से दामन छुड़ाकर भाजपा के पाले में जा बैठे। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें पौड़ी से विधानसभा चुनाव का टिकट थमा दिया। भाजपा को भले ही वह जीत हासिल करने का जरिया लग रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड रक्षा मोर्चा से जुड़े लोगों के लिए यह बड़ा झटका है। घनानंद के भाजपा में जाते ही लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने उन्हें ‘गद्दार’ की संज्ञा दी थी। उन्होंने यह भी कह दिया है कि वह उनके खिलाफ प्रचार करके रक्षा मोर्चा को मजबूत करेंगे। नेगी ने कहा कि क्षेत्रीय दल के मुद्दे पर मोर्चा को उनका पूरा समर्थन है। घनानंद को राष्ट्रीय दलों से दूरी बनाकर रखनी थी। हालांकि घनानंद का कहना है कि भाजपा ने पहली बार लोक संस्कृति से जुड़े किसी व्यक्ति को पार्टी का टिकट दिया है। इसलिए वह पार्टी के ऋणी हैं।
आभार-
राकेश रमण शुक्ला(रा.स)


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